भोपाल, 28 मई। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) अभूतपूर्व जल संकट (Water Crisis) का सामना कर रहा है। जल स्रोत (Water Resources) लगातार सूख रहे हैं, और जल स्तर नीचे जा रहा है। कभी जल स्तर (Water Level) 60 से 70 फुट पर हुआ करता था, जो अब 60 से 70 मीटर नीचे पहुंच गया है। यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं राज्य के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांस ने किया है।
राजधानी भोपाल में कल मंगलवार को 'पेयजल स्रोतों के स्थायित्व' पर आयोजित कार्यशाला में पांसे ने कहा,
"पृथ्वी पर जीवन को कायम रखने के लिए जल स्रोतों को अक्षुण बनाए रखने की जरूरत है। भूमिगत जल भंडारों की स्थिति निर्धारित करने और भू-जल भंडार बढ़ाने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।"
श्री पांसे ने आगे कहा,
"पानी जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है, या यूं कहें कि अनिवार्य शर्त है। एक तरफ पानी निकालना तो बदस्तूर जारी है, परन्तु भूमि में पानी डालने की न तो चिंता की जा रही है और न ही प्रयास चल रहे हैं। आज हम ऐसी खतरनाक स्थिति में पहुंच गए हैं कि कभी समाप्त न होने वाले भू-जल के भण्डार सूखने लगे हैं। जल स्तर 60-70 फुट के बजाय 60-70 मीटर नीचे तक पहुंच गया है।"
प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने कहा,
"लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, पीरामल फाउंडेशन और अन्य भागीदारों के साथ प्रदेश के सात जिलों में स्वजल योजनाओं को लागू करने के लिए कार्य किया जा रहा है। वहीं पेयजल की चुनौतियों का सामना करने के लिए