Hastakshep.com-देश-Cancer in India-cancer-in-india-Cancer ke upachaar-cancer-ke-upachaar-National Cancer Survivors Day-national-cancer-survivors-day-symptoms of cancer-symptoms-of-cancer-अल्कोहल-alkohl-कैंसर के उपचार-kainsr-ke-upcaar-कैंसर के लक्षण-kainsr-ke-lkssnn-थकान-thkaan-पैरों में सूजन-pairon-men-suujn-भारत में कैंसर-bhaart-men-kainsr-माहवारी-maahvaarii-राष्ट्रीय कैंसर सरवाइवर्स दिवस-raassttriiy-kainsr-srvaaivrs-divs

राष्ट्रीय कैंसर सरवाइवर्स दिवस (7 जून) पर विशेष | Special on National Cancer Survivors Day (June 7)

कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे मरीजों में आशा की नई उम्मीद जगाने के लिए प्रतिवर्ष जून माह के पहले रविवार को ‘राष्ट्रीय कैंसर सरवाइवर्स दिवस’ (National Cancer Survivors Day) मनाया जाता है। वास्तव में यह महज एक दिवस भर नहीं है बल्कि कैंसर से लड़ रहे उन तमाम लोगों में नई चेतना का संचार करने और नई उम्मीद पैदा करने का दिवस है।

इस अवसर पर ऐसे लोगों का उदाहरण प्रस्तुत करने का प्र्यास किया जाता है, जिन्होंने अपने जज्बे और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की बदौलत कभी लाइलाज मानी जाने वाली इस बीमारी पर विजय प्राप्त की और वर्षों से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

दरअसल आज भी लगभग सभी लोगों के लिए कैंसर एक ऐसा शब्द है, जिसे अपने किसी परिजन के लिए डॉक्टर के मुंह से सुनते ही परिवार के तमाम सदस्यों की सांसें गले में अटक जाती हैं और पैरों तले की जमीन खिसक जाती है। ऐसे में परिजनों को परिवार के उस अभिन्न अंग को सदा के लिए खो देने का डर सताने लगता है।

The number of cancer patients in India has doubled during the last twenty years - WHO

बढ़ते प्रदूषण तथा पोषक खानपान के अभाव में यह बीमारी एक महामारी के रूप में तेजी से फैल रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि हमारे देश में पिछले बीस वर्षों के दौरान कैंसर मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। प्रतिवर्ष कैंसर से पीड़ित लाखों मरीज मौत के मुंह में समा जाते हैं और माना जा रहा है कि इस वर्ष के आखिर तक कैंसर के मरीजों की संख्या एक करोड़ की संख्या को भी पार कर जाएगी।

हालांकि कुछ वर्ष पूर्व तक कैंसर को लाइलाज रोग माना जाता

था लेकिन कुछ वर्षों में कैंसर के उपचार (Cancer treatment,Cancer ke upachaar) की दिशा में क्रांतिकारी खोजें हुई हैं और अब अगर समय रहते कैंसर की पहचान कर ली जाए तो उसका उपचार किया जाना काफी हद तक संभव हो जाता है।

भारत में कैंसर (Cancer in India) के करीब दो तिहाई मामलों का बहुत देर से पता चलता है और कई बार तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

कैंसर के संबंध में यह समझ लेना बेहद जरूरी है कि यह बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है किन्तु अगर इसका सही समय पर पता लग जाए तो लाइलाज मानी जाने वाली इस बीमारी का अब उपचार संभव है। यही वजह है कि देश में कैंसर के मामलों को कम करने के लिए कैंसर तथा उसके कारणों के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि वे इस बीमारी, इसके लक्षणों और इसके भयावह खतरे के प्रति जागरूक रहें।

कैंसर से लड़ने का सबसे बेहतर और मजबूत तरीका यही है कि लोगों में इसके प्रति जागरूकता हो, जिसके चलते जल्द से जल्द इस बीमारी की पहचान हो सके और शुरूआती चरण में ही इसका इलाज संभव हो। यदि कैंसर का पता शीघ्र लगा लिया जाए तो उसके उपचार पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है। यही वजह है कि जागरूकता के जरिये इस बीमारी को शुरूआती दौर में ही पहचान लेना बेहद जरूरी माना गया है क्योंकि ऐसे मरीजों के इलाज के बाद उनके स्वस्थ एवं सामान्य जीवन जीने की संभावनाएं काफी ज्यादा होती हैं। हालांकि देश में कैंसर के इलाज की तमाम सुविधाओं के बावजूद अगर हम इस बीमारी पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो इसके पीछे इस बीमारी का इलाज महंगा होना सबसे बड़ी समस्या है। वैसे देश में जांच सुविधाओं का अभाव भी कैंसर के इलाज में एक बड़ी बाधा है, जो बहुत से मामलों में इस बीमारी के देर से पता चलने का एक अहम कारण होता है।

          अब यह भी जान लें कि ‘कैंसर’ क्या है (What is cancer)?

जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity of our body) काफी कमजोर हो जाती है तो शरीर पर विभिन्न प्रकार की बीमारियां हमला करना शुरू कर देती हैं। ऐसी परिस्थितियों में कई बार शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित होकर अपने आप तेजी से विकसित और विभाजित होने लगती हैं। कोशिकाओं के समूह की इस अनियंत्रित वृद्धि को ही कैंसर कहा जाता हैं। जब ये कोशिकाएं टिश्यू को प्रभावित करती हैं तो कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगता है और कैंसर की यह स्थिति बहुत घातक हो जाती है।

दुनिया भर में कैंसर से लड़ने और इसे हराने के लिए निरन्तर चिकित्सीय खोजें हो रही हैं और इन प्रयासों के चलते ही अब कैंसर का प्रारम्भिक स्टेज में तो सफल इलाज संभव भी है।

अगर शरीर में कैंसर होने के कारणों की बात की जाए तो हालांकि इसके कई तरह के कारण हो सकते हैं लेकिन अक्सर जो प्रमुख कारण माने जाते रहे हैं, उनमें मोटापा, शारीरिक सक्रियता का अभाव, व्यायाम न करना, ज्यादा मात्रा में अल्कोहल व नशीले पदार्थों का सेवन, पौष्टिक आहार की कमी इत्यादि इन कारणों में शामिल हो सकते हैं।

कभी-कभार ऐसा भी होता है कि कैंसर के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते किन्तु किसी अन्य बीमारी के इलाज के दौरान कोई जांच कराते वक्त अचानक पता चलता है कि मरीज को कैंसर है लेकिन फिर भी कई ऐसे लक्षण हैं, जिनके जरिये अधिकांश व्यक्ति कैंसर की शुरूआती स्टेज में ही पहचान कर सकते हैं।

Yogesh Kumar Goyal योगेश कुमार गोयल वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं Yogesh Kumar Goyal योगेश कुमार गोयल वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं

  कैंसर के लक्षणों (Symptoms of cancer) में कुछ प्रमुख हैं, वजन घटते जाना, रक्त की कमी होना, निरन्तर बुखार बने रहना, शारीरिक थकान व कमजोरी, चक्कर आना, उल्टी होना, दौरे पड़ना शुरू होना, आवाज में बदलाव आना, सांस लेने में दिक्कत होना, खांसी के दौरान खून आना, लंबे समय तक कफ रहना और कफ के साथ म्यूकस आना, कुछ भी निगलने में दिक्कत होना, पेशाब और शौच के समय खून आना, शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ या सूजन होना, माहवारी के दौरान अधिक स्राव होना इत्यादि।

कीमोथैरेपी, रेडिएशन थैरेपी, बायोलॉजिकल थैरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट इत्यादि के जरिये कैंसर का इलाज होता है किन्तु यह प्रायः इतना महंगा होता है कि एक गरीब व्यक्ति इतना खर्च उठाने में सक्षम नहीं होता। इसलिए जरूरत इस बात की महसूस की जाती रही है कि कैंसर के सभी मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो या निजी अस्पतालों में, सरकार ऐसे मरीजों के इलाज में यथासंभव सहयोग करे क्योंकि जिस तेजी से देश में कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए केवल सरकारी अस्पतालों के भरोसे कैंसर मरीजों के इलाज की कल्पना बेमानी ही होगी।

- योगेश कुमार गोयल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा तीस वर्षों से समसामयिक विषयों पर लिख रहे हैं)

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