नई दिल्ली, 12 दिसंबर 2020. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन और तेज हो गया है। इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि वर्तमान किसान आंदोलन ने बता दिया है कि भारतीय किसानों में हनुमानजी की शक्ति है।
“तुलसीदास के रामचरितमानस के किष्किन्धाकाण्ड में ये पंक्तियाँ हैं :
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना॥
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥
कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥
राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥
कनक बरन तन तेज बिराजा। मानहुं अपर गिरिन्ह कर राजा ॥
सिंहनाद करि बारहिं बारा। लीलहिं नाघउं जलनिधि खारा॥
सहित सहाय रावनहि मारी। आनउं इहां त्रिकूट उपारी॥
जामवंत मैं पूंछउं तोही। उचित सिखावनु दीजहु मोही॥
एतना करहु तात तुम्ह जाई। सीतहि देखि कहहु सुधि आई॥
तब निज भुज बल राजिवनैना। कौतुक लागि संग कपि सेना॥
ये पंक्तियाँ रामेश्वरम में भगवान राम की सेना के समुद्र तट पर पहुंचने के बाद एक घटना से संबंधित हैं। जाम्बवंत ने देखा कि हनुमानजी गहरे चिंतन में अकेले बैठे हैं। जाम्बवंत, जो
"आप चुप क्यों हो ?
आप पवन देवता के पुत्र हैं
और पवन की ताकत हैं
आप ज्ञान से भी भरे हुए हैं
दुनिया में ऐसा क्या है जो आप नहीं कर सकते हैं?
आप भगवान राम की सेवा करने के लिए बने हैं”
इन शब्दों को सुनकर, हनुमानजी की आकृति बढ़ने लगी, और पर्वत के समान विशाल हो गए। उनका शरीर सोने की तरह चमकने लगा और वह शेर की तरह दहाड़ने लगे, वह चिल्लाए कि वह निगल जाएंगे और समुद्र को पार कर जाएंगे। फिर उन्होंने जाम्बवंत से उन्हें अच्छी सलाह देने के लिए कहा, और इस पर जाम्बवंतजी ने उन्हें केवल लंका जाकर सीता के कल्याण का पता लगाने के लिए कहा।”
श्री काटजू ने कहा कि सरकार गलतफहमी में है। किसान समुदाय इस देश का विशाल समुदाय है और इस आंदोलन ने देश भर के किसानों को एकजुट कर दिया है। भाजपा द्वारा 700 चौपालें लगाए जाने की घोषणा पर उन्होंने कहा कि ये बिल्कुल हनुमान जी की पूँछ में आग लगाने जैसा है, जिससे अंततः लंका ही जलेगी।
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