लखनऊ, 06 जनवरी 2021, किसान विरोधी तीनों कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के सवाल पर जारी आंदोलन के समर्थन में ‘किसान आंदोलन के साथ उत्तर प्रदेश’ अभियान पूरे प्रदेश में चलेगा और इस अभियान से आम आदमी को जोड़ने के लिए व्यापक सम्पर्क किया जायेगा।
बैठक में किसान आंदोलन में पचास से ज्यादा किसानों की हुई मौत व आत्महत्या पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा गया कि भीषण ठंड और बरसात का सामना करते हुए शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और अनुशासित ढंग से आंदोलनरत किसानों के प्रति सरकार का रूख बेहद संवेदनहीन है। किसान की स्पष्ट और ठोस मांगों पर कार्रवाही करने की जगह सरकार एक तरफ वार्ता के नाम पर समय बीता रही है वहीं किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार करने और उनका दमन करने में लगी हुई है।
बैठक में कहा गया कि इस किसान आंदोलन ने विकास के कारपोरेट रास्ते बनाम किसान रास्ते के सवाल को सामने ला दिया है। यही वजह है कि देशी विदेशी कारपोरेट के पक्ष में काम करने वाली ये सरकार बुरी तरह डरी हुई है। वह किसानों की स्वाभाविक मांग कि उनकी खेती को बर्बाद करने वाले कानून वापस लिए जाए और जो वो पैदा कर रहे है उसके वाजिब दाम की गारंटी के लिए कानून बनाया जाए, को हल करने के लिए तैयार नहीं है।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में तो किसान आंदोलन के पक्ष में बात करना भी गुनाह हो गया है। वाराणसी में स्वराज इंडिया के नेता रामजन्म यादव पर गुण्ड़ा एक्ट लगा दिया गया, सम्भल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश
बैठक में उत्तर प्रदेश के अलावा झारखण्ड़, छत्तीसगढ और बिहार के भी प्रतिनिधि उपस्थित रहे और इन राज्यों में भी किसान आंदोलन के पक्ष में अभियान चलाने अथवा जारी अभियान में मजबूती से भागेदारी करने पर उन्होंने सहमति व्यक्त की।
बैठक को स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष मण्ड़ल सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, लाल बहादुर सिंह, एआईपीएफ प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सीएमओ डा. बी आर. गौतम, महासचिव डा. बृज बिहारी, योगीराज सिंह, राजेश सचान, हेमन्त दास, वीरेन्द्र भारद्वाज, उमाकांत श्रीवास्तव आदि ने सम्बोधित किया। बैठक की अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश बी. डी. नकवी व संचालन दिनकर कपूर ने किया।