Hastakshep.com-आपकी नज़र-उ.प्र. पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड-upr-paavr-konrporeshn-limittedd-खाद्यान्न संकट-khaadyaann-snktt-वर्कर्स फ्रंट-vrkrs-phrntt

बिजली संशोधन विधेयक 2020 से आपकी जिंदगी में क्या होंगे बदलाव? समझा रहे हैं इंजीनियर दुर्गा प्रसाद कैसे ₹1700 का बिल हो जाएगा 23,963 रुपये का

What will be the changes in your life with the Electricity Amendment Bill 2020? How will get a bill of ₹ 1700 for ₹ 23,963, Explaining engineer Durga Prasad 

खाद्यान्न संकट (Food crisis) से उबरने के लिये 1959 में राज्य विद्युत परिषद का गठन कर सरकारी नलकूपों के तन्त्र द्वारा किसानों को सस्ते सिंचाई के साधन (Means of cheap irrigation to farmers) उपलब्ध कराने के लगभग एक दशक बाद ही किसानों की कड़ी मेहनत से हरित क्रांति (Green revolution) हुई तथा खाद्यान्न संकट समाप्त हो गया।

आज प्रदेश में सरकारी नलकूपों व सिंचाई नहरों से किसानों को मुफ्त पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके विपरीत जिन किसानों ने लाखों रुपये खर्च कर निजी नलकूप लगाकर सरकार का सहयोग ही किया है, प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार विधेयक पारित होने पर लगभग ₹ 10 प्रति यूनिट बिजली मिलेगी। ऐसी स्थिति में आज जो किसान 10 हॉर्स पावर निजी नलकूप का ₹1700 प्रति माह का बिल देते हैं, उन्हें 10 घंटे प्रतिदिन उपयोग पर प्रतिमाह 23,963 रुपये का भुगतान करना होगा। भूजलस्तर काफी नीचे चले जाने से पेयजल के लिये भी विशेषकर ग्रामीण जनता को बिजली की काफी कीमत चुकानी पड़ेगी।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कारण लागत मूल्य के अनुपात में, अन्य उद्योगों की तरह, कृषि उत्पादों का उचित मूल्य किसानों नहीं मिल पाता तथा इस महत्वपूर्ण सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन में किसान सरकार को अपना त्यागपूर्ण योगदान देते हैं। पिछले साल ₹ 1900 प्रति क्विंटल बिकने वाली मक्का वर्तमान में सिर्फ ₹ 1100 प्रति क्विंटल बिक पा रही है।

इस प्रकार कोरोना महामारी के कारण चौपट हुई अर्थ व्यवस्था को किसान ही सहारा दे रहे हैं। इसलिये किसानों को मिल रही विद्युत बिल सब्सिडी

(Electricity bill subsidy to farmers) समाप्त करने का कोई औचित्य नहीं है। सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी की बहस के बीच रोजगार सृजन करने वाले लघु, छोटे व मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को भी, कॉर्पोरेट कम्पनियों द्वारा बेची जा रही महंगी बिजली के कारण, बिजली की कीमत और भी बढ़ने की पूरी आशंका है जैसा कि पेट्रोल व डीजल की मूल्य बृद्धि से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

सरकार अधिक से अधिक रोजगार सृजित करने की घोषणा कर रही है, वर्कर्स फ्रंट का दृढ़ मत है कि यदि सरकार छोटी जोत वाले किसानों को सहकारी खेती में मदद करे तथा भ्रष्टाचार पर रोक लगाते हुए सहकारी बैकों/सोसाइटीज के माध्यम से सस्ते ऋण व खाद, कीटनाशक आदि सहित सस्ते उन्नत बीज उपलब्ध कराए, तो उन्नत खेती के माध्यम से सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध होंगे।

20 साल पहले जो लोग रोजगार की तलाश में गांव छोड़कर दिल्ली, मुम्बई आदि महानगरों में चले गये थे, कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन में गांव ही आज उनके लिये सुरक्षित शरणस्थली बने हैं। इसके अलावा राज्य सरकार एमएसएमई के सफल संचालन हेतु युक्तियुक्त दरों पर बिजली, सस्ते ऋण व ईएमआई में शिथिलता/छूट प्रदान करे तो काफी हद तक प्रवासी मजदूरों का प्रदेश से बाहर पलायन रोका जा सकता है।

आइये! जनराजनीति के लिये वर्कर्स फ्रंट के साथ खड़े हों। किसानों के लिये नहरों व सरकारी नलकूपों से प्राप्त मुफ्त पानी की तरह ही निजी नलकूपों को मुफ्त बिजली की मांग तेज करें। साथ ही लघु, छोटे व मध्यम उद्योगों को युक्तियुक्त दरों पर बिजली तभी मिल सकेगी जब बिजली दरों के निर्धारण में राज्य सरकार का अधिकार हो जबकि विद्युत संशोधन विधेयक राज्य सरकर के अधिकार सीमित कर केंद्र को असीमित अधिकार देता है। इसलिये इस विधेयक को हर हाल में खत्म किया जाय।

इं. दुर्गा प्रसाद

उपाध्यक्ष, उ.प्र, वर्कर्स फ्रण्ट,

अधिशासी अभियंता (सेवानिवृत्त),

उ.प्र. पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड.

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