नई दिल्ली, 03 नवंबर 2021: स्कॉटलैंड के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र COP26 जलवायु सम्मेलन (UN COP26 Climate Conference in Glasgow, Scotland) के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के पाँच सूत्रीय एजेंडा प्रस्तुत किए जाने के दूसरे दिन मीथेन उत्सर्जन में कटौती (cut methane emissions) को लेकर वैश्विक मीथेन संकल्प पत्र जारी किया गया है। अब तक, 90 से अधिक देशों ने इस संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
मीथेन क्या है (what is methane)
मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड के बाद वातावरण में सबसे प्रचुर मात्रा में पायी जाने वाली दूसरी ग्रीनहाउस गैस है, और इसलिए, इसके उत्सर्जन में कटौती से संबंधित यह संकल्प अहम बताया जा रहा है।
मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है, जो प्राकृतिक गैस का एक घटक भी है। ग्रीनहाउस गैस होने के कारण वातावरण में मीथेन की उपस्थिति से पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है।
प्रधानमंत्री के पाँच सूत्रीय एजेंडा में वर्ष 2030 तक भारत द्वारा अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन क्षमता 500 गीगावाट तक बढ़ाना, 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताएं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरी करना, वर्ष कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी, अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करना और वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करना शामिल है।
मीथेन संकल्प की घोषणा पहली बार सितंबर में अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा की गई थी, जो अनिवार्य रूप से वैश्विक मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक समझौता है। इसका केंद्रीय उद्देश्य वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को 2020 के स्तर से
यूरोपीय संघ-अमेरिका के एक संयुक्त वक्तव्य में कुछ समय पूर्व कहा गया था कि
"मीथेन उत्सर्जन को तेजी से कम करना कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर लगाम लगाये जाने से संबंधित कार्रवाई का पूरक हो सकता है। इस पहल को निकट भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग कम करने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक वार्मिंग को सीमित रखने के लिए सबसे प्रभावी रणनीति के रूप में देखा जाता है।"
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज दुनिया जिस गर्मी का सामना कर रही है, उसका 25 प्रतिशत हिस्सा मीथेन के कारण है।
मानव और प्राकृतिक स्रोतों सहित मीथेन के विभिन्न स्रोत हैं।
मीथेन के मानव जनित स्रोतों में लैंडफिल, तेल और प्राकृतिक गैस प्रणाली, कृषि गतिविधियां, कोयला खनन, अपशिष्ट जल उपचार और कुछ औद्योगिक प्रक्रियाएं शामिल हैं।
मीथेन के मानव जनित स्रोतों (anthropogenic sources of methane) में तेल और गैस क्षेत्र सबसे बड़े योगदानकर्ताओं के रूप में शामिल हैं।
मानव जनित स्रोत वैश्विक मीथेन के लगभग 60 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। ये उत्सर्जन मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने, लैंडफिल में अपघटन और कृषि क्षेत्र से आते हैं। भारत में, उदाहरण के लिए, 2019 में, कोयला मंत्रालय ने राज्य द्वारा संचालित कोयला खनिक कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) को अगले 2-3 वर्षों में 2 MMSCB (मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर) प्रति दिन कोलबेड मीथेन (CBM) गैस का उत्पादन करने के लिए कहा है।
शेल गैस की तरह कोलबेड मीथेन (CBM) गैस अपरंपरागत गैस भंडार से प्राप्त की जाती है, जहाँ गैस सीधे उन चट्टानों से निकाली जाती है, जो गैस का स्रोत होती हैं। अवसादी चट्टानों के मध्य पायी जाने वाली शेल गैस के मामले में ये स्रोत शेल्स होती हैं, जबकि कोलबेड मीथेन (CBM) गैस का स्रोत कोयले के भंडार हैं।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार मीथेन का वायुमंडलीय जीवनकाल (atmospheric lifetime of methane) करीब 12 वर्ष है, जो कार्बन डाइऑक्साइड के 300 से 1000 वर्षों के वायुमंडलीय जीवनकाल की तुलना में बेहद कम है। इसके बावजूद, मीथेन बहुत अधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, क्योंकि यह वातावरण में रहने के दौरान अधिक ऊर्जा को अवशोषित करती है। इस तरह मीथेन को पर्यावरण के लिए सर्वाधिक हानिकारक गैसों में शामिल किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि मीथेन एक शक्तिशाली प्रदूषक है, और इसमें व्यापक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड से 80 गुना अधिक है। मीथेन का रिसाव एक प्रमुख चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र का मानना यह भी है कि यदि 2.3 प्रतिशत की औसत मीथेन रिसाव दर हो तो "कोयले के बजाय गैस के उपयोग से मिलने वाले जलवायु लाभ का बहुत अधिक क्षरण होता है।"
मानव गतिविधियों के कारण मीथेन तीन मुख्य क्षेत्रों से उत्सर्जित होती है, जिसमें कृषि (40 प्रतिशत), जीवाश्म ईंधन (35 प्रतिशत) और अपशिष्ट (20 प्रतिशत) शामिल हैं। पशुपालन को कृषि क्षेत्र में मीथेन का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। जीवाश्म ईंधन क्षेत्र में, तेल एवं गैस निष्कर्षण, प्रसंस्करण तथा वितरण 23 प्रतिशत मीथेन उत्सर्जन और कोयला खनन 12 प्रतिशत मीथेन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पहले से मौजूद प्रौद्योगिकियों की मदद से तेल तथा गैस क्षेत्र से मीथेन में 75 प्रतिशत की कमी संभव है, और इसमें से 50 प्रतिशत कटौती बिना किसी अतिरिक्त लागत के हो सकती है।
वैश्विक मीथेन संकल्प को विभिन्न देशों की इस संदर्भ में महत्वाकांक्षा बढ़ाने और परस्पर सहयोग में सुधार की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल माना जा रहा है।
(इंडिया साइंस वायर)
Topics: Global Methane Pledge, Methane Gas, climate change, greenhouse gas, atmosphere, carbon dioxide, emissions, UN COP26, climate conference, IEA, MoEF&CC, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, PMO.
Tags: