लखनऊ, 17 दिसम्बर 2019. उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter session of Uttar Pradesh Legislative Assembly) पहले ही दिन मंगलवार को सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में भाजपा विधायक धरने पर बैठ गए। इस मामले में विपक्ष भी उनके समर्थन में आ गया है, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
यह पहला मौका है जब सत्ता पक्ष की वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
लोनी के भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ सदन में अपना पक्ष रखने की कोशिश में थे, लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया। इस मुद्दे को लेकर कई विधायक उनके साथ हो गए।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने पहले आधा घंटे और उसके बाद 15-15 मिनट के लिए दो बार सदन को स्थगित किया। स्थगन के दौरान संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना सहित सरकार के कई मंत्री विधायक को समझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन वह नहीं माने।
सदन की बैठक जैसे ही शुरू हुई सत्ता पक्ष के विधायक खड़े हो गए। इसे देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार 11 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने कहा कि,
"विधानसभा कल तक के लिये स्थगित हो गयी है पर भाजपा विधायकों के साथ विपक्ष के भी विधायक उनके समर्थन में धरने पर बैठे है। भाजपा के दो सौ से अधिक विधायकों की बग़ावत एक दिन में नहीं हुई। चंद अफ़सर जिस तरह सीएम को गुमराह करके विधायकों और मीडिया के लोगों को निशाना बना रहे थे तो उसका यह अंजाम होना ही था। भाजपा विधायकों की लगातार बेइज़्ज़ती ने आज का यह दिन दिखा दिया। यह छोटी चिंगारी है जो कई दिनों से भड़क रही थी। विधायक पूछ रहे हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है कि चार
विधानसभा सदस्य 'विधायक एकता जिंदाबाद' के नारे लगा रहे थे। सदन स्थगित होने के बाद भी विधायक सदन में बैठे रहे। सपा, बसपा व कांग्रेस के विधायक भी सदन में बैठे रहे। इसके बाद उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सभी को समझाने वहां पहुंचे।
विधायकों के बीच मंत्री सुरेश राणा भी मौजूद थे। सदन के इतिहास में पहली बार ऐसा प्रदर्शन हुआ। विधायक एकता जिंदाबाद के लगे नारे...