पेड़ पौधों की दुनिया (Tree plant world) अति विस्तृत और आश्चर्यजनक है। अब तक लगभग 4 लाख वनस्पतियों का पता लगाया जा चुका है। और इसके संबंध में अभी व्यापक तौर पर खोज जारी है। पेड़ पौधों की संख्या (Number of trees) अनन्त है फिर भी पेड़ पौधों के विषय में जानकारी (Information about tree plants) मिली है वह बड़ी रोचक है। आइए हम विश्व में पाए जाने वाले कुछ विशिष्ट पेड़ पौधों और उनके स्वभाव व व्यवहार के बारे में जानकारी हासिल करें।
भारत में हिमालय के आसपास कुछ ऐसे पौधे पाए जाते हैं जो रात के अंधेरे में हीरे व रेडियम की भांति चमकते हैं। 'सोम औषधि' नामक एक पौधे में चांदनी से पूर्णिमा की रात (Moon night) तक 15 पत्ते प्रकट होते हैं और अंधेरी रात में अमावस्या तक इसके ये सारे पत्ते गिर जाते हैं तथा पौधा सूखी लकड़ी के समान दिखने लगता है जो रात में चमकता है। कुछ ऐसे पौधे भी पाए जाते हैं, जिनके तने से निकलने वाला विशेष प्रकार का रस अंधेरे में चमकता है। कवकों में कुकुरमुत्ते की कुछ ऐसी जातियां हैं जो रात में कई रंग का सुनहरा प्रकाश उत्पन्न करती है।
कुछ वृक्ष ऐसे भी पाये जाते हैं, जिनकी छाया के तले पड़ने वाली सभी घास जल जाया करती है। 'छोटा नागपुर' स्थान पर पाया जाने वाला ये पेड़ 'काला कोरैया' कहलाता है जिसकी छाया जहां तक जाती है, उतनी दूर तक की सारी घास जल जाती है और यहां की मिट्टी का रंग काला हो जाता है।
मनुष्य के लजाने की बात तो सभी जानते हैं, लेकिन कुछ पेड़ पौधे भी लज्जालु और भावुक होते हैं। 'लाजवन्ती ' या जिसे 'छुई—मुई' (humble plant) भी कहते हैं, मनुष्य के स्पर्श मात्र से शरमा जाते हैं और अपनी पत्तियों को सिकोड़ लेते है।
ऐसा नहीं कि केवल मनुष्य और जंगली जीव—जन्तु ही दु:ख के समय रोते हैं। कुछ पेड़ भी रोते (Weeping trees) हैं। पेक़नरी द्वीप में पाया जाने वाला 'लाउरेल' नामक वृक्ष रोता है। 'मेंड्रक वृक्ष' की शक्ल बहुत कुछ आदमी की तरह होती है और उसे काटने पर या उखाड़े जाने पर वह एक बच्चे की तरह रोने लगता है। विश्व में कुछ ऐसे पौधे भी होते हैं, जो अपने शत्रु की उपस्थिति में भय और मित्र की उपस्थिति में प्रसन्नता महसूस करते हैं।
घुमक्कड़ पौधे
पेड़ पौधे जड़ व अपनी जगह पर स्थिर माने जाते हैं। लेकिन विश्व में कुछ ऐसे पौधे भी होते हैं जो मनुष्य की ही तरह घुमक्कड़ प्रकृति के होते हैं। अमेरिका में 'मैनग्रोव' नामक विशाल पेड़, जो सैकड़ों फुट तक ऊंचे होते हैं, अपनी मंद—मंद गति से चलकर हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर लेते हैं।
कृति-प्रकृति की
इससे कुछ भिन्न 'टूम्बल विड्स' नामक एक घास की प्रजाति है जो रेगिस्तान में पाई जाती है। यह जल के अभाव में अपनी जड़ों को भूमि से अलग कर लेती है और उपयुक्त जल व मिट्टी मिलने पर अपनी जड़े पुन: जमा लेती है।
मानव शक्ल वाले पौधे
कुछ पौधे मनुष्य के शक्ल से मिलते जुलते चेहरे वाले होते है। मेंड्रक वृक्ष' ' जिसकी शक्ल आदमी से एकदम मेल खाती है। एक अन्य प्रकार का पौधा, जिसकी जड़ें एक निर्वस्त्र औरत (Nude woman) की तरह दिखती हैं। जिस कारण इस पौधे को 'नैकेड लेडी' (Naked lady) के नाम से पुकारते हैं।
पानी जमाने वाले पौधे
'जलजमनी' या जिसे 'वाटर प्रजर प्लांट' भी कहते हैं एक विशेष प्रकार का अरोही पौधा होता है जिसकी पत्तियों और तने का रस (सैप) पानी में मिला देने से पूरा पानी बर्फ के समान जम जाता है।
सदाबहार पौधा
संजीवनी बूटी' के नाम से ज्ञात एक पौधा होता है, जो पूरी तरह सूखने के बाद भी पानी में डाल देने पर हरा—भरा दिखार्द देता है।
विशालकाय उदर वाले पौधे
अफ्रीका के देशों में पाया जाने वाला 'एंड्रसोनिया डिजीटोटा' (Adansonia digitata, the African baobab) नामक पौधा विश्व का एक अदभुत पौधा है। इसकी जड़ें जमीन के अन्दर लगभग 100 मीटर की गहराई तक चली जाती हैं। इसके विशालकाय खोखले उदर में पानी भरकर रखा जाता है, जिसे रेगिस्तानी यात्रियों को बेचा जाता है। इस पौधे के एक वृद्ध पेड़ के खोखले तने में 6 हजार लीटर तक पानी समा सकता है।
इस पेड़ के सम्बन्ध में एक आश्चर्य यह है कि इसके मोटे तने को खोदकर उसमें शव दफनाए जाते हैं और बिना दवा लगाए इसके तने में रखा गया शव सैकड़ों वर्षों तक खराब नहीं होता है। आस्ट्रेलिया के एक शहर में इस वृक्ष के तने को जेलखाने के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि पानी का हौज बनाने, शव दफनाने और बन्दीगृह के रूप में उपयोग में लाने के बावजूद भी यह पेड़ सूखता नहीं है। बल्कि लगातार बढ़ता रहता है।
पानी देने वाले पौधे
'अंडमान व निकोबार' में 'वुंक़बाबे' या 'केलेमस अण्डमानिक्स' (Calamus andamanicus in Andaman and Nicobar Islands) नामक एक प्रकार का पौधा पाया जाता है, जिसके पर्णवृन्त में पानी पाया जाता है। इस क्षेत्र के आदिवासियों को जब प्यास लगती है और नजदीक में पानी का कोई स्रोत नहीं होता है तो वे इसी पौधे से अपनी प्यास बुझाते हैं।
वृहद् आकार वाले पौधे
संसार में कुछ इतने विशाल पौधे पाए जाते हैं कि, जिन्हें देखने के लिए गर्दन टेढ़ी करनी पड़ती है। वर्तमान के जीवित पेड़ पौधों में 'सिकोया जाईगौण्टिया' सबसे ऊंचा पेड़ है। यह 120 मीटर अर्थात् 360 फुट तक की उंचाई वाला होता है। इसकी आयु 1000 वर्षों तक आंकी गई है। इस आधार पर पाए जाने वाले समस्त पेड़—पौधों में सबसे दीर्घायु भी है। संसार में सबसे ऊंचा बांस (The tallest bamboo in the world) 121 फुट और सबसे ऊंची घास, जिसे फैली घास कहते हैं 18 फुट की होती है। संसार का सबसे विशाल आकृति वाला फूल 'रेफ्लोशिया' है। इसका व्यास एक मीटर तक होता है। आश्चर्य की बात यह है कि इसकी कोई वास्तविक जड़ नहीं होती। यह एक परजीवी पौधा है, जो किसी अन्य पौधे की जड़ों से चिपककर भोज्य पदार्थ ग्रहण करता है।
सूक्ष्म आकार वाले पौधे
दुनियां में कुछ ऐसे पौधे भी होते हैं जिन्हें हम नंगी आंखों से नहीं देख सकते। 'क्लेमाइडोमोनास' 'स्पाइरोगाइंरा' और 'बालवाक्स' कुछ ऐसे ही जलीय पौधों के नाम (Names of aquatic plants) हैं, जिन्हें देखने के लिए हमें आवर्धित संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की सहायता लेनी पड़ती है।
अजीबो गरीब पौधा
यह एक ऐसा पौधा होता है, जिसकी मांसल पत्तियों के किनारे के खांसों में एक कली पाई जाती है जिसे मिट्टी में दबा देने पर अनुकूल परिकस्थतियों में एक स्वतंत्र पौधा पनप जाता है। इस अजूबे के कारण ही इस पौधे को 'अजूबा' के नाम से पुकारते हैं।
मांसाहारी पौधे
कई देशों में एक प्रकार का मांसाहारी अथवा कीटभक्षी पौधा पाया जाता है। ये पौधा (carnivorous plants names) सर्वाधिक दलदलीय स्थानों में बहुतायत में पाया जाता है जहां की भूमि में नाइट्रोजन की कमी होती है। ये पौधे अपने शरीर के खास अंगों के द्वारा कीड़ों आदि का भक्षण कर आवश्यक नाइट्रोजन को पूरा करते हैं। एशिया के कुछ देशों में पाया जाने वाला एक मांसाहारी पौधा 'पिचरप्लांट; होता है जिसे घटपर्णी या तुम्बिलता भी कहते हैं। इसकी पत्ती का अग्रसिरा एक छोटे से घड़े के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिस पर बैठते ही कीड़े फिसलकर अंदर चले जाते हैं और पौधे का आहार बन जाते हैं। 'फ्लाइट्रैप; नामक पौधे की पत्तियां रोएंदार होती हैं जिन पर बारीक कांटे लगे होते हैं। जब कीड़ा पत्तियों पर बैठता है तो रोएं में उलझ जाता है और इसके बाद पत्तियां मुड़कर कीड़े को दबा लेती हैं।
'युट्रीकुलोरिया' जिसे ब्लैडरवर्ट भी कहते हैं, अधिक दलदली जगहों पर उगता है और जलकीटों को अपना मुख्य आधार बनाता है, 'सनड्यु' भी एक प्रकार का मांसाहारी पौधा होता है, जिसकी पत्तियों के किनारे अनेक चिपचिपे व रसदार कुण्डली के समान संरचनाएं पायी जाती हैं जिनके सम्पर्क में कीट—पतंगे पौधे द्वारा निगल लिए जाते हैं।
इस आश्चर्य जनक और अद्भुत पेड़-पौधों की दुनिया इतनी विशाल और विस्तृत है कि अनेक पेड़-पौधे ऐसे भी है इस पृथ्वी पर, जिनसे हम अभी परिचित नहीं हैं। लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा उनके विषय में व्यापक खोज जारी है। ऐसा भी विचित्र पेड़—पौधों के बारे में जानकारी मिले, पर ये आश्चर्यजनक पेड़—पौधे तभी तक जीवित रह सकते हैं जब तक उन्हें शुद्ध प्राकृतिक वातावरण और उचित संरक्षण मिल सके।
मनीष मोहन गोर
(देशबन्धु में प्रकाशित लेख का संपादित रूप साभार )