पटना, 24 फरवरी. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (National President of Rashtriya Lok Samata Party Upendra Kushwaha) ने केंद्र के थोपे गए कृषि कानूनों को काला बताते हुए किसानों को ललकारा और कहा कि इन कृषि कानूनों का विरोध करें नहीं तो बिहार जैसे गरीब प्रदेश को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा.
कुशवाहा ने तीनों कृषि कानूनों को किसान और जन विरोध बताया और कहा कि यह लागू हो गया तो इससे खेती-किसानी चौपट हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि सरकार दुष्प्रचार कर रही है कि इससे किसानों को फायदा होगा लेकिन सच तो यह है कि इससे देश के किसानों का नुकसान होगा, हरियाणा-पंजाब के किसान इस बात को जल्दी समझ गए, बिहार के किसानों को भी इसे समझना होगा और इन कृषि कानूनों के खिलाफ खड़ा होना होगा.
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने यह जानकारी दी है.
चौपाल में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनोद यादव, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रेखा गुप्ता व संतोष कुशवाहा, प्रधान महासचिव निर्मल कुशवाहा, अभिय़ान समिति के प्रदेश अध्यक्ष जीतेंद्र नाथ, प्रदेश उपाध्यक्ष अख्तर नेहाल व बबन यादव, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष मधु मंजरी, अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चंद्रवंशी, आईटी सेल के प्रदेश अध्यक्ष रोशन राजा, प्रदेश महासचिव मोहन यादव,
कुशवाहा ने कहा कि ये कानून किसानों के हित में नहीं है, अगर ये पूरी तरह लागू हो गए तो किसान बंधुआ मजदूर हो जाएंगे. कुशवाहा ने एमएसपी को विस्तार से समझाते हुए कहा कि हरियाणा और पंजाब के किसानों का इसका फायदा मिल रहा है लेकिन बिहार के किसानों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि आलू उगाने वाले किसान अपने फसल की कीमत तय नहीं कर सकता लेकिन उसी आलू से चिप्स बनाने वाली कंपनी को उसकी कीमत तय करने का अधिकार है.
उन्होंने कहा कि एमएसपी खत्म करने की दिशा में सरकार ने इन कानूनों को लाया है और एमएसपी पर सरकारी खरीद नहीं होगी तो इसका मतलब साफ है कि जन वितरण प्रणाली से गरीबों के अनाज पर भी संकट आएगा.
उन्होंने बिहार में रालोसपा के चलाए जा रहे किसान चौपाल की विस्तार से चर्चा की और किसानों-मजदूरों से कहा कि इन कृषि कानूनों की खामियों को समझें और उनके खिलाफ खड़े हों ताकि सरकार को इन कानूनों को वापस लेना पड़े. कुछ स्थानीय किसानों ने भी अपनी राय रखी और अपनी चिंता को साझा किया. जीतेंद्र नाथ, मधु मंजरी और रामपुकार मलिक ने भी इस मौके पर अपनी बात रखी.