Hastakshep.com-देश-2020-2020-World Cancer Day-world-cancer-day-World Health Organization-world-health-organization-अल्कोहल-alkohl-डब्ल्यूएचओ-ddblyuueco-थकान-thkaan-पैरों में सूजन-pairon-men-suujn-माहवारी-maahvaarii-विश्व कैंसर दिवस-vishv-kainsr-divs-विश्व स्वास्थ्य संगठन-vishv-svaasthy-sngtthn

“Cancer: Causes, Symptoms and Diagnosis”

विश्व कैंसर दिवस (4 फरवरी) पर विशेष Special on World Cancer Day (4 February)

‘कैंसर’ एक ऐसा शब्द है, जिसे अपने किसी परिजन के लिए डॉक्टर के मुंह से सुनते ही परिवार के तमाम सदस्यों के पैरों तले की जमीन खिसक जाती है। दरअसल परिजनों को अपने परिवार के उस सदस्य को हमेशा के लिए खो देने का डर सताने लगता है। बढ़ते प्रदूषण तथा पोषक खानपान के अभाव में यह बीमारी एक महामारी के रूप में तेजी से फैल रही है।

It is very important to know about cancer

कैंसर के संबंध में यह जान लेना बेहद जरूरी है कि यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन अगर इसका सही समय पर पता लगा लिया जाए तो उपचार संभव है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का मानना है कि हमारे देश में पिछले बीस वर्षों के दौरान कैंसर के मरीजों की संख्या (Number of cancer patients) दोगुनी हो गई है। प्रतिवर्ष कैंसर से पीड़ित लाखों मरीज मौत के मुंह में समा जाते हैं और माना जा रहा है कि वर्ष 2020 तक कैंसर के मरीजों की संख्या एक करोड़ की संख्या को भी पार कर जाएगी। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व तक कैंसर को एक असाध्य अर्थात् लाइलाज रोग के रूप में जाना जाता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के उपचार की दिशा में क्रांतिकारी खोजें हुई हैं और अब अगर समय रहते कैंसर की पहचान कर ली जाए तो उसका उपचार किया जाना काफी हद तक संभव हो जाता है।

दुनियाभर में कैंसर के मामलों को कम करने के लिए कैंसर तथा उसके कारणों के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि वे इस बीमारी, इसके लक्षणों और इसके भयावह खतरे के प्रति जागरूक रहें।

दरअसल कैंसर के करीब दो तिहाई मामलों का बहुत देर

से पता चलता है और कई बार तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसी उद्देश्य से दुनियाभर में लोगों को कैंसर होने के संभावित कारणों के प्रति जागरूक करने, प्राथमिक स्तर पर कैंसर की पहचान करने और इसके शीघ्र निदान तथा रोकथाम के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 4 फरवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाया जाता है।

कैंसर आज न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक ऐसी भयानक बीमारी बन चुका है कि तमाम प्रयासों के बावजूद इसके मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है तथा लाखों लोग हर साल इस बीमारी के कारण बेमौत मारे जा रहे हैं। इसी वजह से वर्ष 2005 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष 4 फरवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाने का निर्णय लिया गया ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सके और ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा सके।

The best and strongest way to fight cancer

कैंसर से लड़ने का सबसे बेहतर और मजबूत तरीका यही है कि लोगों में इसके बारे में जागरूकता हो, जिसके चलते जल्द से जल्द इस बीमारी की पहचान हो सके और शुरूआती चरण में ही इस बीमारी का इलाज संभव हो। यदि कैंसर का पता शीघ्र ही लगा लिया जाए तो उसके उपचार पर होने वाला खर्च बहुत कम हो जाता है लेकिन इसकी पहचान अगर विकसित दशा में होती है तो उपचार की लागत कई गुना बढ़ जाती है।

कैंसर के तीसरे या चौथे चरण में पहुंच जाने की स्थिति में मरीज का इलाज मुश्किल हो जाता है और खर्च भी अपेक्षाकृत काफी बढ़ जाता है। ऐसे मरीजों के लंबा जीवन जीने की उम्मीदें भी कम हो जाती है। यही वजह है कि जागरूकता के जरिये इस बीमारी को शुरूआती दौर में ही पहचान लेना बेहद जरूरी माना गया है क्योंकि ऐसे मरीजों के इलाज के बाद उनके स्वस्थ एवं सामान्य जीवन जीने की संभावनाएं काफी ज्यादा होती हैं।

हालांकि देश में कैंसर के इलाज की तमाम सुविधाओं के बावजूद अगर हम इस बीमारी पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो इसके पीछे इस बीमारी का इलाज महंगा होना एक बहुत बड़ी समस्या है। वैसे देश में जांच सुविधाओं का अभाव भी कैंसर के इलाज में एक बड़ी बाधा है, जो बहुत से मामलों में इस बीमारी के देर से पता चलने का एक अहम कारण होता है।

आधुनिक जीवनशैली, नियमित व्यायाम न करना, भोजन की शुद्धता पर ध्यान न देना, प्रदूषित वातावरण इत्यादि कई ऐसे अहम कारण हैं, जो शरीर में कैंसर विकसित होने के प्रमुख कारक हो सकते हैं। कैंसर के संबंध में यह जान लेना बेहद जरूरी है कि आखिर यह है क्या? हमारे शरीर की कोशिकाएं जब अनियंत्रित होकर अपने आप तेजी से बढ़ने लगती हैं तो कोशिकाओं के समूह की उस अनियंत्रित वृद्धि को ही कैंसर कहते हैं। जब ये कोशिकाएं टिश्यू को प्रभावित करती हैं तो कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है और ऐसी स्थिति में कैंसर काफी घातक हो जाता है।

वैसे तो कैंसर के सौ से भी ज्यादा प्रकार हैं लेकिन ब्रेन कैंसर के अलावा पुरूषों में मुख्यतः मुंह व जबड़ों का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पित्त की थैली का कैंसर, पेट का कैंसर, लीवर कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर होता है जबकि महिलाओं में होने वाले कैंसर में स्तन तथा ओवेरियन कैंसर प्रमुख हैं।

दुनिया भर में कैंसर से लड़ने और इस पर विजय पाने के चिकित्सीय उपाय हो रहे हैं और चिकित्सा के क्षेत्र में शोधकर्ताओं के प्रयासों के चलते कैंसर का प्रारम्भिक स्टेज में इलाज अब संभव है। यही कारण है कि 1990 के बाद से कैंसर से मरने वालों की संख्या में करीब 15 फीसदी की कमी आई है।

वैसे तो कैंसर कई प्रकार का होता है और हर प्रकार के कैंसर के होने के कारण भी अलग-अलग होते हैं किन्तु इस बीमारी के कुछ ऐसे मुख्य कारक होते हैं, जिनकी वजह से किसी को भी कैंसर का खतरा हो सकता है। वजन बढ़ना या मोटापा, शारीरिक सक्रियता का अभाव, अधिक मात्रा में अल्कोहल तथा नशीले पदार्थों का सेवन करना, पौष्टिक आहार न लेना, नियमित व्यायाम न करना इत्यादि इन कारणों में शामिल हो सकते हैं।

Cancer is a silent disease

Yogesh Kumar Goyal योगेश कुमार गोयल वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं Yogesh Kumar Goyal योगेश कुमार गोयल वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं

कैंसर एक ऐसी खामोश बीमारी है, जिसके कभी-कभार कोई लक्षण सामने नहीं आते किन्तु कैंसर के अक्सर जो लक्षण सामने आते हैं, उनकी जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि ऐसे लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क कर जरूरी जांच करा ली जाएं। ऐसे ही लक्षणों में लगातार वजन घटते जाना, शरीर में रक्त की कमी होते जाना, तेज बुखार आना और बुखार का ठीक न होना, निरन्तर थकान व कमजोरी महसूस करना, चक्कर आना, उल्टी होना, भूलना, दौरे पड़ना शुरू होना, आवाज में बदलाव आना, सांस लेने में दिक्कत होना, पेशाब और शौच के समय खून आना, खांसी के दौरान खून आना, लंबे समय तक कफ रहना और कफ के साथ म्यूकस आना, कुछ भी निगलने में दिक्कत होना, गले में किसी भी प्रकार की गांठ होना, शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ या सूजन होना, स्तन में गांठ, माहवारी के दौरान अधिक स्राव होना इत्यादि शामिल हैं।

कीमोथैरेपी, रेडिएशन थैरेपी, बायोलॉजिकल थैरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट इत्यादि के जरिये कैंसर का इलाज होता है किन्तु यह इलाज प्रायः इतना महंगा होता है कि एक गरीब व्यक्ति इतना खर्च उठाने में सक्षम नहीं होता। इसलिए जरूरत इस बात की महसूस की जाती रही है कि ऐसे मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो या निजी अस्पतालों में, सरकार ऐसे मरीजों के इलाज में यथासंभव सहयोग करे। हालांकि दिल्ली स्थित एम्स में कैंसर के इलाज की सारी सुविधाएं हैं और हरियाणा में झज्जर के बादली क्षेत्र में बाढ़सा स्थित एम्स में भी कैंसर के इलाज की सुविधाएं शुरू हो चुकी हैं किन्तु देशभर में कैंसर के मरीजों की संख्या जिस गति से बढ़ रही है, उसके दृष्टिगत केवल सरकारी अस्पतालों के भरोसे कैंसर मरीजों के इलाज की कल्पना बेमानी ही होगी।

योगेश कुमार गोयल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा तीस वर्षों से समसामयिक विषयों पर लिख रहे हैं)

 

Article on World Cancer Day (4th February)

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