पूरे विश्व में 23 अप्रैल का दिन विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर दुनिया के कोने-कोने से लोगों ने एक दुसरे से किताबों की बातें साझा करते हुए, किताबें पढ़ने की अपील की। लॉकडाउन के समय में किताबों (Books at the time of lockdown) की अलमारियों से गर्द हट रहे हैं। पुरानी किताबों से जुड़ी यादें ताज़ा हो रही हैं तो नई किताबों को पढ़ने-समझने की कोशिश हो रही है। हम सभी घर में बैठे हैं लेकिन किताबों के साथ देश-दुनिया की सैर कर सकते हैं। असल में, हर दिन किताबों का दिन होता है।
पाठकों को किताबों और लेखकों से जोड़ने की राजकमल प्रकाशन समूह की कोशिश के तहत राजकमल प्रकाशन समूह फ़ेसबुक लाइव में #StayAtHomeWithRajkamal के अंतर्गत होने वाले कार्यक्रम का आज 32वां दिन था जिसमें अब तक 125 सत्र लाइव हो चुके हैं। लगातार चल रहे इन साहित्यिक कार्यक्रमों में रोज़ लेखक और साहित्य प्रेमियों से मुलाक़ात होती हैं। नई जानकारियाँ साझा होतीं हैं।
प्रकाशन की सीनियर पब्लिसिस्ट सुमन परमार ने बताया कि, राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा वाट्सएप्प के जरिए हर आस्वाद और हर विधा की रचना को शामिल कर तैयार की गई पुस्तिका प्रतिदिन साझा की जा रही है। अब तक ऐसी पांच पुस्तिका साझा की जा चुकी हैं। लोगों के मैसेज और उनकी प्रतिक्रियाएँ इस विश्वास को मजबूत कर रहे हैं कि पाठकों को ‘मानसिक खुराक़’ पहुंचाने की हमारी कोशिश सही दिशा में अग्रसर है।
घरबंदी की शांत दोपहर, बाहर से आती पक्षियों की आवाज़ में लैपटॉप पर चल रहे लाइव वीडियों की आवाज़ घूल-मिल जाती है। कहानियाँ पाठ,
उन्होंने कहा,
“इस लॉकडाउन में अच्छा लिखें, अच्छा पढ़ें। समाज के वंचितों के लिए, पीड़ितों के लिए कुछ करने की कोशिश करें ताकि ये दुर्दिन आसानी से कट जाएं।“
लाइव कार्यक्रम में लोगों से बातचीत करते हुए उन्होंने विश्व पुस्तक दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए समाज की सच्चाईयों को बहुत नज़दीक से देखा है। जीवन के इन्हीं अनुभवों को एक उपन्यासकार के नाते अपने लेखन के जरिए पाठकों से साझा करने की कोशिश करती हूँ।
लाइव कार्यक्रम में महुआ माजी ने अपने उपन्यास ‘मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ’ से अंश पाठ किया।
साथ ही उन्होंने अपने अप्रकाशित उपन्यास से भी एक छोटा सा अंश पढ़कर लोगों को सुनाया।
‘मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ’ उपन्यास यूरेनियम के अवैध खनन से होने वाले नुकसान पर केन्द्रित है। कैसे, अवैध खनन वाले इलाकों में रहने वाले आदिवासियों का जीवन उससे बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। साथ ही वहाँ की प्राकृतिक संपदा का विनाश हो रहा है। आज जब लोग घर के अंदर हैं, वहीं बाहर प्रकृति खुलकर हंस रही है। हमें सोचना चाहिए कि हम प्रकृति के साथ कैसा व्यवहार करते रहे हैं।
लाइव कार्यक्रम में महुआ माजी ने लोगों से बात करते हुए अपने राजनीतिक जीवन और साहित्यिक जीवन से जुड़ी कई बातें साझा कीं।
राजकमल प्रकाशन से महुआ माजी के दो उपन्यास - मैं बोरिशाइल्ला और मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ प्रकाशित है।
रोज़ सुबह ग्यारह बजे ‘स्वाद-सुख’ का कार्यक्रम लेकर इतिहासकार पुष्पेश पंत राजकमल प्रकाशन समूह के फ़ेसबुक पेज पर लाइव आते हैं। आज के कार्यक्रम में उन्होंने टमाटर के गुण (Tomato Properties) और उसके इस्तेमाल पर विस्तार से चर्चा की।
मैक्सिको के आसपास के इलाकों से निकलकर टमाटर आज पूरे विश्व में तरह-तरह से अपनी लाली, अपनी खटास और अपना स्वाद बिखरे रहा है। पर, अक्सर इसका इस्तेमाल सिर्फ़ सब्ज़ियों में खटास बढ़ाने के लिए ही किया जाता है।
पुष्पेश पंत ने लाइव कार्यक्रम में बात करते हुए कहा कि,
“व्यंजन के रूप में टमाटर को इज़्ज़त कश्मीरी व्यंजनों में मिली है। कश्मीरी व्यंजन ‘गोकशी’ पूर्ण रूप से टमाटर से बना व्यंजन है। वहीं लाल वाजवान के चावल में भी टमाटर की प्रमुखता होती है।“
वनस्पतिशास्त्रियों के मुताबिक टमाटर का रिश्ता सब्ज़ियों से कम, फलों से ज्यादा है। विटामिन सी से भरपूर टमाटर का इस्तेमाल हमारे देश में सब्ज़ी, चटनी, नमकीन के साथ मीठा बनाने में भी किया जाता है।
राजस्थान में ताज़ा या सूखी लाल मिर्च के साथ टमाटर को मिलाकर उसे पीस लिया जाता है, तथा उसमें थोड़ा लहसून और तेल मिलाकर उसकी चटनी बनाई जाती है। गुजरात में सेव की सब्जी बहुत प्रचलित है जिसमे बेसनी सेव की मात्रा कम होती है और टमाटर की ज्यादा।
पारसी भोजन में ‘सास-माछ’ बड़े चाव से खाया जाता है। यहाँ सास, पत्नी की माँ नहीं बल्कि टमाटर से बना सॉस हैं जिसमें मछली पकाई जाती है। महाराष्ट्र की तरफ़ टमाटर के इसी सास में थोड़ा नारियल मिला देते हैं। वहीं कर्नाटक और गोवा में इसे खाने के साथ-साथ सूप की तरह पीने का चलन है।
कर्नाटक में टमाटर से ‘गोज्जु’ बनाते हैं जिसे रोस्टेट व्यंजनों के साथ खाया जाता है। केरल-तमिलनाडु दोनों प्रांतों में टमाटार वाले चावल बनाएं जाते हैं।
हैदराबाद में बघार के टमाटर कुछ-कुछ मिर्ची के सालान जैसा होता है।
लखनऊ में टमाटर का रौब वैसा नहीं है जैसा अन्य प्रदेशों में देखने को मिलता है। अवध में भरवां टमाटर बनाया जाता है। आजकल भरवां को शाही बनाने के लिए बावर्ची उसमें पनीर भी मिलाने लगे हैं। खाना बनाने वाले शौकीन लोग टमाटर के पकौडे भी बनाते हैं।
दरअसल भरवां टमाटर पर ऊपर से बेसन की अच्छी परत लगाकर उसे तला जाता है। सिंधी टमाटर की कढ़ी भी बहुत ख़ास व्यंजनों में शामिल है।
पुष्पेश पंत ने कहा कि,
“बिहार में टमाटर का चोखा बनता है। वैसे भी वहाँ किसी भी रसदार सब्ज़ी में टमाटर मुख्य केन्द्र होता है। असमीया खाने में भी टमाटर का इस्तेमाल खटास के लिए किया जाता है।“
मणिपुर में टमाटर से मीठा व्यंजन ‘खामेन असिनबा थोंगपा’ बनाया जाता है। साबूत टमाटर को पहले चीनी की चासनी में डुबाकर उपर से कलौंजी का छौंक लगाया जाता है।
घरबंदी में सुर और ताल का साथ
गुरुवार की शाम राजकमल प्रकाशन के फ़ेसबुक लाइव से जुड़कर शास्त्रिय संगीत गायक श्रेया अग्रवाल ने अपने गायन से गोधूलि के रंग में शास्त्रीय संगीत के सुरों की छटा बिखेर दी।
राजकमल प्रकाशन समूह के लाइव कार्यक्रम से जुड़कर श्रेया अग्रवाल ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के रागों की मधुर तान छेड़ते हुए उससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
श्रेया अग्रवाल ने प्रसिद्ध संगीतज्ञ एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार पंडित उदर रामाश्रय झा और ओंकारनाथ ठाकुर की बंदिशों के बारे में बताते हुए राग भूपाली में बंदिश का मधुर गायन किया। राग भूपाली भक्ति राग है।
श्रेया ने बातचीत में कहा कि,
“शास्त्रीय संगीत को पसंद करने वालों की जिम्मेदारी है कि वो इसे ज्यादा से ज्यादा फैलाएं।“
उन्होंने कहा,
“शास्त्रीय संगीत सिर्फ़ बंदिश या ख्याल पर आधारित नहीं है। इसमें सेमी क्लासिकल संगीत भी उतना ही गाया और पसंद किया जाता है जितना शास्त्रीय संगीत। गज़ल, ठूमरी, भजन, दादरा लोगों को बहुत पसंद आते हैं। बहुत बार फ़िल्मी गीतों में इनका प्रयोग किया जाता है।“
अमीर खुसरों का भारतीय शास्त्रीय संगीत में बहुत बड़ा योगदान है। फारसी शब्दों से सज़े उनके तरानों के विषय में जानकारी साझा करते हुए श्रेया ने उनके तराने गा कर सुनाए। साथ ही उन्होंने फ़य्याज़ हाशमी के गीतों का भी गायन किया।
अपनी मनमोहक आवाज़ में श्रेया ने – फ़रीदा ख़ानम, बेगम अख़्तर के गीतों को अपने स्वर में प्रस्तुत किया।
राजकमल प्रकाशन समूह के फ़ेसबुक लाइव कार्यक्रम में अब तक शामिल हुए लेखक हैं - विनोद कुमार शुक्ल, मंगलेश डबराल, उषा किरण खान, पुरुषोत्तम अग्रवाल, हृषीकेश सुलभ, शिवमूर्ति, चन्द्रकान्ता, गीतांजलि श्री, वंदना राग, सविता सिंह, ममता कालिया, मृदुला गर्ग, मृदुला गर्ग, मृणाल पाण्डे, ज्ञान चतुर्वेदी, मैत्रेयी पुष्पा, उषा उथुप, ज़ावेद अख्तर, अनामिका, नमिता गोखले, अश्विनी कुमार पंकज, अशोक कुमार पांडेय, पुष्पेश पंत, प्रभात रंजन, राकेश तिवारी, कृष्ण कल्पित, सुजाता, प्रियदर्शन, यतीन्द्र मिश्र, अल्पना मिश्र, गिरीन्द्रनाथ झा, विनीत कुमार, हिमांशु बाजपेयी, अनुराधा बेनीवाल, सुधांशु फिरदौस, व्योमेश शुक्ल, अरूण देव, प्रत्यक्षा, त्रिलोकनाथ पांडेय, आकांक्षा पारे, आलोक श्रीवास्तव, विनय कुमार, दिलीप पांडे, अदनान कफ़ील दरवेश, गौरव सोलंकी, कैलाश वानखेड़े, अनघ शर्मा, नवीन चौधरी, सोपान जोशी, अभिषेक शुक्ला, रामकुमार सिंह, अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी, तरूण भटनागर, उमेश पंत, निशान्त जैन, स्वानंद किरकिरे, सौरभ शुक्ला, प्रकृति करगेती, मनीषा कुलश्रेष्ठ, पुष्पेश पंत, मालचंद तिवाड़ी, बद्रीनारायण, मृत्युंजय, शिरिष मौर्य, अवधेश प्रीत, समर्थ वशिष्ठ, उमा शंकर चौधरी, अबरार मुल्तानी, अमित श्रीवास्तव, गिरिराज किराडू, चरण सिंह पथिक, शशिभूषण द्विवेदी, सारा राय, महुआ माजी, पुष्यमित्र
राजकमल फेसबुक पेज से लाइव हुए कुछ ख़ास हिंदी साहित्य-प्रेमी : चिन्मयी त्रिपाठी (गायक), हरप्रीत सिंह (गायक), राजेंद्र धोड़पकर (कार्टूनिस्ट एवं पत्रकार), राजेश जोशी (पत्रकार), दारैन शाहिदी (दास्तानगो), अविनाश दास (फ़िल्म निर्देशक), रविकांत (इतिहासकार, सीएसडीएस), हिमांशु पंड्या (आलोचक/क्रिटिक), आनन्द प्रधान (मीडिया विशेषज्ञ), शिराज़ हुसैन (चित्रकार, पोस्टर आर्टिस्ट), हैदर रिज़वी, अंकिता आनंद, प्रेम मोदी, सुरेंद्र राजन, रघुवीर यादव, वाणी त्रिपाठी टिक्कू, राजशेखर. श्रेया अग्रवाल.
Note - World Book Day, also known as World Book and Copyright Day, or International Day of the Book, is an annual event organized by the United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization to promote reading, publishing, and copyright.