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स्वराज इंडिया के दिल्ली में नोटा अभियान से भाजपा को फायदा-अजीत यादव

#योगेंद्र यादव व स्वराज इंडिया का दिल्ली में नोटा अभियान वैकल्पिक राजनीति के लिए हानिकारक

लोकसभा चुनाव में स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव द्वारा नोटा का आव्हान करने पर स्वराज अभियान में दोफाड़ हो गया है। स्वराज अभियान से जुड़े जय किसान आंदोलन, मजदूर किसान मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अजीत सिंह यादव ने कहा है कि योगेंद्र यादव व स्वराज इंडिया का दिल्ली में नोटा अभियान वैकल्पिक राजनीति के लिए हानिकारक है।

श्री यादव ने कहा कि राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया ने अपने कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव में 12 मई को दिल्ली में नोटा का बटन दबाने की अपील की है। इसके लिए पर्चा निकाला गया है और पार्टी द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसकी जानकारी स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता में 20 अप्रैल 2019 को दी और उसके लिए एक प्रेस नोट भी जारी किया।जोकि उनकी पार्टी की बेवसाइट पर उपलब्ध है।

उन्होंने कहा

मेरी व्यक्तिगत राय है कि हमलोग देश में वैकल्पिक राजनीति को खड़ा करने के लिए प्रयासरत हैं इसलिए यह कहना जरूरी है कि स्वराज इंडिया और अध्यक्ष योगेंद्र यादव द्वारा दिल्ली में नोटा दबाने का निर्णय वैकल्पिक राजनीति के लिए हानिकारक है और इससे भाजपा को फायदा होगा।

स्वराज अभियान नेता ने कहा

मुझे यह कहने की जरूरत इसलिए भी महसूस हुई कि हमलोग स्वराज अभियान में भागीदार हैं जिसमें योगेंद्र यादव व स्वराज इंडिया भी शामिल हैं और मुझे स्वराज अभियान /इंडिया की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकों में आमंत्रित किया जाता रहा है।

उन्होंने कहा

"स्वराज इंडिया के इस निर्णय से

अपनी असहमति सार्वजनिक करने और दिल्लीवासियों से भाजपा हराने को वोट करने की अपील करने का स्वराज अभियान के अध्यक्ष प्रशांत भूषण का कदम स्वागत योग्य है।"

जब लोगों ने सवाल खड़े किए तो 27 अप्रैल को स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बयान जारी कर पार्टी के निर्णय का बचाव किया। उन्होंने सफाई दी कि अक्टूबर 2018 में स्वराज इंडिया की नेशनल कौंसिल ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की भूमिका के लिए जो दिशा तय की थी तीन मूलभूत दिशा -निर्देश दिए थे -

"1.हमें भाजपा को हराने में योगदान करना है 2. हमें विपक्ष के किसी महागठबंधन में शामिल नहीं होना है

3.हमें वैकल्पिक उम्मीदवारों की शिनाख्त और समर्थन करना है।

दिल्ली इकाई के निर्णय को इस दिशा के अनुरूप मानते हुए वे कहते हैं कि इसका हमारी मूल स्थापना कोई विरोध नहीं है कि भाजपा भारतीय गणतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

कोई भी राजनीतिक व्यक्ति आसानी से समझ सकता है कि योगेंद्र यादव की सफाई अंतर्विरोधों से भरी हुई है और वे नोटा के निर्णय को अपनी पार्टी की दिशा के हिसाब से सही नहीं ठहरा पाए हैं।"

श्री यादव ने कहा

"बकौल योगेंद्र यादव पार्टी की नेशनल कौंसिल ने पहला दिशा निर्देश दिया कि पार्टी को भाजपा को हराने में योगदान करना है। नोटा के उपयोग से भाजपा को हराने में क्या योगदान हो सकता है ? जाहिर है नहीं हो सकता चूंकि नोटा को दिए स्वराज इंडिया के कार्यकर्ताओं के वोट भाजपा के विरुद्ध किसी प्रत्याशी के वोटों में नहीं जोड़े जा सकते। दिल्ली में नोटा अभियान स्वराज इंडिया की नेशनल कौंसिल के इस पहले निर्देश कि भाजपा को हराने में योगदान करना है के विरुद्ध है। नोटा अभियान द्वारा कांग्रेस , आप और भाजपा तीनों को बराबर मान लिया जाता है। यह पार्टी की इस प्रस्थापना के विरुद्ध है कि भाजपा भारतीय गणतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। चूंकि जब भाजपा को सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है तो इसका सीधा मतलब हुआ कि दूसरी कोई भी पार्टी उससे कम खतरनाक हुई। जाहिर है कि सब धान सत्ताईस सेर नहीं हो सकते।"

उन्होंने कहा

"भाजपा , कांग्रेस , सपा , बसपा , आप आदि पार्टियां एक जैसी नहीं हैं सभी में कुछ न कुछ अंतर है। नोटा अभियान द्वारा भाजपा , कांग्रेस व आप को एक तराजू पर तौलना न तो वैचारिक तौर पर सही है और न राजनीतिक तौर पर सही है। इसको लोग वैचारिक तौर पर एक अराजकतावादी विचार कहते हैं और राजनीति में अवसरवाद।

जिन दो अन्य निर्देशों की बात की जा रही है तो जाहिर है कि भाजपा को हराने में योगदान देने के राजनीतिक कार्यभार से ही जुड़ें हुए हैं। विपक्ष के किसी महागठबंधन का हिस्सा बने बिना भी और वैकल्पिक उम्मीदवारों की शिनाख्त और समर्थन कर भी भाजपा को हराने में योगदान दिया जा सकता है।

यह कहने से कि दिल्ली यूनिट द्वारा की गई घोषणा केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक सीमित है और अधिक सवाल खड़े होते हैं। दरअसल दिल्ली ही वह प्रदेश है जहां स्वराज इंडिया ने विधिवत तौर पर एमसीडी का चुनाव लड़ा और सौ से अधिक उम्मीदवार देकर पूरे प्रदेश के स्तर पर नया राजनीतिक विकल्प देने का प्रयास किया। जाहिर है जहां तक स्वराज इंडिया /स्वराज अभियान का सवाल है दिल्ली की तुलना किसी अन्य प्रदेश से करना उचित नहीं होगा। दिल्ली में की गई आपकी राजनीतिक कार्यवाही आपकी राजनीतिक दिशा का मानदंड होगी।

स्वराज इंडिया पार्टी , पार्टी अध्यक्ष योगेंद्र यादव और पार्टी की दिल्ली यूनिट को नोटा अभियान पर पुनर्विचार करना चाहिए। और अपनी पार्टी की दिशा के अनुरूप 12 मई को भाजपा को हराने में सक्रिय योगदान करना चाहये।"

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