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The public is bound to suffer both Corona terror and state terror at the moment: joint statement of Nepali writers, professors and journalists

सँस्कृतिकर्मियों पर बढ़ते राज्य आतंक के विरुद्ध संगठित प्रतिरोध करें !

काठमाण्डू, 17 अप्रैल 2020. नेपाल के लगभग तीन दर्जन लेखकों, प्राध्यापकों और पत्रकारों ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा है कि भारत व नेपाल सहित सारी दुनिया में कोरोना की विश्वव्यापी आतंक के साथ-साथ सत्ता आतंक जारी है।

नेपाल और भारत की जेलों में जीवन काट रहे बुद्धिजीवी, लेखक तथा राज बंदियों जीवन रक्षा और रिहाई के लिए नेपाल के 32 लेखकों, प्राध्यापकों और पत्रकारों की संयुक्त अपील निम्नवत है

कोरोना की विश्वव्यापी आतंक के साथ-साथ सत्ता आतंक जारी है। नेपाल के जनप्रिय कलाकार माइला लामा अन्य राजबन्दियों के साथ कारावास भोग रहे हैं। दुनियाँ भर के बुद्धिजीवियों तथा मानवाधिकारवादियों द्वारा भारतीय जेल में बन्द राजबन्दियों, लेखकों और पत्रकारों प्राध्यापक साईंबाबा, लेखक बरबर राव, बीमार राजनीतिज्ञ कोबाड गांधी आदि की जीवन रक्षा का प्रश्न उठा रहे समय में गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुम्बडे जैसे भारतीय बौद्धिक क्षेत्र में अति चर्चित व्यक्तित्वों को भारतीय  फासीवादी मोदी सरकार ने फिर हिरासत में ले लिया है।

टर्की में बोलने की आजादी को लेकर भूख हड़ताल कर रही साम्राज्यवाद विरोधी कलाकार समूह ‘योरम समूह’ की सक्रिय संस्कृति कर्मी हेलेन बोलेक की २८८ दिन की भूख हड़ताल के बाद मौत हो गयी है। उनके साथ भूख हड़ताल में शामिल दूसरे वरिष्ठ कलाकार इब्राहिम गोगेक की स्थिति भी नाजुक होती जा रही है। जेल से रिहाई के बाद भी हेलेन बोलेक अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और जेल में  रहे साथी कलाकारों की रिहाई की माँग करते हुए भूख हड़ताल पर थी ।

फासीवादी सत्ता के दमन, हिरासत जेल और मृत्यु को गले लगाने को मजबूर हो रहे प्राध्यापक, लेखक, कलाकार, पत्रकार और बौद्धिक चिन्तकों के अभियान में ऐक्यबद्धता दर्शाने तथा सत्ता आतंक के विरुद्ध खुद को खड़ा करना आज

हर प्रगतिशील तथा अभिव्यक्ति के स्वतन्त्रता पक्षधर नागरिकों का कर्तव्य है। इस यथार्थ को आत्मसात करते हुए मृत्यु वरण करने को बाध्य करने वाले टर्की की फासीवादी सत्ता की हम भर्त्सना करते हैं और कलाकार हेलेना बोलेक के प्रति हार्दिक सम्मान और श्रद्धान्जलि व्यक्त करते हैं।

इस वक्त मोदी फासीवाद का भारत भर में विरोध हो रहा है, और जेल और हिरासत में कैद बुद्धिजीवियों के जीवन रक्षा को लेकर भारतीय बुद्धिजीवियों और मानवाधिकारवादियों की तरफ से अविलम्ब रिहाई की माँग उठ रही है। हम मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों की निन्दा तथा भर्त्सना करते हैं, और जेल और हिरासत में बन्द लेखक, कलाकार, प्राध्यापक और पत्रकारों की रिहाई के लिए भारतीय बुद्धिजीवियों द्वारा चलाए जा रहे अभियान का समर्थन करते हैं। इसके साथ ही हम भारतीय जेल और हिरासत में बन्द प्राध्यापक जी.एन. साइबाबा, लेखक तथा चिन्तक बरबर राव, गौतम नवलखा, आनन्द तेलतुम्बडे आदि सभी लेखक, पत्रकार, तथा सामाजिक अभियन्ताओँ की बिना शर्त रिहाई की माँग करते हैं ।

इस वक्त नेपाल में भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है और नेपाली समाज में भय, त्रासदी और आतंक की चरम स्थिति है। नेपाली जनता इस वक्त कोरोना आतंक और राज्य आतंक दोनों एक साथ भोगने को बाध्य है। नेपाल के जेलों में कलाकार और राजनीतिक बन्दी जीवन बिता रहे हैं। न्यायालय से रिहाई के आदेश के बावजूद गृह प्रशासन बार-बार गिरफ्तार कर हिरासत और जेलों में डाल रही है। इन विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जेल में बन्द लोकप्रिय जन कलाकार माइला लामा सहित राजबन्दियों की रिहाई के लिए यहाँ के संस्कृति कर्मी भी आवाज उठा रहे हैं। इसके उलट यहाँ की ओली सरकार ने धरपकड़ जारी रखा है। इस स्थिति में हम जेल में बन्द कलाकार माइला लामा सहित राजबन्दियों की यथाशीघ्र रिहाई के लिए संयुक्त अभियान को आगे बढ़ाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के पक्षधर लेखक, कलाकार, पत्रकार और सामाजिक अभियन्ताओँ से अनुरोध और अपील करते हैं।

संयुक्त प्रतिरोध के लिए संगठित हों !

हस्ताक्षर कर्ता :

१. डा. ऋषिराज बराल : साहित्यकार

२. रोशन जनकपुरी :  साहित्यकार

३. खेम थपलिया : साहित्यकार

४ मित्रलाल पंज्ञानी : साहित्यकार

५. निभा शाह : साहित्यकार

६. खोमा तरामु मगर : साहित्यकार

७ . मोदनाथ मरहट्ठा : साहित्यकार

८. बलराम तिम्सिना : साहित्यकार

९. डा. नन्दीश अधिकारी : प्राध्यापक

१०. शिवनारायण प्रधान : प्राध्यापक

११. शिवनारायण यादव : प्राध्यापक

१२. तक्मा केसी : प्राध्यापक

१३. केदारनाथ गौतम : पत्रकार

१४. देवेन्द्र तिम्ला :   पत्रकार

१५. यादब देवकोटा : पत्रकार

१६. नरेन्द्रजङ पिटर : पत्रकार

१७. सूर्य बराल : पत्रकार

१८. जय दाहाल : पत्रकार

१९. उमेश आचार्य : साहित्यकार

२०. कमल सुवेदी : साहित्यकार

२१. नवीन विभास : साहित्यकार

२२. कपिलचन्द्र पोखरेल  : अधिवक्ता

२३. जनार्दन थापा : लेखक तथा सामाजिक अभियन्ता

२४. आदित्य विष्णु : साहित्यकार

२५. मातृका पोखरेल : साहित्यकार

२६. रोहित दहाल : साहित्यकार

२७. दिलिप श्रेष्ठ : साहित्यकार

२८. मनोहर लामिछाने : साहित्यकार

२९. डम्बर बिके : साहित्यकार

३०. दीर्घप्रसाद पाण्डे : सामाजिक अभियन्ता

३१. परशुराम कोइराला : प्राध्यापक

३२. महादीप पोखरेल : सामाजिक अभियन्ता

 

 

अप्रिल १७, २०२०

 

नोट्स - Helin Bolek, an active cultural activist of the anti-imperialist artist group 'Yoram Group', who is on a hunger strike for the freedom to speak in Turkey, has died after a 26-day hunger strike.

Bolek and a fellow band member, Ibrahim Gokcek, had embarked on the hunger strike while in prison to press the government to lift the ban and free detained band members. They were released in November.

Singer Helin Bolek, 28, of Group Yorum, was protesting against government’s treatment of group.