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मोदी के स्मार्ट सिटी वाराणसी में खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं हजारों की संख्या में बेघर

बदलते श्रम कानून और असंगठित कामगारों के मुद्दों पर जन संवाद

Thousands of homeless people are sleeping under the open sky in Modi's smart city Varanasi

वाराणसी, 08 दिसंबर 2019 . असंगठित  कामगार अधिकार मंच, वाराणसी (AKAM)  द्वारा दिनांक 7 दिसंबर 2019 को देर रात्रि, विश्व बेघर दिवस (World Homeless Day) के अवसर पर वाराणसी में, बेघर समस्या से निपटने के मुद्दों एवं मज़दूरों के बदलते श्रम कानून पर एक जन सभा का आयोजन सर्व सेवा संघ परिसर, राजघाट वाराणसी में किया गया। जिसमें मुख्य वक्ताओं में, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री संजीव सिंह, डॉ आनंद प्रकाश तिवारी, डॉ  मोहम्मद आरिफ, संजय राय सहित शहरी मुद्दों पर कार्यरत सामुदायिक संगठन जैसे नाविक, बुनकर, पटरी दुकानदार, निर्माण मज़दूर, डोम, घरेलू कामगार, ड्राइवर, लाइट वर्कर, एप्प बेस्ड वर्कर आदि ने अपनी बात को रखा।

संजय राय ने कहा कि शहर में पटरी दुकानदारों को अपने रोजगार के लिए कोई स्थायी विकल्प नहीं है वैसे तो नगर निगम द्वारा वाराणसी में 9 वेंडर जोन बनाये गए हैं, लेकिन अभी तक उन वेंडर जोन पर पटरी दुकानदारों के स्थायी रोजगार पर कोई सकारात्मक कार्य नहीं हुआ।

Current situation of construction workers

निर्माण मजदूरों की वर्तमान स्थिति पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि शहर में निर्माण मजदूरों को काम न मिलने की स्थिति में उनकी रोजी रोटी पर प्रभाव पड़ने लगा है इस स्थिति में मजदूर दूसरे शहरों में पलायन करने पर मजबूर है।

सुश्री सुमन ने शहरी गरीब के मुद्दे व बेघर समुदाय की स्थिति पर अपनी बात रखते हुए कहा की पूरे देश में कितने बेघर लोग है इसका सही आंकड़ा सरकार के पास नहीं है लेकिन भारत के सभी प्रमुख शहरों में आज भी हजारों की संख्या में लोग सड़कों के किनारे, नदी के किनारे सोने पर मजबूर है जिससे

ठंड के समय में बहुत सारे मजदूरों की ठंड लगने से मृत्यु हो जाती है जिसका आंकड़ा भी सरकार के पास नहीं है या इस आंकड़े पर वो ध्यान नहीं देते इस लिए जरूरी है कि देश में बेघर समस्या (Homeless problem in the country) को दूर किया जाय।

असंगठित कामगार अधिकार मंच वाराणसी के डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि किसी भी शहर के निर्माण में निर्माण श्रमिकों का प्रमुख योगदान रहता है लेकिन वही समुदाय शहरों में बेघर है, और किसी भी मौसम में सड़क के किनारे अपना गुजर बसर करने पर मजबूर है, क्या सरकार के पास इन बेघर परिवारों को एक घर देने का कोई विकल्प नहीं है। इस गंभीर समस्या पर केंद्र व राज्य सरकार से हम यही मांग करते हैं कि सिर्फ वाराणसी में ही नहीं बल्कि देश के सभी शहरों में ऐसे लोग जो अपने श्रम से बड़े बड़े महलों, रोड, के निर्माण में अपना श्रम देते है उनका सर्वेक्षण करा कर उन्हें आवास का लाभ दे।

वरिष्ठ सामाजिक एवं राजनैतिक चिंतक संजीव सिंह ने कहा कि शहरों में मजदूरों के लिए बने शेल्टर होम मनमानी खोले जाते हैं, शेल्टर होम में जगह न मिलने पर लोग फुटपाथ पर सोने पर मजबूर होते हैं। जिस शहर में हजारों की संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे सो रहे हों, उस शहर को स्मार्ट सिटी बताना उनके साथ बेमानी होगी जो शहर को अपने श्रम से स्मार्ट बनाता है।

विकास के नाम पर उजाड़ा जा रहा है गरीबों की बस्तियों को

चिंतक डॉ. आनंद तिवारी ने कहा कि विकास के नाम पर गरीबों की बस्तियों को उजाड़ा जा रहा है जो कि वे भी वाराणसी के निवासी हैं और लोकतंत्र में अपनी भागीदारी रखते हैं, ऐसे परिवारों को बिना पहले कही व्यवस्थित करने के, परिवार और बच्चों सहित उजाड़ देना कहीं से भी उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश के माननीय प्रधान मंत्री जी वाराणसी से सांसद हैं और वो देश में सभी को घर देने का दावा करते हैं लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही हजारों की संख्या में बेघर प्रतिदिन फुटपाथ पर रात गुजारने को विवश हैं।

बैठक में शहरी गरीबों के बीच कार्य कर रहे अब्दुल कादिर, सुधीर जायसवाल, अमित कुमार, प्रेमशल कुमार, डॉ नूरफात्मा, फजलुर्रहमान अंसारी शाहिद, शीलम झा, शाहीना परवीन, क़ैसर जहां, वरुण कुमार, शरदेन्दु कुमार ने भी बेघर की समस्या पर अपनी बात को रखा। समुदाय से मालती देवी , शारदा देवी, आरती, सुमन यादव, बद्लुदीन ने अपनी समस्याओं को रखा।

बैठक का संचालन असंगठित कामगार अधिकार मंच के डॉ. मोहम्मद आरिफ ने किया।