आरएसएस वाले जेएनयू के छात्रसंघ को खत्म करना चाहते हैं, यह सबसे विलक्षण संस्थान है जेएनयू में।
जेएनयू का छात्रसंघ पूरी तरह स्वायत्त है, उससे प्रशासन का कोई संबंध नहीं है। उसका अपना संविधान है, चुनाव संचालन से लेकर,छात्रसंघ की नियमित सभी गतिविधियां आयोजित करने का यूनियन को हक है, यूनियन की सदस्यता स्वैच्छिक है। यूनियन के हिसाब-खर्चे आदि की सालाना ऑडिटिंग होती है। हर फैसला छात्रसंघ की मीटिंग में लिया जाता है।
छात्रसंघ के संविधान में एक विलक्षण व्यवस्था है कि वहां किसी भी पदाधिकारी को वापस बुलाने का छात्रों को हक है।
अ.भा.वि.वि. के लोगों को यह पता है, हम जानना चाहते हैं कि उन्होंने छात्रसंघ के अध्यक्ष को यदि राष्ट्रविरोधी नारे लगाते देखा तो अध्यक्ष को हटाने के लिए छात्रसंघ के संविधान का इस्तेमाल क्यों नहीं किया ?
जेएनयू में प्रत्येक अध्यक्ष छात्रों की विश्वविद्यालय जनरल वॉडी मीटिंग के प्रति जवाबदेह है। चुने हुए प्रतिनिधियों को वापस बुलाने देश में एकमात्र जेएनयू छात्रसंघ के संविधान में प्रावधान है, यहां कि भारत के संविधान में भी यह प्रावधान नहीं है।
आरएसएस के लोगों ने छात्रसंघ के संविधान का इस्तेमाल न करके, छात्रसंघ की कार्यकारिणी की बैठक का इस्तेमाल न करके सीधे केन्द्र सरकार और पुलिस की मदद लेकर साफ कर दिया है कि वे छात्रसंघ को तोड़ना चाहते हैं।
फेसबुक पर हमारे अनेक मित्र हैं जो राष्ट्रवाद जिंदाबाद का इस तरह नारा लगा रहे हैं, जैसे जेएनयू में कोई भयानक खूंरेज़ी हुई हो और केन्द्र सरकार का तख्ता पलट गया हो !! ये सभी मित्रगण कभी हुर्रियत वालों के जुलूसों और उनमें लगने वाले नारों पर भी फां-फां कर लेते तो अच्छा लगता !!
जेएनयू के तथाकथित राष्ट्रद्रोह पर फेसबुक मित्रों की फां फां देखकर यही कहना चाहेंगे कि हमारे देश में राष्ट्रद्रोह कानून का सबसे ज्यादा दुरूपयोग हुआ है। इस कानून का तमाम गैर वाम दल इस्तेमाल करते रहे हैं।
जेएनयू के छात्रों ने कभी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया, राष्ट्रविरोधी गतिविधियां आयोजित नहीं कीं। जेएनयू के छात्रों का प्रतिनिधित्व वहां का छात्रसंघ करता है। जिसकी हर गतिविधि पर्चों और प्रेस विज्ञप्ति के जरिए छात्रों में प्रकाशित करके वितरित की जाती है। वहां छात्रसंघ हर फैसला लोकतांत्रिक ढंग से लेता है। वहां की छात्र राजनीति में कोई अपराधी तत्व नहीं रहा। इसके विपरीत देश के अन्य वि वि में अपराधी तत्व छात्रसंघ पर छाए रहते हैं।
धैर्य रखो, भाजपा से यह लंबी लड़ाई है, इसमें बहुत कुछ ऐसा होगा जो कभी देखा है और न सुना है। क्योंकि वे सरकार में प्रतिज्ञा करके आएं कि रामराज्य स्थापित करना है। जेएनयू आँख का कांटा है।
जगदीश्वर चतुर्वेदी