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UN's next report on climate change is special, India's eyes are on

upcoming report by the United Nations Intergovernmental Panel on Climate Change on our vulnerability to climate change and our adaptability to it

नई दिल्ली, 11 फरवरी 2022. जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी संवेदनशीलता और इसके प्रति हमारी अनुकूलता पर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी पैनल द्वारा जलवायु परिवर्तन पर आगामी रिपोर्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

28 फरवरी को जारी होगी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अगली रिपोर्ट

इस महीने की 28 तारीख को जारी होने वाली यह बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता और मानव समुदायों को देखते हुए जलवायु अनुकूलन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करेगी। यह रिपोर्ट जलवायु संकट के सापेक्ष दुनिया और मनुष्यों की कमजोरियों और क्षमताओं और सीमाओं की भी समीक्षा करेगी।

मार्च में WGIII की रिपोर्ट AR6 चक्र में प्रकाशित तीन अलग वर्किंग ग्रुप रिपोर्ट  में से अंतिम रिपोर्ट होगी और बाद में फिर एक संश्लेषण रिपोर्ट 2022 में प्रकाशित की जाएगी। 'द फिजिकल साइंस बेसिस' जिसमें जलवायु की वर्तमान स्थिति का विस्तृत विवरण दिया गया था, वह रिपोर्ट 9 अगस्त 2021 को प्रकाशित की गई थी और दूसरी रिपोर्ट 'प्रभाव, अनुकूलन और भेद्यता' (इम्पैक्ट्स, अडॉप्टेशन एंड वल्नेरेबिलिटी) को फरवरी 2022 में प्रकाशित किया जाएगा।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अगली रिपोर्ट की खास बात क्या है?

इस रिपोर्ट की खास बात है कि इसमें नौ भारतीयों का योगदान है। उष्णकटिबंधीय वनों, जैव विविधता हॉटस्पॉट; पानी; पहाड़ों; गरीबी और आजीविका; और जलवायु संकट का एशिया पर प्रभाव जैसे पर विभिन्न अध्यायों में इन

नौ भारतीयों ने योगदान दिया है। रिपोर्ट को दुनिया भर से 330 लेखकों ने मिल कर लिखा है।

संयुक्त राष्ट्र के एक नोट की मानें तो इस रिपोर्ट के तकनीकी सारांश प्रारूप में जलवायु जोखिम ढांचा शामिल होगा जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के खतरे, जोखिम और कमजोरियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा, साथ ही उनका स्थानिक वितरण, व्यापक प्रभाव, आपदा जोखिम में कमी, और जोखिम अनिश्चितताएं आदि विषयों का भी उल्लेख होगा। इस सारांश में जलवायु परिवर्तन जोखिमों को संबोधित करने में अनुकूलन का महत्व भी प्रमुखता से शामिल होगा, जिसमें विविध अनुकूलन प्रतिक्रियाएं, प्रकृति और पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।

आईपीसीसी के इस नोट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के वर्तमान और भविष्य के अवशिष्ट प्रभावों के वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक आर्थिक पहलू, जिसमें अवशिष्ट क्षति, अपरिवर्तनीय नुकसान और धीमी शुरुआत और चरम घटनाओं के कारण आर्थिक और गैर-आर्थिक नुकसान शामिल हैं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछली आईपीसीसी रिपोर्ट की तुलना में, WGII इस बार अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान से अधिक एकीकृत करेगा, और जलवायु परिवर्तन को अपनाने में सामाजिक न्याय की महत्वपूर्ण भूमिका को अधिक स्पष्ट रूप से उजागर करेगा।

संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर अगली रिपोर्ट निम्न पाँच मुख्य बिन्दुओं पर केन्द्रित है -

1.  जलवायु परिवर्तन गंभीर रूप से उन लोगों को और पारिस्थितिक प्रणाली को प्रभावित कर रहा है जिन पर हम निर्भर हैं

2.  बुरे मौसम का दौर हमें अभूतपूर्व नुकसान पहुंचा रहा है

3.  जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (effects of climate change) बदतर होते जा रहे हैं, हाशिये पर स्थित लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है

4.  अनुकूलन बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे कहीं अधिक की आवश्यकता है

5.  इस दिशा में निष्क्रियता की लागत, कमी लाने और अनुकूलन की लागत से कहीं अधिक है

इन सभी बिन्दुओं के दृष्टिगत यह रिपोर्ट भारत जैसे संवेदनशील देश के लिए निश्चित तौर से महत्वपूर्ण साबित होगी और नीति निर्माताओं को जलवायु कार्यवाई करने की दिशा और गति तय करने में मददगार साबित होगी।

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