नई दिल्ली, 25 मई। एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में 20 करोड़ लोग थॉयराइड डिसऑर्डर (Thyroid disorder) से पीड़ित हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं में थायराइड डिसऑर्डर (thyroid disorder in women) की संभावना पुरूषों की तुलना में अधिक होती हैं।
एसआरएल डाएग्नोस्टिक्स (SRL diagnostics) की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार,
कुल आबादी की बात करें तो 20 फीसदी महिलाओं को थायॅराईड एंटीबॉडीज (thyroid antibodies) के लिए पॉजिटिव पाया गया, जबकि पुरूषों में यह संख्या 15 फीसदी थी। वास्तव में 31 से 45 आयुवर्ग की 18 फीसदी आबादी थायराइड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाई गई है। उत्तरी भारत में सबसे बड़ी संख्या में लोग थायराइड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं।
थायराइड डिसऑर्डर का असर थायॅराईड ग्रंथि (thyroid gland) पर पड़ता है, जो एडम्स एप्पल (adams apple) के नीचे गर्दन के सामने वाले हिस्से में स्थित तितली के आकार का अंग है। थायराइड ग्रंथि द्वारा बनाए गए एवं संग्रहित किए गए हॉर्मोन शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। ये हॉर्मोन शरीर की मैटोबोलिक रेट, कार्डियक एवं डाइजेस्टिव फंक्शन्स (दिल एवं पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली), दिमाग के विकास, पेशियों के नियन्त्रण, हड्डियों के रखरखाव एवं व्यक्ति के मूड को विनियमित करते हैं।
एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स
"थायराइड ग्रंथि से दो मुख्य हार्मोन बनते हैं जिन्हें थॉयरॉक्सिन या टी4 और टी3 कहा जाता है। दिमाग में स्थित पियूष ग्रंथि थायराइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन- टीएसएच बनाती है जो टी4 और टी3 की मात्रा पर नियन्त्रण रखता है, इस पर निगरानी बनाए रखता है।"
"पुरूषों की तुलना में महिलाओं का शरीर हॉर्मोनल बदलाव के लिए अधिक संवेदनशील और अधिक प्रतिक्रियाशील होता है। सभी महिलाओं को अपने पहले एंटीनेटल विजिट के दौरान टीएसएच स्तर की जांच करानी चाहिए, गर्भावस्था से पहले तथा गर्भावस्था की पुष्टि होने के बाद भी तुरंत स्क्रीनिंग की जानी चाहिए।"