इस्लाम के साथ भारत का परिचय सातवीं सदी में हुआ। इसके बाद से करीब तेरह साल से इस देश में मुस्लिम जन समुदाय का वजूद कायम है। बाहर से जो लोग इस देश में चले आये थे, उनमें से एक बड़ा हिस्सा फिर दोबारा अपने देश वापस नहीं लौटा। भारत में ही वे स्थाई तौर पर रहने लगे।
बाहर से सबसे पहले अरब व्यापारी आये थे।दक्षिण भारत के पूर्वी और पश्चिमी समुद्रतटवर्ती इलाकों में।ग्यारहवी सदी में पंजाब पर तुर्कों ने कब्जा कर लिया। सन् 1206 ई.में दिल्ली में सल्तनत बन गयी। 1360 तक जिसका विस्तार सुदूर दक्षिण तक हो गया। चौदहवीं सदी में सल्तनत टूटने लगी। सोलहवीं सदी में मुगल साम्राज्य का उत्थान हो गया तो अठारहवीं सदी में उसका विघटन।
इस समूचे विशाल समय के दरम्यान मुस्लिम व्यवसायी और देश दखल करने वाले सिपाहसालार भारत आते रहे। उनके साथ आयीं उनकी सेनाएं। उनके अनुचर भी आये। अनेक विजेता शासक स्वदेश लौटकर चले गये, लेकिन वे अपने प्रतिनिधि प्रशासक और सेनाएं भारत छोड़ गये।
अरब, तुर्की, फारस, अफगानिस्तान से आये भारत में रह गये मुसलमान आज भी खुद को सैय्यद, शेख, मुगल, पठान कहकर परिचय देते हैं। संख्या के हिसाब से सही-सही कुल कितने मुसलमान इस तरह भारत आकर यहां स्थाई तौर पर रह गये, यहीं बसेरा बना लिया, इस बारे में प्रामाणिक तथ्यों
किंतु अभिवासी मुसलमान चाहे जितनी बड़ी संख्या में आये होंगे, भारत जैसे विशाल देश में वे हर वक्त एक अत्यंत छोटा समुदाय बने रहे हैं। इसलिए उनकी वंशवृद्धि की दर में अगर कोई लगाम नहीं भी रहे तो उनके लिए बहुसंख्य समुदाय की तुलना में आबादी बढ़ाना संभव नहीं था।
मैं यह बताना चाहता हूं कि जिस तेजी से भारत में मुसलमानों की संख्या बढ़ा है, उस तेजी से, उस दर से उस अत्यंत छोटे से समुदाय की वंशवृद्धि होना एकदम संभव नहीं था।
अब इसका जवाब यही है कि भारत के अन्य समुदायों से। एक विषय पर सारे इतिहासकार सहमत हैं : आज के भारत में मुस्लिम जनसमुदाय का सबसे बड़ा शरीक धर्मांतरित मुसलमानों के ही वंशज हैं।
क्यों और कैसे दूसरे धर्मों के लोंगों ने इस्लाम कबूल कर लिया, इसे लेकर फिर इतिहासकारों के विचार अलग अलग हैं। इनमें से कुछ कहते हैं कि मुस्लिम शासकों ने जोर जबर्दस्ती हिंदुओं को मुसलमान बनने के लिए मजबूर कर दिया तो इसके विपरीत बहुत लोग मानते हैं कि ऐसा कतई नहीं है। बल्कि हिंदू समाज में जात पांत के भेदभाव, जिसके तहत नीची जातियों के मनुष्यों के किसी तरह के सामाजिक हक हकूक न होने की वजह से उन्होंने इस्लाम की समानता के संदेश से आकर्षित होकर धर्म परिवर्तन कर लिया था। इसमें कौन सी राय सही है, इस पर विचार करना हमारी चर्चा का विषय नहीं है।
फिर भी शायद एक बात कही जा सकती है कि भारत में मुस्लिम प्रशासकों का एक नगण्य समुदाय रहा है। उनकी उस छोटी सी सेना के दम पर भारत जैसे विशाल देश पर सदियों तक वे क्या राज चला सकते थे?- अगर व्यापक पैमाने पर हिंदुओं ने उनके साथ सहयोग न किया होता?
The Mohammedan conquest of India came as a salvation of the downtrodden, to the poor. That is why one-fifth of our people have become Mohammedans. It was not the sword that did it all. It would be the height of madness to think that it was all the work of sword and fire. It was to gain their liberty from the… zamindars and from the -.. Priest, and as a consequence, you find in Bengal there are more Mohammedans than Hindus amongst cultivators because there were so many zamindars there.
इसका अनुवाद इस प्रकार हैः
भारत में मुस्लिम विजय ने उत्पीड़ित, गरीब मनुष्यों को आजादी का जायका दिया था। इसीलिए इस देश की आबादी का पांचवां हिस्सा मुसलमान हो गया। यह सब तलवार के जोर से नहीं हुआ। तलवार और विध्वंस के जरिये हिंदुओं का इस्लाम में धर्मांतरण हुआ, यह सोचना पागलपन के सिवाय और कुछ नहीं है। वे (गरीब लोग) जमींदारों, पुरोहितों के शिकंजे से आजाद होना चाहते थे। इसलिए बंगाल के किसानों में हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान हैं क्योंकि बंगाल में बहुत ज्यादा जमींदार थे।
पुस्तक अंश :
जनसंख्या की राजनीति
फिलहाल तथ्य और कुछ सवाल
प्रबीर गंगोपाध्याय
अनुवाद : पलाश विश्वास