नई दिल्ली। यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन (Yemen's Ansarullah Movement) ने अमरीका, इस्राईल और सऊदी अरब को दुष्टता व अपराध का त्रिकोण बताते हुए यमन की ओर उनकी लालची निगाहों के अंजाम की ओर से सचेत किया है।
रेडियो ईरान ने अलआलम टीवी चैनल हवाले से खबर दी है कि, अंसारुल्लाह आंदोलन के नेता सय्यद अब्दुल मालिक हौसी ने यमन की क्रान्ति की सालगिरह पर कहा, “21 सितम्बर को यमनी राष्ट्र का शुरु होने वाला गंभीर व ज़िम्मेदारी भरा आंदोलन, वैध मांगों के पूरा होने तक जारी रहेगा।” उन्होंने बल दिया कि यमन की मुश्किल, जटिल और बड़ी थी इसलिए इस देश में व्यापक रूप से क्रान्ति आयी।
खबर के मुताबिक अब्दुल मालिक हौसी ने कहा कि यमन में सऊदी और पश्चिम की पैठ के कारण क्रान्ति आयी। उन्होंने कहा कि यमन की सरकार विदेशी शक्तियों के हाथ की कठपुतली बन गयी थी इसलिए यमन में राजनीति के अभाव के संबंध में और चुप रहना मुमकिन नहीं था।
उन्होंने बल दिया कि उस समय यमन में संप्रभुता नहीं थी और विदेशी, यमन में भ्रष्टाचार की बात को मानते हुए भी उसका समर्थन करते थे और यमन की नीति को अमरीका, सऊदी अरब और
अब्दुल मालिक हौसी ने कहा कि अमरीका, सऊदी अरब और इस्राईल का मुख्य लक्ष्य, यमन पर सैन्य अतिक्रमण था। हौसी ने बल दिया कि सऊदी अरब, अमरीका और इस्राईल, यमन का धीरे धीरे विघटन चाहते थे और अलक़ाएदा की पैठ सहित अनेक बहानों से यमन पर हमला करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि यमन की जनता ने 21 सितंबर को दुश्मन की चाल को नाकाम बना दिया।
अब्दुल मालिक हौसी ने यमन के कुछ राजनैतिक दलों के विदेशी षड़यंत्रों में संलिप्तता का उल्लेख किया और कहा कि विदेश से मिले गुट, राष्ट्रीय वार्ता और उसके परिणाम के ख़िलाफ़ विद्रोह करना चाहते थे और विदेशी पक्ष ने भी यमनी जनता की क्रान्ति का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यमनी राष्ट्र की स्वाधीनता, सम्मान और वजूद को बचाने के लिए क्रान्ति जारी रहेगी।