Hastakshep.com-आपकी नज़र-Fake Journalism Of Media-fake-journalism-of-media-कोरोना से तबाह करना है-koronaa-se-tbaah-krnaa-hai-मलेशिया-mleshiyaa-हिन्दपीढ़ी (रांची)-hindpiiddhii-raancii

10 अप्रैल को झारखंड के कई प्रमुख समाचारपत्रों में प्रमुखता से यह खबर छपी कि रांची के हिन्दपीढ़ी में सैनिटाइज करने गये सफाईकर्मियों और इंफोर्समेंट टीम पर लोगों ने अपने छतों पर से थूका (People spit on their roofs on the sanitation workers and the enforcement team who went to sanitize Ranchi's Hindpiri) और 10-10 रूपये के नोट पर भी थूककर छत से नीचे फेंका। साथ ही रांची नगर निगम के पास भी मोटरसाइकिल से आये दो व्यक्ति ने 100-100 रूपये के नोट पर थूककर फेंका और 'कोरोना से तबाह करना है' के नारे भी लगाये। समाचारपत्रों में यह भी खबर छपी कि हिन्दपीढ़ी के लोगों के इस 'नापाक' हरकतों के कारण सफाईकर्मियों व इंफोर्समेंट टीम ने हिंदपीढ़ी में काम करने से मना कर दिया।

समाचारपत्र में छपी यह खबर पढ़ते ही पूरे झारखंड में मुसलमानों को कोसना शुरू हो गया और कोरोना महामारी के लिए मुसलमानों' व जमात के लोगों को जिम्मेदार ठहराये जाने की होड़ शुरु हो गयी।

कई प्रगतिशील लोग भी समाचारपत्रों में छपी खबर को ही 'अंतिम सत्य' मानते हुए हिंदपीढ़ीवासियों के 'कुकृत्य' की भर्त्सना व उनपर कठोर से कठोर कार्रवाई की मांग करने लगे।

सोशल साइट्स पर तो हिंदपीढ़ीवासियों को मानवता का दुश्मन ही कुछ लोगों ने घोषित कर दिया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने हिंदपीढ़ी के लोगों पर सीधी कार्रवाई की मांग की, जबकि रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा (जो भाजपा से जुड़ी हुई है) ने इसे मानवता को शर्मसार करने वाला कुकृत्य बताते हुए सफाईकर्मियों की सुरक्षा की मांग करते हुए सफाईकर्मियों के काम पर ना जाने की धमकी तक दे डाली।

स्वाभाविक सी बात है कि यही समाचारपत्र हिंदपीढ़ी भी पहुंचा, जब हिंदपीढ़ीवासियों ने इस समाचार को पढ़ा तो उन्होंने इसका खंडन करते हुए एक पत्र झारखंड सरकार, रांची जिला प्रशासन और मीडिया के नाम लिखा। पत्र लिखनेवालों में पूर्व पार्षद मो. असलम, अमन यूथ

सोसाइटी के अध्यक्ष अफरोज आलम, झारखंड मुक्ति युवा मोर्चा के अध्यक्ष मो. शाहिद, युथ कांग्रेस के सचिव मो. शादाब खान समेत हिंदपीढ़ी की सभी निवासी शामिल हैं।

झारखंड सरकार, रांची ज़िला प्रशासन और मीडिया के नाम पत्र

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रांची से प्रकाशित सभी प्रमुख अखबार ने मुस्लिम बहुल हिंदपीढ़ी को बदनाम करने की मंशा से झूठी और मनगढंत खबर प्रकाशित की है। जिसका सारा समाज खंडन करता है। यह मानवमूल्यों, संवैधानिक मूल्यों और पत्रकारीय मूल्यों के विरुद्ध है। यदि रांची नगर निगम के कर्मचारियों पर थूकने वाली बात आरोप नहीं हक़ीक़त है, तो इसके सबूत सार्वजनिक किए जाएं।

बिंदुवार ये मांग है:

  1. ये कथित घटना कितने बजे की है और कहां पर की है ? स्पष्ट किया जाए।
  2. कितने कर्मचारी उस समय घटना स्थल पर तैनात थे ? इसका ब्यौरा दिया जाए।
  3. आज कल हर किसी के पास मोबाइल हुआ करता है, गर लोग दुर्व्यवहार कर रहे थे (जैसा आरोप है) तो उसका वीडियो या फ़ोटो क्यों नहीं लिया गया?
  4. प्रशासन ने हिंदपीढ़ी में हर जगह पुलिस तैनात किए हैं, तब पुलिसकर्मी क्या कर रहे थे? कर्मचारियों ने तत्काल पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी और यदि दी तो पुलिस ने कार्यवाई क्यों नहीं की?
  5. प्रशासन ड्रोन से निगरानी करा रहा है, इसकी फुटेज समय और स्थान अनुसार निकल सकती है। पीड़ित कर्मी और आरोपी की पहचान हो सकती है। इसे सार्वजनिक किया जाए।
  6. नगर निगम कार्यालय के पास जाकर भी गलत नारे लगाने और नोट पर थूक कर फेंकने के आरोप हैं। निगम के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज सार्वजनिक की जाए।
  7. हिंदपीढ़ी सील कर दिया गया है। प्रशासन द्वारा लोगों के राशन और दवा आदि के लिए इलाके के 24 कार्यकर्ताओं को बाहर निकलने की अनुमति दी है। 9 अप्रैल गुरुवार को ऐसे लोगों को भी पुलिस ने बाहर नहीं निकलने दिया, तो हिंदपीढ़ी के दो युवक कैसे निगम तक बाइक से चले गए।
  8. जिस कर्मचारी के सूचना के आधार पर निगम के अधिकारी ने अखबारों को बयान दी..उस कर्मचारी को स्थल पर ले जाकर सच्चाई की पड़ताल की जाये। जो भी दोषी निकले, उस पर क़ानूनसंगत कार्रवाई होनी चाहिए।
  9. हिंदपीढ़ी एक बड़ी घनी आबादी वाला क्षेत्र है. सफाई कर्मचारी किसी एक गली-नुक्कड़ की शिकायत किया हो। लेकिन खबर से ऐसा प्रतीत हो रहा मानो पूरे इलाके के लोग ऐसी घटिया काम में सक्रिय है..पूरे इलाके को बदनाम करने के लिए अखबारों को माफी मांगनी चाहिए..

उक्त सारे सवालों के जवाब देने का आग्रह है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम सभी ऐसे कर्मचारियों को तत्काल सस्पेंड करने और उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई कर सज़ा देने की मांग करते हैं। आग्रह करते हैं।

प्रभात खबर, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर समेत ऐसी खबर छापने वाले सभी अखबार के रिपोर्टर, सम्पादक और प्रकाशक के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग करते हैं।

इस पत्र को लिखने के अलावा हिंदपीढ़ीवासियों ने गुरुनानक स्कूल में बनाये गये कंट्रोल रूम का घेराव भी किया, जिसमें रांची नगर निगम के वार्ड 23 की पार्षद डॉ. साजदा खातून और वार्ड 22 की पार्षद नाजिया असलम के पति मो. असलम भी शामिल हुए।

घेराव कर रहे लोगों ने एक स्वर में कहा कि यह हिंदपीढ़ी को बदनाम करने की साजिश है। सफाइकर्मी और इंफोर्समेंट टीम झूठा आरोप लगा रही है।

वार्ड 45 के पार्षद नसीम गद्दी का कहना है कि नगर निगम के सभी लोग तो गाड़ी में बैठे थे, दरअसल यह एक बड़ी साजिश है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए व  वार्ड 21 के पार्षद मो. एहतेशाम भी सफाईकर्मी और इंफोर्समेंट टीम को झूठा बताते हुए कहा कि अगर ऐसी कोई घटना घटी थी, तो इन्होंने वार्ड पार्षद को क्यों नहीं बताया। दरअसल ये लोग यहाँ काम ही नहीं करना चाहते हैं, काम से भागने के लिए ये लोग बहाना बना रहे हैं।

वार्ड 23 की पार्षद साजदा खातून ने अलग से नगर आयुक्त को एक पत्र लिखकर कहा है कि नाला रोड में सैनिटाइज कर रहे सफाईकर्मियों और इंफोर्समेंट टीम के उपर किसी ने नहीं थूका है। उन लोगों  द्वारा लगाया गया आरोप सरासर झूठ है।

इन्होंने पत्र में दावा किया है कि मैं हमेशा सफाईकर्मियों की मदद करती हूं, तब भी अगर थूकने की घटना हुई तो मुझे जानकारी क्यों नहीं दी गयी ??

इधर, इंफोर्समेंट ऑफिसर शिवनंदन गोप समेत नरेश महली, संजीव कुमार, रामवृत्त महतो, राजेश कुमार गुप्ता ने हिंदपीढ़ी थाना में आवेदन दिया है कि चलती गाड़ी में ऊपर से थूका गया, लेकिन अंधेरा होने के कारण किसी का चेहरा नहीं देख सके, इसलिए जांचकर कार्रवाई की जाय। उनके आवेदन पर सनहा दर्ज कर मामले की जांच की गई है। कोतवाली डीएसपी अजीत कुमार विमल ने एसएसपी को जांच रिपोर्ट भी सौंप दी है।

11 अप्रैल के दैनिक जागरण अखबार के अनुसार डीएसपी ने नाला रोड, हिंदपीढ़ी में थूकने के मामले की जांच की और इसमें कोई सत्यता नहीं पायी गयी है।

मालूम हो कि झारखंड में पहला कोरोना पॉजिटीव मरीज (First corona positive patient in Jharkhand) 31 मार्च को रांची के हिंदपीढ़ी से ही मिली थी, जो मलेशिया की रहने वाली थी। उसके बाद फिर 6 अप्रैल को एक महिला और 8 अप्रैल को 5 लोग इसी हिंदपीढ़ी में कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे। 9 अप्रैल से ही पूरा हिंदपीढ़ी सील है और यहाँ पर रैपिड एक्शन फोर्स, एसआइआरबी व झारखंड पुलिस के जवानों ने हिंदपीढ़ी को पुलिस छावनी में तब्दील किया हुआ है। पूरे मोहल्ले की कोरोना जांच का काम चल रहा है।

यहाँ यह भी याद रखना जरूरी है कि जब यहाँ कोरोना पॉजिटिव पहली मरीज मिली थी, उस समय भी कोरोना महामारी के संक्रमण के डर से सफाईकर्मियों ने हिंदपीढ़ी आना बंद कर दिया था, बाद में एक सफाईकर्मी से एक पार्षद पति द्वारा मारपीट की भी घटना ने काफी तूल पकड़ा था।

freelance journalist Rupesh Kumar Singh freelance journalist Rupesh Kumar Singh

निष्कर्षतः कह सकते हैं कि झारखंड की हिंदपीढ़ी की घटना पूरे देश में चल रहे मुसलमानों के प्रति प्रशासन की मानसिकता को ही दर्शाती है। जब पूरा विश्व इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए एकजुट हो रही है, वहीं हमारे देश की 'गोदी मीडिया' एक जहरीले वायरस की तरह भारत में कोरोना फैलने के लिए 'मुसलमानों' को जिम्मेदार ठहराने में दिन-रात लगी हुई है। इस नफरती वायरस को फैलाने के लिए आज 'गोदी प्रिंट मीडिया' 'गोदी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया' से होड़ कर रही है। आज जब झारखंड में 'हिंदपीढ़ी' को खलनायक के तौर पर देखा जाने लगा है, ऐसे में 11 अप्रैल को रांची के दैनिक जागरण संस्करण में 'जाने क्या-क्या सह गया, हिंदपीढ़ी हिंदपीढ़ी हो गया' शीर्षक से छपी खबर दैनिक जागरण के साम्प्रदायिक मानसिकता व गिरते स्तर को ही प्रदर्शित करती है।

रूपेश कुमार सिंह

स्वतंत्र पत्रकार