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The 56-inch Modi government has no political vision against China, nor diplomatic understanding, fret over 59 Chinese apps

चीन के ख़िलाफ़ मजबूत मोदी सरकार के पास न तो कोई राजनैतिक विजन है, न कोई कूटनीतिक सूझबूझ और न ही सैन्यशक्ति से जबाब देने की साहस और प्रतिबद्धता। चीन के खिलाफ कोई ठोस कदम उठा न पाने के कारण सरकार अपनी छटपटाहट और झल्लाहट चायनीज ऐप्स पर उतार रही है लेकिन कोरोना आपदा के नाम पर गठित 'पीएम केयर्स फंड' में बड़े पैमाने पर चायनीज कम्पनियों द्वारा दिए गए रकम के प्रश्न पर इधर-उधर झाँकना शुरू कर देते हैं।

बार-बार पीएम केयर्स फंड को लेकर उठने वाले सवालों का सार्थक और तथ्यात्मक जबाब देने के बदले  सरकार बौखला क्यो जाती हैं ? आखिर सरकार इस फंड की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बहाल करने की मंशा क्यों नहीं दिखाती ? सवाल महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सरकार जबाब देना नहीं चाहती। आइए सबसे पहले जानते हैं 'पीएम केयर्स फंड' को ....

जब भारत सहित समूचा विश्व भयावह वैश्विक आपदा कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण से लड़ने की अपनी-अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में जुटे रहे उसी दौरान भारत में प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी ने देशव्यापी लॉकडाउन का घोषणा किया। आम जनता अपने-अपने घरों में कैद हो गई, व्यापार-वाणिज्य ठप्प हो गया, गरीबों के लिए रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई और इसी तमाम मुसीबतों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने कोरोना संकट से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए पीएम सिटिजन असिस्टेंस ऐंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस फंड (Prime Minister’s Citizen Assistance And Relief In Emergency Situations Fund) अर्थात 'पीएम केयर्स फंड' की घोषणा 27 मार्च 2020 को किया और 28 मार्च 2020 को अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर देश के नागरिकों और पूँजीवादी कॉरपोरेट घरानों से इस फंड में दान करने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि-

"इस फंड में जो पैसा आएगा, उससे कोरोना वायरस के खिलाफ

चल रहे युद्ध को मजबूती मिलेगी और स्वस्थ भारत बनाने की दिशा में ये एक लंबा रास्ता तय किया जा सकेगा।"

प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद कई क्षेत्रों से रकम आने शुरू हो गए। अनेक उद्योगपति, सेलिब्रिटीज़, कंपनियाँ और आम आदमी ने भी इसमें अपना योगदान दिया।

रिपोर्टों के मुताबिक़ एक सप्ताह के अंदर इस फंड में 65 अरब रुपए इकट्ठा हो गए। वर्तमान समय में माना ये जा रहा है कि अब ये राशि बढ़कर लगभग 100 अरब रुपए हो चुकी है।

प्रधानमंत्री के इस घोषणा के बाद से लगातार विपक्षी दलों द्वारा इस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।

केंद्र में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सांसद उदित राज ने उसी समय सरकार पर निशाना साधते हुए सरकार से पूछा

-  "पीएम रिलीफ फंड पहले से है, तो फिर पीएम केयर्स फंड क्यों ? इसमें बड़ा घोटाला दिखता है।"

Why was PM CARE created? Why are PM & 3 ministers members of this trust without any opposition or civil society leaders?”

इसके बाद उन्होंने 30 मार्च 2020 को एक ट्वीट करते हुए सरकार पर हमला बोला और लिखा –

"इनकी नीयत पर डाउट है, जब पीएम रिलीफ फंड पहले से है तो पीएम & केयर फंड क्यों? नाम ही रखना था तो पीपुल्स फंड, कोरोना फंड या जनता फंड रखते। कोई बड़ा गड़बड़ घोटाला या प्रचारबाजी ही इनका लक्ष्य दिखता है।"

कानून के क्षेत्र के एक व्यक्ति कुंडकुरी श्री हर्ष ने आरटीआई (RTI)  के तहत इस फंड के बारे में जानकारी माँगी। कुंडकुरी ने एक अप्रैल को दायर अपनी याचिका में उन दस्तावेज़ों की मांग की थी, जिससे ये पता चले कि ट्रस्ट का गठन कैसे हुआ और ये कैसे काम करता है।

प्रधानमंत्री द्वारा बनाए गए इस ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, इसके अलावा इस ट्रस्ट के सदस्यों में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री श्री अमित शाह और  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और उनके कैबिनेट के तीन कद्दावर मंत्री इसके ट्रस्टी हैं और इन तीनों ट्रस्टी का चयन प्रधानमंत्री ने स्वयं किया है।

प्रारम्भ में सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि -  कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी से उत्पन्न किसी भी प्रकार की आपात स्थिति या संकट से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य से एक विशेष राष्ट्रीय कोष बनाने की आवश्यकता है, और इसी को ध्यान में रखते हुए और इससे प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए 'पीएम केयर्स फंड' के नाम से एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट बनाया गया है।

अब अहम सवाल यह है कि जब यह ट्रस्ट सरकारी नहीं है तो -

★  प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, वित्तमंत्री किस हैसियत से इस ट्रस्ट का हिस्सा हैं ?

★ अगर ये प्राइवेट ट्रस्ट है तो सरकार की एजेंसियां एवं बीजेपी के नेता इसे सरकारी कोष की तरह क्यों प्रचारित कर रहें हैं ?

★ पीएम केयर्स की वेबसाइट में gov.in का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है ?

★ पीएम केयर्स फंड की बेबसाइट पर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है ? जबकि राष्ट्रीय चिन्ह का इस्तेमाल केवल सरकारी संस्थाएँ ही कर सकती हैं।

भारत में इस प्रकार की कोई भी ट्रस्ट का गठन और क्रियान्वयन इंडियन ट्रस्ट एक्ट,1882 के तहत होती है। किसी भी धर्मार्थ ट्रस्ट के लिए यह जरूरी होता है कि उसकी एक ट्रस्ट डीड बने जिसमें इस बात का स्पष्ट जिक्र होता है कि संबंधित ट्रस्ट किन उद्देश्यों के लिए बना है, उसकी संरचना क्या होगी और वह कौन-कौन से काम किस ढंग से करेगा, इसके बाद ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन होता है। जबकि पीएम केयर्स फंड की ट्रस्ट डीड, और इसका रजिस्ट्रेशन की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।

इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता पंकज पुनिया ने भी 30 मार्च 2020 को अपने ट्वीट के जरिये सरकार को घेरते हुए लिखा था -

"पीएम रिलीफ फंड नेहरू जी ने बनाया था। बाकायदा ऑडिट होता है। पीएम केयर्स नमो नारायण की संस्था है। जिसका ऑडिट पता नहीं होगा भी या नहीं ? खून में व्यापार है"

बाद में सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया कि पीएम केयर्स फंड का अंकेक्षण (ऑडिट) भारत सरकार के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) यानी कैग (CAG) के द्वारा नहीं किया जाएगा।

सरकार ने इस फंड के ऑडिट के लिए एक प्राइवेट कंपनी SARC & Associates का चयन किया है। इस ऑडिटर कम्पनी के चयन पर भी अनेक प्रश्नचिन्ह हैं। इस ऑडिटर कंपनी को ऑडिट करने का अधिकार नीलामी प्रक्रिया द्वारा प्राप्त नहीं हुआ है।

बताया जाता है कि ऑडिटर एजेंसी SARC & Associates के साथ बीजेपी और स्वंय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के गहरे रिश्ते हैं। इस कम्पनी की अगुवाई एस के गुप्ता करते हैं जो बीजेपी की नीतियों के बड़े और मुखर पैरोकार रहे हैं।  उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के प्रिय और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'मेक इन इंडिया' पर एक किताब भी लिखी है। एस के गुप्त विदेशों में सरकारी छत्रछाया में सरकार की  सहायता से अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन भी करते हैं। उन्होंने पीएम केयर्स फंड में दो करोड़ रुपए भी दिए हैं। ऐसे में इस ऑडिटर एजेंसी के अंकेक्षण पर सवाल और शंकाएं स्वभाविक हो जाती हैं।

कांग्रेस के तेजतर्रार सांसद शशि थरूर 30 मार्च 2020 को एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा –

"ये जरूरी है, आखिर आसानी से पीएमएनआरएफ को पीएम-केयर्स फंड नहीं कर दिया जाता ? बजाय अलग पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाने के, जिसके नियम और खर्चे पूरी तरह से अस्पष्ट है"

इससे पहले 29 मार्च 2020 को देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी और कॉरपोरेट मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया की पीएम केयर्स फंड में दी जाने वाली राशि को कंपनियों की CSR के मद में शामिल किया जाएगा। पीएम केयर्स फंड का बैंक अकाउंट भारतीय स्टेट बैंक की नई दिल्ली स्थित मुख्य शाखा में है। इस कोष में दी जाने वाली दान राशि पर धारा 80 (जी) के तहत आयकर से छूट दी जाएगी।

एक दिलचस्प बात यह भी है कि भारत या भारत से बाहर के लोग और संस्था भी पीएम केयर्स फंड में दान दे सकते हैं।  उच्चायोगों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई मीटिंग में पीएम केयर्स ट्रस्ट के लिए विदेश से भी चंदा लेने की जरूरतों पर जोर दिया गया था।

मोदी सरकार ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड में विदेशी राशि भी स्वीकार किए जाएंगे ताकि कोविड- 19 के खिलाफ लड़ाई को और  गति प्रदान किया जा सकें। हालांकि सरकार का यह निर्णय पूर्ववर्ती सरकारों के फैसले के विपरीत है।

इससे पहले वर्ष 2004 में जब हिन्द महासागर में आई सुनामी के कारण दक्षिण भारत मे भीषण तबाही हुई थी तो भारत सरकार ने विदेशी चन्दा लेने से इनकार कर दिया था। ऐसे में पारदर्शिता की और अधिक जरूरत है ताकि देश ये जान सके कि विदेशी चंदा कहाँ से और किससे प्राप्त हो रही है। लेकिन इस संबंध में भी सरकार की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं नहीं कराई गई है।

हालांकि विदेशी चंदे के इस मुद्दे पर जब विपक्षी दलों ने उस समय सरकार को घेरा तो सरकार की ओर से सफाई दिया गया था कि - "पीएम केयर्स फंड केवल उन व्यक्तियों और संगठनों से दान और योगदान स्वीकार करेगा जो विदेशों में आधारित हैं और यह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के संबंध में भारत की नीति के अनुरूप है।"

वर्तमान समय सीमा पर चीन के साथ तनातनी के बीच  पीएम केयर्स फंड में योगदान देने वाले चायनीज कम्पनियों को लेकर सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पर रहा है। सरकार एक ओर चायनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगा रही है दूसरी ओर चीनी कम्पनियों से चंदा उगाही कर रहा है जो राजनैतिक विश्लेषकों को हैरान कर रहा है।

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए चायनीज कम्पनियों द्वारा दी गई रकम के संदर्भ में बताया कि -

■  विवादास्पद कंपनी हुवावे (HuaWei) से 7 करोड़ रुपये मिले हैं।  जबकि हुवावे का चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से सीधा संबंध बताया जाता रहा है।

■  चीन की कंपनी TikTok ने पीएम केयर्स फंड में 30 करोड़ रुपये का दान किया है ।

■  PayTm, जिसके पास 38 प्रतिशत चीनी स्वामित्व है ने 100 करोड़ रुपये, OPPO ने 1 करोड़ फंड में दिए हैं।

इधर कांग्रेस नेता सिंघवी ने पूछा,

  • "क्या प्रधानमंत्री मोदी ने PMNRF में मिले दान को पीएम-केयर्स फंड में डायवर्ट कर दिया है? और कितने करोड़ की राशि डायवर्ट की गई है?”

सिंघवी ने कहा कि रिपोर्टे दर्शाती हैं कि 20 मई, 2020 तक फंड को 9,678 करोड़ रुपये मिले। चौंकाने वाली बात यह है कि चीनी सेनाओं ने हमारे क्षेत्र में घुसपैठ की है, लेकिन प्रधानमंत्री ने चीनी कंपनियों से फंड में पैसा लिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा, “अगर भारत के प्रधानमंत्री विवादास्पद और अपारदर्शी निधि में चीनी कंपनियों से सैकड़ों करोड़ रुपये के दान को स्वीकार करके अपनी स्थिति से समझौता करेंगे, तो वह चीनी आक्रामकता के खिलाफ देश की रक्षा कैसे करेंगे?”

ऐसा नहीं कि पीएम केयर्स फंड को लेकर सवाल सिर्फ़ विपक्ष  उठा रहा है, सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेंदर सिंह हुडा का कहना है कि सूचना देने में फंड मैनेजर्स की कथित अनिच्छा समझ से परे है।

सुरेंद्र हुडा ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी लेकिन उस समय उन्हें अपनी याचिका कोर्ट से इस लिए वापस लेनी पड़ी थी क्योंकि क़ानून के मुताबिक़ पहले उन्होंने पीएमओ से संपर्क नहीं किया था। अब उन्होंने पीएमओ को ईमेल किया है और अब फिर से जवाब के लिए कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

सुरिंदर सिंह हुडा कहते हैं- "मैं चाहता हूँ कि वे अपनी वेबसाइट पर सूचनाएँ जारी करें। ये बताएँ कि उन्हें कितना पैसा मिला, कहाँ से मिला और उसे कहाँ ख़र्च किया गया ?"

हुड्डा ने कहा- "पारदर्शिता क़ानून के शासन का आधार है और अपारदर्शिता से गुप्त मक़सद की बू आती है।"

सवाल अब भी वहीं हैं, आखिर क्या वजह है कि जब पहले से ही प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष है तो पीएम केयर्स ट्रस्ट बनाने की क्या आवश्यकता ? और जब ट्रस्ट बनाया ही गया तो इसके रजिस्ट्रेशन, नियम तथा कोष में जमा की गई रकम तथा उनके खर्च का सार्वजनिक ब्यौरा क्यों नहीं है ? क्या पीएम केयर्स फंड भी 2019 में पुलवामा हमले के बाद शहीद जवानों के परिजनों को मदद पहुंचाने के लिए बनाई गई ‘भारत के वीर’ नामक ट्रस्ट की तरह बिना कोई सार्वजनिक जानकारी वाला ट्रस्ट बनकर रह जाएगा ?

दया नन्द (स्वतन्त्र टिप्पणीकार एवं शिक्षाविद) दया नन्द
(स्वतन्त्र टिप्पणीकार एवं शिक्षाविद)

कभी शहीद जवानों के नाम पर, कभी वैश्विक महामारी के नाम पर कब तक इस तरह के ट्रस्ट के निर्माण कर उसमें जमा रकम और उसके खर्च की जानकारी छुपाई जाती रहेंगी ?

मसला न केवल बेहद संगीन है बल्कि आपराधिक भी है।

फ़िलहाल तो देश यह जानना चाहता है कि कोरोना जैसी वैश्विक आपदा के इस कठिन वक्त में पीएम केयर्स फंड में जमा रकम का प्रयोग बीजेपी के बहुमंजिला पार्टी कार्यालयों के निर्माण में,  विभिन्न राज्यो में होने वाले चुनाव या राज्यों में सरकार गठन में तो नहीं होने वाला है ?

उम्मीद करता हूँ कि देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी स्थिति की गम्भीरता को समझते हुए पीएम केयर्स फंड के संदर्भ में उठने वाले तमाम शंकाओं को दूर करते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ स्थिति को जल्द ही स्पष्ट करेंगे ।

दया नन्द

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