कल मैं अपने नज़दीकी औद्योगिक क्षेत्र में सड़क किनारे बैठे महंगी-महंगी कारों, ट्रकों को गुज़रते देख रहा था। बीच-बीच में कुछ लोग अपनी साइकिलों में टिफ़िन टांगे चौराहे पर बायां हाथ लम्बा कर इन तेज़ दौड़ते वाहनों के बीच सड़क पार कर रहे थे, मुझे अब सड़कों में बहुत कम दिखने वाले यह साइकिल वाले लोग इन आकर्षक वाहनों के बीच में खटक रहे थे।
इस बीच ही एक बूढ़ा सा व्यक्ति सड़क पार करते तेज़ चलती कार से टकरा गिर पड़ा और फिर मैंने आसपास के लोगों के साथ मिलकर उसे अस्पताल पहुंचाया। उसकी टांग में फ्रेक्चर था, फैक्ट्री में काम कर अपने परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ करता वह व्यक्ति एक महीने के लिए बिस्तर पर पहुंच गया।
3 जून 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने साईकिल उपयोग को बढ़ावा देने के लिये पहली बार विश्व साईकिल दिवस मनाने की शुरुआत की थी, आज यह चौथी बार मनाया जा रहा है और मुझे बार-बार कल उस साइकिल वाले के साथ घटी घटना याद आ रही है।
पिछले दो साल से कोरोना ने पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति कमज़ोर की हुई है, भारत भी इससे अछूता नहीं है।
इस लॉकडाउन पिछली बार की तरह उद्योगों को बंद नहीं किया गया है, उन्हें खुलने की अनुमति दी गई है।
कार और मोटरसाइकिल के आसमान छूते दामों की वज़ह से एक मज़दूर इन्हें खरीदने में असमर्थ है और उसके लिए साइकिल ही उसके लिए अपने काम के ठिकाने तक
कुछ लोगों के लिए साइकिल फेरी लगाने का ज़रिया भी है, जिसमें वह साइकिल पर अलग-अलग सामान रख बेचते हैं और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
यूरोपीय देशों में 18वीं शताब्दी के दौरान जन्म ले चुकी साईकिल का रखरखाव बहुत ही आसान है। साईकिल की चेन में समय-समय पर तेल डालते रहने, पहियों में समय से हवा भरते रहने, समय-समय पर साईकिल के नट बोल्टों को कस कर, उसके ब्रेकों का ध्यान रख, समय से साईकिल की सफाई कर उसे जंग मुक्त रख कर और पहिये का पंक्चर बनाने का ज्ञान रख साईकिल को लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जा सकता है।
पिछले साल के लॉकडाउन में हम यह देख चुके हैं कि बिना वाहनों और फैक्ट्रियों के चले यह हवा कितनी शुद्ध रहती है।
साईकिल के अधिक प्रयोग से पृथ्वी के लिये गम्भीर होते जा रहे वायु प्रदूषण की इस समस्या पर लगाम लगायी जा सकती है।
बुज़ुर्ग, जवान और बच्चें हर आयु वर्ग के लोग साइकिल की सवारी कर खुद को चुस्त और दुरस्त रख सकते हैं। साइकिल की सवारी मनुष्य को मानसिक और शारीरिक रूप से मज़बूत बनाने का कार्य करती है। इसमें अन्य व्यायामों की तरह ना चोटिल होने का डर है औऱ ना ही इसे चलाने में किसी विशेष तकनीकी ज्ञान की जानकारी की आवश्यकता।
रोज़ाना साइकिल चलाने से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं और शरीर में वसा भी नहीं बनता।
उच्च रक्तचाप और ह्रदय रोगों को साइकिल की सवारी पीछे छोड़ देती है।
शोध में सामने आया है कि निरंतर साइकिल चलाने वालों को मधुमेह और ह्रदयाघात का खतरा अन्य लोगों से कम रहता है।
साइकिल सवारों की सुरक्षा | safety of cyclists
एटलस की पुरानी साइकिल से शुरू हुआ साइकिलों का यह सफर आकर्षक रेंजर से होता अब मोटरसाइकिल के पहिए जितने मोटे पहिए वाली साइकिलों तक पहुंच गया है।
इन महंगी साइकिलों को तो लोग शौकिया तौर पर अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए ले रहे हैं पर एक साधारण साइकिल अब भी मज़दूरों के लिए अपने कार्यस्थल तक पहुंचने का ज़रिया है और इन साइकिल सवारों की सुरक्षा भी जरूरी है।
साइकिल सवारों के लिये मुख्य सड़क से अलग लेन का निर्माण कर इन साइकिल सवारों को सड़क पर चल रहे अन्य बड़े वाहनों से सुरक्षित रख सकता है।
World Bicycle Day in India,
साइकिल सवारी के दौरान हेल्मेट का प्रयोग अनिवार्य करना चाहिए और इस विश्व साइकिल दिवस के दिन सरकार को बिना किसी देरी के साइकिल की सवारी को सुरक्षित सवारी बनाने पर गम्भीरता से विचार करना शुरू कर देना चाहिये।
हिमांशु जोशी, उत्तराखंड।