वास्को-द-गामा (गोवा), 15 नवंबर, (इंडिया साइंस वायर): एक ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण की मार अब कार्यालयों के भीतर कार्यरत कर्मचारियों पर भी पड़ रही है। कार्यालयों के भीतर वायु प्रदूषकों की उच्च सांद्रता का पता लगाने के बाद भारतीय शोधकर्ताओं ने यह खुलासा किया है।
बाहर की अपेक्षा दफ्तर के अंदर ज्यादा था प्रदूषण
There was more pollution in the office than outside
कार्यालयों में पाए गए वायु प्रदूषकों में सूक्ष्म कण यानी पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) प्रमुख रूप से शामिल हैं। बाहरी वातावरण की तुलना में कार्यालय के अंदर पीएम-2.5 और पीएम-1 की अधिक मात्रा दर्ज की गई है। कार्यालयों में वायु प्रदूषकों का स्तर दोपहर की तुलना में सुबह और शाम को अपेक्षाकृत अधिक पाया गया है।
यह शोध नई दिल्ली स्थित केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
इस अध्ययन में कार्यालय कक्ष, प्रयोगशाला और गलियारों में विभिन्न वायु प्रदूषकों की मात्रा का आकलन किया गया है। कार्यालयों के भीतर पीएम-10, पीएम-2.5 और पीएम-1 की अधिकतम सांद्रता क्रमशः 88.2, 64.4 और 52.7 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज की गई हैं। गलियारे में भी इनकी अधिकतम सांद्रता क्रमशः 254.3, 209.4 और 150 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर मापी गई है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, कार्यालयों में वायु प्रदूषकों के बढ़े हुए स्तर के लिए साफ-सफाई और निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल कण, धूम्रपान, वाहनों का प्रदूषण और कमरों का तापमान एवं आर्द्रता मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
दिल्ली के एनएच-2 पर स्थित सीआरआरआई बिल्डिंग काम्पलैक्स में किए इस अध्ययन में प्रयोगशाला में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) की अधिकतम सांद्रता 959.8 पीपीएम आंकी गई है। एनएच-2 भारी ट्रैफिक वाला क्षेत्र है, जहां वाहनों की आवाजाही निरंतर होती रहती है।
एयर कंडीशनर बन रहे हैं दफ्तर में इनडोर वायु प्रदूषण का
Air conditioners are becoming the cause of indoor air pollution in the office
शोधकर्ताओं के अनुसार, कार्यालयों में आंतरिक वायु प्रदूषकों के मिलने का एक प्रमुख कारण उनका वातानुकूलित होना है। एयरकंडीशनर के कारण खिड़कियां और दरवाजे लगभग पूरे समय बंद रहते हैं। इससे वहां प्राकृतिक रूप से हवा की आवाजाही नहीं हो पाती। कार्यालय सड़क के किनारे स्थित होने से बाहरी धूल और वाहनों का धुआं भी आंतरिक वातावरण को प्रदूषित करता है।
सामान्य कमरों की अपेक्षा प्रयोगशाला के भीतर वीओसी की सांद्रता बहुत अधिक पाई गई है। कार्यालयों में उपयोग होने वाले एयर एवं रूम फ्रेशनर, कीटनाशक, प्रयोगशाला के रसायन, डिटर्जेंट के अलावा प्रिंटर, फोटोकॉपी मशीन, स्कैनर, कम्प्यूटर एवं ऑफिस में प्रयुक्त लकड़ी के फर्नीचर और कमरों में सीलन के कारण आंतरिक वातावरण में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक बड़ी मात्रा में बनते हैं।
प्रमुख शोधकर्ता मनीषा गौर ने बताया कि
“आंतरिक वायु प्रदूषण बाहरी वायु प्रदूषण के समान ही हानिकारक है। अभी इसे वैज्ञानिक अवधारणा के तौर पर परिभाषित नहीं किया जा सका है, पर पूरे विश्व में आंतरिक वायु प्रदूषण पर शोध किए जा रहे हैं। इससे निपटने के लिए प्राथमिक स्तर पर आंतरिक वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करना आवश्यक है। प्रदूषकों के स्रोतों के प्रबंधन और हवादार बिल्डिंगों के निर्माण से प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। कार्यस्थलों और घरों में एयर प्यूरीफायर और इन्डोर पौधे लगाने से भी आंतरिक हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।“
क्या है पार्टिकुलेट मैटर
What is particulate matter
पार्टिकुलेट मैटर से तात्पर्य वायु में छोड़े गए हानिकारक अति सूक्ष्म कणों से है। इन कणों का व्यास क्रमशः 10, 2.5 और 1 माइक्रोमीटर होता है। इसी आधार पर इन कणों को पीएम-10 पीएम-2.5 और पीएम-1 में विभाजित किया गया है। वीओसी ऐसे कार्बनिक रासायनिक यौगिक होते हैं जो बहुत जल्दी वाष्पित हो जाते हैं। कुछ वीओसी मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं और वातावरण को भी हानि पहुंचाते हैं।
आंतरिक वायु प्रदूषण से खराब हो रही कार्यालयों की वायु गुणवत्ता का कर्मचारियों की उपस्थिति पर भी असर देखा जा सकता है। इस दिशा में और अधिक शोध तथा समाधान के लिए यह अध्ययन काफी सहायक साबित हो सकता है।
अध्ययनकर्ताओं की टीम में मनीषा गौर के अलावा अनुराधा शुक्ला और कीर्ति भण्डारी शामिल थीं। यह अध्ययन हाल में शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित किया गया है।
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