उम्भा कांड में दूसरे पक्ष पर मुकदमा करने के आदेश से योगी सरकार का असली चेहरा उजागर : माले
लखनऊ, 4 अक्टूबर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की राज्य इकाई ने सोनभद्र के उम्भा कांड (Umbha massacre of Sonbhadra) में दूसरे पक्ष पर मुकदमा लिखने के स्थानीय अदालत के निर्देश पर निराशा व्यक्त करते हुए योगी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को कहा कि 11 आदिवासी महिला-पुरुषों की हत्या करने वाले भूमाफिया पक्ष की ओर से अदालत में दाखिल आवेदन के खिलाफ यदि राज्य सरकार ने गंभीरता से पैरवी की होती तो यह नौबत नहीं आती। हत्यारे पक्ष की ओर से यह मुकदमा स्पष्ट रूप से हत्या के शिकार पीड़ित पक्ष - आदिवासी गरीबों - पर समझौते के लिए दबाव बनाने के वास्ते किया गया है, जिसमें 90 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस पर योगी सरकार का मौन रहना बहुत कुछ कहता है। न्याय की बाट जोह रहे मृतकों के परिवारीजनों का अब दोहरा उत्पीड़न शुरू होगा। इससे योगी सरकार का असली चेहरा पुनः उजागर हुआ है।
माले नेता ने कहा कि यही है भाजपा का न्याय। यह दिखाता है कि भाजपा और उसकी सरकार वास्तव ने किसके साथ खड़ी है। उन्नाव कांड से लेकर चिन्मयानंद प्रकरण और उम्भा कांड तक में वह आततायियों के साथ खड़ी दिखती है, भले ही दिखावा कुछ और करती हो। गांधी जयंती के नाम पर उ.प्र. विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर महात्मा गांधी को याद करना भाजपा सरकार का ढकोसला है। उसकी कार्रवाइयां हत्यारों और बलात्कारियों को संरक्षण देने की हैं।
राज्य सचिव ने कहा कि उम्भा कांड के बाद मुख्यमंत्री योगी काफी जनदबाव के बाद उम्भा गांव पहुंचे थे और पीड़ित आदिवासियों को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया था। लेकिन ताजा घटनाक्रम से स्पष्ट है कि पलटी मारने में उन्हें ज्यादा देर न
Umbha massacre : CPI-ML raps Yogi Govt for a local court's order to lodge FIR against victims of the massacre