तीन साल पहले जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (US President Donald Trump) ने पेरिस समझौते (Paris Agreement) से हाथ पीछे खींचे थे तब उन्होंने महज़ एक प्रशासनिक फ़ैसला नहीं लिया था, बल्कि उन्होंने असल में पूरी दुनिया को जलवायु संकट (climate crisis) में झोंका था। ट्रंप के इस कदम का असर कुछ ऐसा हुआ कि दुनिया भर में जलवायु नीति पर काम करने वालों में हताशा, और मायूसी ने घर कर लिया। लेकिन तीन साल बाद, डोनाल्ड ट्रम्प की हार (Defeat of donald trump) के साथ ही आज उन सभी में जीत की ख़ुशी है। और ये ख़ुशी जो बाइडेन की जीत से ज़्यादा इस बात पर है कि अब बाइडेन के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ वैश्विक जंग (Global war against climate change) में जीत सम्भावना बढ़ गयी है।
बाइडेन-हैरिस जीत
बाइडेन ने चुनावी नतीजों के साफ़ होते ही अमेरिका के लैंडमार्क पेरिस समझौते से वापस जुड़ने के अपने वादे की प्रतिबद्धता फिर से ज़ाहिर भी की।
वैसे पेरिस समझौते से अगर एक बार को बाइडेन न भी जुड़ें तो भी उनके पास तमाम ऐसे विकल्प हैं, जिनकी मदद से वो पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित कर सकते हैं।
बाइडेन अगर चाहें तो ओबामा-युग की पर्यावरण अनुकूल नीतियां (Obama-era eco-friendly policies) बहाल कर सकते हैं, वो चाहें तो उन्हें मज़बूत भी कर सकते हैं। उन नीतियों में जीवाश्म ईंधन के उत्पादन पर लगाम लगाना और ईंधन उपयोग और उपभोग के सख्त नियम शामिल हैं।
बात विदेश नीति की करें तो बाइडेन प्रशासन के पास विदेशी नीति में जलवायु संबंधी विचारों को शामिल करने की काफी छूट होगी। बाइडेन न सिर्फ़ शिपिंग और एविएशन उत्सर्जन (Shipping and Aviation Emissions) पर लगाम कसने के लिए एक वैश्विक प्रयास का नेतृत्व कर सकते हैं, वो जीवाश्म ईंधन सब्सिडी (Fossil fuel subsidy) और आर्कटिक में अपतटीय ड्रिलिंग पर रोक लगाने के लिए भी वैश्विक प्रयास कर सकते हैं।
जो बाइडेन विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी वापस अमेरिका के सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन की दिशा में अपने कार्यों को पुनर्निर्देशित कर सकते हैं।
एक बहस के दौरान जो बाइडेन ने संकेत भी दिया था कि वो न सिर्फ़ ब्राज़ील के साथ अमेज़न वन को आग से बचाने के लिए बात कर सकते हैं, बल्कि वो यूरोपीय यूनियन के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि बाइडेन की आमद यह सुनिश्चित करेगी कि बाइडेन प्रशासन अगर एक ओर जलवायु चैंपियन नियुक्त करे तो दूसरी ओर जीवाश्म ईंधन उद्योग से संबंध रखने वालों से दूरी भी बनाए। ट्रेजरी, एनर्जी, इंटीरियर, और ईपीए सभी महत्वपूर्ण चयन होंगे, लेकिन हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट, स्टेट, डिफेंस, और लेबर सभी को जलवायु शासन पर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। फेड द्वारा और वित्त उद्योग विनियमन में निर्धारित नीतियां निजी क्षेत्र को विशेष रूप से प्रभावित कर सकती हैं, खास तौर से इसलिए क्योंकि यह नीतियां बैंकों और जीवाश्म ईंधन कंपनियों की जवाबदेही तय करेंगी।
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि बाइडेन एक क्लाइमेट लीडर नियुक्त कर सकते हैं या फिर एक जलवायु परिषद भी बना सकते हैं।
वैसे भी नई नीतियों को बनाने की तुलना में नीतियों को पूर्ववत करना ज़्यादा आसान है खास तौर से तब जब कम संघीय कार्यबल के साथ, जो ट्रम्प प्रशासन के दौरान लगातार आलोचना भी झेलता रहा है और गंभीर रूप से कम मनोबल, समझ और ब्रेन ड्रेन से ग्रस्त है। यह तय है कि EPA (ईपीए) और ऊर्जा विभाग जैसी एजेंसियों के कर्मचारियों को राष्ट्रपति या कांग्रेस द्वारा निर्देशित लेखन, कार्यान्वयन और विनियम लागू करने के साथ और अन्य जलवायु संबंधी कार्यों का काम सौंपा जाएगा। नए प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य महत्वाकांक्षी नीतियों को पूरा करने के लिए इन एजेंसियों के भीतर क्षमता को पुनर्जीवित करना होगा।
आगे बात नए कानून बनाने की करें तो सीनेट पर रिपब्लिकन नियंत्रण कुछ मुश्किलें खाड़ी करेगा लेकिन फिर भी पर्यावरण अनुकूल नीतियों को शामिल करने के प्रयासों में बढ़ोतरी अपेक्षित है। सदन में डेमोक्रेटस और सीनेट में उदारवादी रिपब्लिकन के साथ काम करते हुए, नए प्रशासन से स्वच्छ ऊर्जा टैक्स क्रेडिट, रिन्यूएबल जेनेरशन, ऊर्जा भंडारण और कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकियों का विस्तार करने की अपेक्षा है। इमारतों, परिवहन और उद्योग में ऊर्जा दक्षता के उपायों पर भी विचार किए जाने की संभावना है।
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पीपल और प्लेनेट के लिए अधिवक्ता और 350.org की उत्तरी अमेरिका निदेशक, तमारा टोल्स ओ'लॉलिन (Tamara Toles O'Laughlin, Advocate for People & Planet, North America Director 350.org ), का कहना है, “ जो बाइडेन की जीत हमारे लिए एक अवसर है पर्यावरण के लिए कुछ बेहतर करने का।”
उसी तर्ज़ पर क्लाइमेट इक्विटी के लिए वरिष्ठ अभियान रणनीतिकार, एड्रियन सालाज़ार (Adrien Salazar, Senior Campaign Strategist for Climate Equity, Dēmos?) कहते हैं,
“जो बाइडेन और कमला की जीत इस बात का सबूत है कि लोगों ने अपनी आवाज़ उठाई है, और उन्होंने तय किया है कि हम ट्रम्पवाद से उबर चुके हैं, जलवायु परिवर्तन की अनदेखी के दौर से बाहर निकल आये हैं अब जीवाश्म ईंधन निर्माताओं के चंगुल से राजनीतिक व्यवस्था को बाहर निकालने के लिए तैयार हैं। अब हम सब को एक बेहतर भविष्य का इंतजार है।“