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ग्राहकों के हक में नहीं है आईयूसी पर ट्राई का कंसल्टेशन पेपर - रिलायंस जियो

नई दिल्ली, 20 अक्तूबर, 2019: रिलायंस जियो ने कहा है कि ट्राई द्वारा आईयूसी पर जारी कंसल्टेशन पेपर (TRAI issued consultation paper on IUC) प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को तोड़ने वाला है। जियो ने आईयूसी को खत्म करने की समयसीमा से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को मनमाना, प्रौद्योगिकी विरोधी, कानूनी रूप से कमजोर, अनुचित, और गरीब विरोधी करार दिया।

ट्राई पर निशाना साधते हुए जियो ने कहा है कि आईयूसी पर ट्राई के मनमाने रवैये से रेगुलेटर की विश्वसनियता पर असर पड़ेगा। साथ ही टेलीकॉम क्षेत्र में निवेशकों के भरोसे पर भी चोट लगेगी।

बताया जाता है कि जियो अब तक आईयूसी के लिए 13 हजार 500 करोड़ रू से ज्यादा दूसरी कंपनियों को दे चुकी है।

रिलायंस जियो ने कहा कि प्रधानमंत्री के विज़न के मुताबिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर देश के हर नागरिक का हक है। पर आईयूसी को बनाए रखने की इच्छा प्रधानमंत्री के इस विज़न को चकनाचूर कर दिया है। कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर चाहते हैं कि पुराना पड़ चुका 2जी का नेटवर्क सदा बना रहे। और देश के 47 करोड़ से ज्यादा ग्राहक जो 2जी नेटवर्क से जुड़े हैं डिजिटल क्रांति के फलों से वंचित रह जाएं। कंसल्टेशन पेपर जारी कर ट्राई इन टेलीकॉम ऑपरेटरों के निहित स्वार्थ को बचाए रखना चाहती है।

ट्राई को अपने जबाव में रिलायंस जियो ने कहा कि कुछ ऑपरेटरों के पास 2जी नेटवर्क से 4जी में अपग्रेड ना करने के अनेकों बहाने हैं। लगता है वे जानबूझ कर ऐसा नही करना चाहते। वे अपने 2जी ग्राहकों का विभिन्न तरीकों से शोषण कर रहे हैं। ये ऑपरेटर 2जी ग्राहकों से वॉयस कॉलिंग के पैसे वसूलते हैं। जबकि जियो के 4जी नेटवर्क पर यह फ्री है। खराब क्वालिटी और ऊंची कीमतों के डेटा की वजह से यह 2जी ग्राहक

डिजिटल सोसाइटी का हिस्सा भी नहीं बन पाते। साथ ही प्रधानमंत्री के सपने ‘ईज ऑफ लिविंग’ (Prime Minister's Dream 'Ease of Living') यानी आराम से जीने के हक भी इससे बाधित होता है। आईयूसी पर ट्राई के कंसल्टेशन पेपर से उन ऑपरेटर्स को बल मिलेगा जो 2जी से 4जी में अपग्रेड करने में आनाकानी कर रहे हैं।

आईयूसी को जारी रखने के पक्ष में तर्क दिया जा रहा है कि कुछ टेलीकॉम कंपनियों की वित्तिय हालात काबू में नहीं है। इसलिए आईयूसी को जारी रखना जरूरी है। रिलायंस जियो के मुताबिक इस तर्क में कोई दम नहीं है। आईयूसी की रकम इतनी बड़ी नहीं होती कि कई हजार करोड़ की कंपनियों की वित्तीय हालात पर इसका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े। रिलायंस जियो का कहना है कि वित्तीय हालात का रोना रोने वाली कंपनियां इसे एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहीं हैं। दरअसल तो वह नए निवेश से बचना और 2जी नेटवर्क को जारी रखना चाहती हैं।

रिलायंस जियो ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के 18 सितंबर को आईयूसी पर जारी कंसल्टेशन पेपर का जबाव देते हुए कहा है कि यह कंसल्टेशन पेपर जल्दबाजी में और बिना किसी सोच-विचार के जारी कर दिया गया है। ट्राई के ढुलमुल रवैये की वजह से अगर आईयूसी को समाप्त करने में देरी की गई तो यह फ्री वॉयस कॉलिंग व्यवस्था को खत्म कर देगा, जो ग्राहक के हक में नहीं होगा।

जानिए क्या है आईयूसी यानी इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज What is IUC i.e. Interconnect Usage Charge

इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज या IUC एक मोबाइल टेलिकॉम ऑपरेटर द्वारा दूसरे को भुगतान की जाने वाली रकम है। जब एक टेलीकॉम ऑपरेटर के ग्राहक दूसरे ऑपरेटर के ग्राहकों को आउटगोइंग मोबाइल कॉल करते हैं तब  IUC का भुगतान कॉल करने वाले ऑपरेटर को करना पड़ता है। दो अलग-अलग नेटवर्क के बीच ये कॉल मोबाइल ऑफ-नेट कॉल के रूप में जानी जाती हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा IUC शुल्क निर्धारित किए जाते हैं और वर्तमान में यह 6 पैसे प्रति मिनट हैं।