Hastakshep.com-देश-Human bomb-human-bomb-Rajiv Gandhi assassination probe-rajiv-gandhi-assassination-probe-Sriperumbudur-sriperumbudur-मानव बम-maanv-bm-राजीव गांधी हत्याकांड की जांच-raajiiv-gaandhii-htyaakaandd-kii-jaanc-राजीव गांधी-raajiiv-gaandhii-श्रीपेरंबदुर-shriipernbdur

आज ही के मनहूस दिन सन 1991 में एक युवा, प्रगतिगामी भारत के सपने का असामयिक अवसान हो गया था। राजीव गाँधी (Rajiv Gandhi) नेता नहीं थे लेकिन वे एक जड़ विशालकाय मशीन को आकाश में हज़ारों फुट ऊपर उड़ाना जानते थे।

देश को प्रगति, शांति, स्वास्थ्य के लिए उनकी दूरगामी योजना थी। वे संगठन को एक स्वयंसेवी संस्था और सरकार को जनकल्याणोन्मुखी बनाना चाहते थे।

श्रीपेरंबदुर (SRIPERUMBUDUR) में आज शाम की शाम जिस तरह उन्हें मानव बम (Human bomb) से शहीद किया गया था, वह एक बड़ी साजिश थी। जिसमें कई देश, कई नेता शामिल थे। दुर्भाग्य से कभी उसका खुलासा नहीं हो पाया।

राजीव गांधी को प्रणाम और स्मरण।

राजीव गांधी की हत्या, उसकी जांच से जुड़े कुछ सवाल आज भी सुलझे नहीं।

राजीव गांधी की हत्या, उसकी जांच से जुड़े कुछ अनसुलझे सवाल

some unresolved questions related to Rajiv Gandhi assassination and its investigation

  • राजीव गांधी हत्याकांड की जांच (Rajiv Gandhi assassination probe) चलते वक़्त किन किन लोगों ने किस तरह से अपने बयान दर्ज किये? एजी डॉस और लताप्रिया कुमार के पक्ष में किस तरह की दलील दी गई, और कितना सटीक दी गयी?
  • पुलिस प्रयासों के बावजूद षणमुगन नहीं पकड़ा जा सका. दूसरे दिन वह एक लुंगी और रस्सी से फ़ासी का फंदा बनाकर आत्म हत्या कर लेता है. हत्याकांड के प्रमुख सूत्रधार आखिर पुलिस को जिंदा क्यों नहीं मिले. पुलिस सच में लापरवाह थी या और भी कुछ बात थी इसके पीछे.
  • शिवरासन राजीव हत्या कांड का प्रमुख सूत्रधार था और इसे उसी के साथी ने आखिर गोली मारी. बेंगलूरु पुलिस और एसआईटी, सीबीआई ने बेंगलूरु में शिवरासन को उसके मकान में घेर लिया था. फिर भी
उसे पकडऩे के लिए पुलिस को एनएसजी के लिए 36 घंटे इंतजार क्यों करना पड़ा? इन 36 घंटों के दौरान शिवरासन ने कई महत्वपूर्ण वीडियो और दस्तावेज जलाए. इसके बाद सात लोग सायनाइड खाकर मर गए. यह असल में अहम तथ्य समाप्त करने की सबसे बड़ी साजिश थी।
  • हत्या के बाद वहां उपलब्‍ध महत्वपूर्ण साक्ष्यों में हरिबाबू का कैमरा नियमों के विपरीत क्यों हैंडल किया गया. आखिर क्या वजह रही कि उसे नियमतः नहीं यूज किया गया.
  • हत्या के बाद आईबी निदेशक एमके नारायणन ने 22 मई को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने एक वीडियो का जिक्र किया था. किंतु जांच एजेंसियों से ऐसा कोई विडियो न होने की बात कही गयी, साक्ष्यों के साथ भी छेड़ छाड़ की गयी.
  • राजीव गांधी अकाली समझौते, श्रीलंका में आईपीकेएफ और तमिल समझौतों के बाद वह आतंकवादियों के निशाने पर थे. बावजूद इसके उनकी सुरक्षा में लगे पुलिस और जवानो की संख्या क्यों कम कर दी थी?
  • जब सुरक्षा कम की गई थी ऐसे में सुरक्षा में तैनात जवान ने सभा के वक़्त लोगों को राजीव गांधी से मिलने से क्यों नहीं रोका. यहां तक कि रेड कारपेट पर भी लोग उनसे मिलने भीड़ कर रहे थे. ऐसे में मानव बम का शामिल होना बेहद आसान हो गया, एक दूसरे से मिलाने की होड़ में राजीव गांधी जब काफी समय से लोगो से मिल रहे थे तो क्यों नहीं लोगो की चेकिंग अच्छे तरीके से की गयी?
  • मार्गथम चंद्रशेखर के लड़के ललित एवं लडक़ी लताप्रिया कुमार ने ही श्रीपेरमबदुर के कार्यक्रम की व्यवस्था की थी. लताप्रिया कुमार ने लता कानन और उसकी लडक़ी कोकिला को सभा में रेड कार्पेट के पास पहुंचाया. फिर लता कानन और उसकी लड़की कोकिला ने राजीव को रेड कारपेट पर रोककर रात के 10:15 मिनट पर हिंदी में कविता सुनाने का आग्रह किया. तब कविता सुनाने के समय ही मानव बम धनु राजीव गांधी के नजदीक पहुंचने में सफल रही और माला पहनाने के बहाने बटन दबा कर विस्फोट करने में सफल रही, जिससे उनकी हत्या हो गयी.
  • उस वक़्त तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष बी राममूर्ति थे और उनको ऐसी किसी बड़े खतरे की जानकारी थी. जिसे वो किसी को नहीं बता पाए. अगर यह बात समय रहते ही बोल देते तो राजीव गांधी की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती थी. अब सवाल ये खड़ा होता है कि वो क्यों नहीं बोले? क्या भय था उनको ? या फिर वो भी चाहते थे, या फिर किसी का दबाव?
  • इस कांड में तथ्य, गवाहों को बड़े शातिराना तरीके से रास्ते से हटाया गया और साजिश की असल गुत्थी अनसुलझी रही।

    एक बात और, यदि राहुल गांधी सत्ता में सीधे आये तो वे इसकी जांच अपनी देखरेख में कराएंगे, यह बात उन्होंने कभी किसी से कही थी। इसके बाद राहुल भी कई साजिशों के शिकार होते रहे जिसमें उन्हें पप्पू साबित करना भी एक है।

    पंकज चतुर्वेदी

    (वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी की एफबी पोस्ट का संपादित अंश)

    Remembering Rajiv Gandhi: What exactly happened on that fateful night of May 21

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