उनका आन्दोलन जमीन इतना जरूरी लगता है कि 2014 में कोलकाता से देहरादून पहुंच कर उनका इंटरव्यू सिर्फ इसलिए किया था, क्योंकि बड़े पैमाने पर चिपको आंदोलन के साथी एनजीओ के जरिये विदेशी फंड के बदले पहाड़ के सत्यानाश करने लगे हैं, जिनमें हमारे अनेक प्रिय साथी भी शामिल है।
हमारे विचार से हर सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता को बहुगुणा जी की तरह पर्यावरण कार्यकर्ता होना चाहिए।
वे सुंदरलाल बहुगुणा इस वक्त गम्भीर रूप से अस्वस्थ हैं। सौ साल के होने वाले हैं बहुत जल्द, यह बेहद चिंता की बात है।
राजीव नयन दाज्यू का गुस्सा वाजिब है।
एक व्यक्ति की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भारी कीमत चुकाने को बेमौत मौत और तबाही के शिकंजे में हैं इस देश के 138 करोड़ लोग।
हस्तक्षेप परिवार की ओर से सुंदरलाल बहुगुणा के स्वस्थ होने की कामना करते हैं, हम और उम्मीद करते हैं कि वे सौ साल तक जरूर
पलाश विश्वास