Hastakshep.com-Opinion-Right to employment for youth-right-to-employment-for-youth-Section 124A in The Indian Penal Code-section-124a-in-the-indian-penal-code-देशद्रोह की धारा 124 (ए)-deshdroh-kii-dhaaraa-124-e-राइट टू एम्प्लॉयमेंट फॉर यूथ-raaitt-ttuu-emplonymentt-phonr-yuuth

छात्र आंदोलन पर अखिलेन्द्र प्रताप सिंह की साथियों से बातचीत

The question of democratic rights along with education and employment remains at the center of this movement.

छात्र-युवाओं की अगुवाई में जो मौजूदा आंदोलन खड़ा हो रहा है, उसकी राजनीतिक दिशा पिछले दिनों चले आंदोलनों से भिन्न है। वह सत्ता की स्वच्छता व जनभागीदारी की बहस तक ही सीमित नहीं है।

निश्चय ही इस आंदोलन की दिशा संघी फासीवाद और मोदी सरकार के निरंकुश राज के विरुद्ध है लेकिन इसने सभी दलों की राजनीति से भी अपनी दूरी बना रखी है।

शिक्षा और रोजगार के साथ लोकतांत्रिक अधिकारों का सवाल इस आंदोलन के केन्द्र में बना हुआ है।

छात्रों के इस आंदोलन में भारतीय दण्ड़ संहिता में मौजूद देशद्रोह की धारा 124 (ए)-  Section 124A in The Indian Penal Code समेत औपनिवेशिक काल के काले कानूनों की आज भी उपस्थिति के औचित्य पर प्रश्न उठा है.

कश्मीर, मणिपुर या पूर्वोत्तर भारत में सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (AFSPA) को हटाने की बात भी इस आंदोलन से उभरी है। राजनीतिक तंत्र, समाज और संस्कृति के सम्पूर्ण जनवादीकरण की प्रबल आकांक्षा और इसके लिए नए राजनीतिक सोच की जरूरत इस आंदोलन में दिखती है।

राजनीतिक दलों की जगह यह आंदोलन सभी वामपंथी, प्रगतिशील, लोकतांत्रिक शक्तियों की एका का समर्थक है।

छात्रों-नौजवानों द्वारा बहुत दिन के बाद राइट टू एम्प्लॉयमेंट फॉर यूथ (Right to employment for youth) नाम का आंदोलन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शुरू किया गया है जो अन्य कैम्पस में भी यह धीरे-धीरे फैल सकता है। जब रोजगार का सवाल आंदोलन का प्रमुख मुद्दा बनेगा तो जाहिरा तौर पर खेती-किसानी और उसके विकास का सवाल प्रमुखता से उठेगा। क्योंकि बगैर कृषि विकास के रोजगार के सवाल को हल कर पाना असंभव है।

आइपीएफ दरअसल जनतंत्रीकरण के इस आकांक्षा की विभिन्न अभिव्यक्तियों, आंदोलनों, व्यक्तियों, समूहों के साथ साझा अभियान का पक्षधर है।

आइपीएफ को खेती-किसानी, रोजगार और

नागरिक अधिकारों पर पहल लेते हुए छात्रों के इस आंदोलन के साथ और एकताबद्ध होना चाहिए।

प्रस्तुति - दिनकर कपूर

Loading...