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एडवांस कोलोन कैंसर पीड़ित 60 वर्षीय पुरुष का सफल उपचार

दिल्ली: फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग (Fortis Hospital Shalimar Bagh) के डॉक्टरों ने बोधगया बिहार निवासी 60 वर्षीय अरुण कुमार का सफलतापूर्वक उपचार किया। अरुण  डायबिटीज (Diabetes) से भी पीड़ित हैं। अस्पताल में भर्ती करते समय अरुण को रेक्टम में रक्तस्राव (Bleeding in rectum) की शिकायत थी, हालांकि फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में डॉ. प्रदीप जैन, निदेशक, जीआई कैंसर और उनकी टीम द्वारा की गई। संपूर्ण चिकित्सकीय जांच के बाद पाया गया कि मरीज को एडवांस स्टेज का कोलोन कैंसर (Advance stage of colon cancer) है।

कई अन्य जटिलताओं के चलते मरीज को उपचार शुरू करने से पहले करीब 40 दिनों तक गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में हालत स्थिर होने तक रखा गया। उन्हें कीमोथेरेपी (Chemotherapy) और रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) देने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। लेकिन बुखार, ठंड और सांस लेने में परेशानी की वजह से 15 दिन के भीतर उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

कार्डियो जांच से पता चला कि उनके हृदय की पंपिंग की शक्ति (Heart pumping power) काफी कम है - यह 60 फीसदी के औसत के मुकाबले महज 30 फीसदी ही थी। उनकी ऑक्सीजन आपूर्ति भी काफी कम थी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट (Ventilator support) की जरूरत थी।

अरुण के किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney Function Test) से अनियमितताओं का पता चला और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट ने फेफड़ों में सूजन (Lungitis), फ्लूड और लिवर का आकार बढ़ने के बारे में खुलासा किया।

इसके अलावा अरुण को संक्रमण और गॉल ब्लैडर व बाइल डक्ट में स्टोन (पथरी) की शिकायत भी थी।

एंडोस्कोपी प्रक्रिया (Endoscopy Process) के माध्यम से पथरी निकालने के बाद स्टेंटिंग की गई।

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संक्रमण नियंत्रित होने और मरीज की हालत स्थिर होने के बाद उनकी लैप्रोस्कोपिक कैंसर सर्जरी की गई। हालांकि हृदय के अत्यधिक कमजोर होने के कारण यह सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण साबित हुई।

सर्जरी के दौरान उनके रक्तचाप, पल्सरेट, ऑक्सीजन संतृत्पतता और सीओ 2 स्तर पर लगातार नजर रखी गई और इन्हें स्थिर तथा नियंत्रित किया गया।

डॉ. प्रदीप जैन और डॉ. उमेश देशमुख, विभाग प्रमुख, एनेस्थीसिया ने मरीज की सफलतापूर्वक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की।

ऑपरेशन के बाद की अवधि में कोई जटिलता पैदा नहीं हुई और उन्हें एक सप्ताह के भीतर डिस्चार्ज कर दिया गया।

सर्जरी से पहले की जटिलताओं को देखते हुए अरुण की हालत में काफी तेजी से सुधार हुआ।

डॉ. प्रदीप जैन, निदेशक, जीआई कैंसर, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग ने कहा,

’’यह मामला अत्यधिक चुनौतीपूर्ण था क्योंकि अरुण कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें अत्यंत गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था और 40 दिन से अधिक समय तक उन्हें आईसीयू में रखा गया। उनकी हालत स्थिर होनी जरूरी थी ताकि हम कोलन कैंसर के उपचार (Treatment of colon cancer) के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (laparoscopic surgery) कर सकें। यदि रोग का पता शुरूआती चरणों में लगता है तो सर्जरी में इन जटिलताओं से बचा जा सकता था। इसलिए सभी के लिए समय-समय पर नियमित रूप से जांच कराना आवश्यक है। अगर बाउल हैबिट में बदलाव (डायरिया, कब्ज या स्टूल कंस्टिटेंसी), रेक्टल रक्तस्राव, मल में खून आने, पेट में दर्द, क्रैंप, ब्लॉटिंग, आराम न मिलना, अचानक वजन कम होना, अचानक एनिमिया होने जैसे लक्षण दिखाई दें तो इन्हें नजरंदाज नहीं करें। ऐसे लक्षणों के दिखायी देते ही जल्द से जल्द चिकित्सकीय जांच करायी जानी चाहिए।’’

मरीज अरुण कुमार ने कहा,

’’मुझे दो वर्षों से अधिक समय से रेक्टम से रक्तस्राव हो रहा था और मैंने इसे बवासीर समझा क्योंकि मेरे पिछले डॉक्टरों ने इसे बवासीर ही बताया था। काफी समय के बाद यह पता चला कि मुझे कोलोन कैंसर है। मैं जब आईसीयू में था, मेरी स्थिति काफी गंभीर थी और मेरे परिवार को मेरे बचने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन डॉ. प्रदीप जैन और उनकी टीम ने उम्मीद नहीं छोड़ी और मुझे ठीक करने के लिए उन्होंने अपने प्रयास जारी रखे, एक बार में उन्होंने एक समस्या पर ध्यान केंद्रित किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप ही आज मैं स्वस्थ हूं और आसानी से अपना रोज का कामकाज कर पाता हूं।’’

महीपाल सिंह भनोट, फेसिलिटी निदेशक, ने कहा,

’’यह सबसे चुनौतीपूर्ण मामलों में से एक था क्योंकि अरुण कई घातक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे। उनकी हालत स्थिर करना डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। जिस गंभीरता से इस मामले को लिया गया और सफलता हासिल की गई वह अस्पताल की विभिन्न टीमों के बीच सहज समन्वय और टीम भावना का अनूठा उदाहरण है।’’

कोलोरेक्टल कैंसर के मामले पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में कम होते हैं। हालांकि भारत में बढ़ते शहरीकरण के साथ ऐसे मामलों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलोरेक्टल कैंसर पुरुषों में होने वाला तीसरा सर्वाधिक सामान्य और महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है।

भारत में कोलोन कैंसर की वार्षिक दर पुरुषों में प्रति 1,00,000 पर 4.4 और महिलाओं में 1,00,000 पर 3.9 है।



यह समस्त जानकारी एक विज्ञप्ति में दी गई है।

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