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Will governments reject the tobacco industry's Covid vaccine?

कोविड वैक्सीन बनाने वाली मेडीकागो कम्पनी में तम्बाकू कम्पनी पीएमआई का है आंशिक निवेश

दुनिया की सबसे बड़े तम्बाकू उद्योग ने कोविड वैक्सीन बनायी है। क्या सरकारों को जनता के पैसे से, तम्बाकू उद्योग की वैक्सीन ख़रीदनी चाहिए या इस उद्योग को हर साल तम्बाकू से होने वाली 90 लाख लोगों की मौत और करोड़ों लोग जो हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, पक्षाघात से झेलते हैं, उसके लिए ज़िम्मेदार और जवाबदेह ठहराना चाहिए?

विश्व की सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी कौन सी है?

कनाडा-स्थित मेडीकागो कम्पनी (Canada-based Medicago Company), जिसमें विश्व की सबसे बड़ी तम्बाकू कम्पनी फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल (World's largest tobacco company Philip Morris International -पीएमआई) का आंशिक रूप से स्वामित्व है, ने कोविड वैक्सीन बनायी है।

तम्बाकू उद्योग, तम्बाकू महामारी का जनक है जिसके कारण लगभग 90 लाख लोग हर साल मृत होते हैं। एक ओर जनता झेलती है तम्बाकू जनित जानलेवा रोगों की मार और असामयिक मृत्यु का मंडराता ख़तरा, तो दूसरी ओर यही तम्बाकू उद्योग इस व्यापार पर दिन दूनी रात चौगुनी मुनाफ़ा कमा रहा है।

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गौर करें कि कनाडा समेत दुनिया के 180 से अधिक देशों ने 2008 में वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि (global tobacco control treaty) के अनुच्छेद 5.3 की मार्गनिर्देशिका पारित की जिससे कि जन स्वास्थ्य नीति में तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर क़ानूनी रोक लगे।

इसी

संधि के अनुपालन करते हुए सरकारें तम्बाकू उद्योग से चंदा, प्रयोजन, आदि नहीं ले सकतीं और साझेदारी आदि भी नहीं कर सकतीं।

विश्व तम्बाकू नियंत्रण संधि के अंतर्गत, तम्बाकू उद्योग के साथ साझेदारी करने पर सख़्त रोक लगी है।

तम्बाकू उद्योग की यह चाल सफल हो गयी तो न केवल उसको सरकार से जनता का पैसा मिलेगा, बल्कि मेडीकागो के साथ सरकारी अनुबंध से दुनिया की सबसे बड़ी तम्बाकू कम्पनी को राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।

डब्ल्यूएचओ ने जताई थी चिंता

world no tobacco day विश्व तम्बाकू निषेध दिवस

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में कहा था कि तम्बाकू उद्योग के उत्पाद वैश्विक तम्बाकू महामारी के मूल कारण हैं, इसीलिए इस उद्योग को दूसरी महामारी कोविड-19 से लाभान्वित नहीं होने देना चाहिए।

इसीलिए संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च स्वास्थ्य एजेंसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने तम्बाकू उद्योग के पैसे से बनी वैक्सीन को ख़ारिज कर दिया, उसको स्वीकृति नहीं दी है क्योंकि इसमें तम्बाकू उद्योग शामिल है - जिसके कारण लगभग 90 लाख लोग हर साल जान गवाँ बैठते हैं।

आख़िर विश्व स्वास्थ्य संगठन ऐसी कम्पनी की वैक्सीन को अनुमति कैसे देता जो अधिकांश ग़ैर-संक्रामक रोगों का जनक है? जैसे कि हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, दीर्घकालिक श्वास सम्बन्धी रोग, आदि?

तम्बाकू सिर्फ़ ग़ैर संक्रामक रोगों का ही जनक नहीं है बल्कि अनेक संक्रामक रोगों को भी अधिक प्राणघातक बनाता है - जैसे कि टीबी या टुबर्क्युलोसिस (तपेदिक), एचआईवी, और कोविड-19।

कनाडा सरकार के ऊपर दबाव बढ़ रहा है कि वह तम्बाकू उद्योग के साथ अपने सम्बंध का अंत करे क्योंकि यह विश्व तम्बाकू नियंत्रण संधि अनुच्छेद 5.3 का घोर उल्लंघन है।

यदि जन स्वास्थ्य आपदा पैदा करने वाले तम्बाकू उद्योग को, जन स्वास्थ्य के लिए कार्य करना है तो सबसे पहले वह अपना प्राणघातक व्यापार बंद करे, बच्चों और युवाओं को तम्बाकू नशे के मकड़जाल में फ़साना बंद करे, और जो मानवीय आबादी और पृथ्वी को उसने दशकों से क्षति पहुँचायी है उसके लिए सरकारें उसको जवाबदेह ठहरायें।

तम्बाकू महामारी की जनक तम्बाकू उद्योग द्वारा निर्मित कोविड वैक्सीन (covid vaccine manufactured by tobacco industry) को, सरकारों को अस्वीकार करना होगा क्योंकि एक महामारी को पनपाने वाले उद्योग को अन्य महामारी में कैसे सफ़ेदपोश होने का मौक़ा मिल सकता है?

तम्बाकू उद्योग को जनता के जीवन का मूल्य होता तो सबसे पहले वह प्राणघातक उत्पाद बनाना बंद करती। एक तरफ़ उसके कोविड महामारी में भी अपने तम्बाकू व्यापार को बढ़ाया और दूसरी ओर वह कोविड महामारी की आड़ में वैक्सीन बेच कर, सरकारों से जनता के पैसे को भी लूट लेना चाहती है।

कोविड और तम्बाकू (covid and tobacco)

melancholic woman smoking cigarette near window during rain
Photo by Amir SeilSepour on Pexels.com

जब से कोविड महामारी का प्रकोप चालू हुआ है तब से भारत समेत अनेक देशों से जो वैज्ञानिक शोध आँकड़े आए हैं वह यही स्थापित करते हैं कि जिन सह-रोग और सह-संक्रमण से, कोविड होने पर घातक और गम्भीर रोग और परिणाम होने का ख़तरा बढ़ता है, वह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर, दीर्घकालिक श्वास सम्बन्धी रोग, आदि हैं - ध्यान दें इन सब रोगों का सामान्य ख़तरा बढ़ाने वाला कारण तम्बाकू सेवन ही है।

सीधी बात है, कल्पना करें कि पिछले दशकों में यदि सरकारों ने तम्बाकू सेवन पर बंदी लगायी होती तो इतने पहाड़नुमा अनुपात में हृदय रोग न होते, कैंसर न होते, मधुमेह न होते, बिगड़ते टीबी रोगी न होते, और कोविड-19 से भी भारी मात्रा में लोग गम्भीर रूप से बीमार और मृत न होते (क्योंकि तम्बाकू-जनित रोगों से गम्भीर कोविड-19 रोग और उसके कारण मृत्यु होने का ख़तरा अत्यधिक हो जाता है)।

तम्बाकू उद्योग के राजनीतिक प्रभाव और जन स्वास्थ्य नीतियों में हस्तक्षेप के कारण सरकारों ने तम्बाकू नियंत्रण और तम्बाकू मुक्त दुनिया की ओर ले जाने वाली नीतियाँ प्रभावकारी ढंग से लागू ही नहीं की हैं - नतीजतन तम्बाकू से हर साल दर साल 90 लाख लोग असामयिक मृत्यु का शिकार होते रहे, करोड़ों लोग उन जानलेवा रोगों से जूझते रहे जिनसे मूलतः बचाव मुमकिन था।

कोविड महामारी के आने से पहले भी, मानवीय आबादी अनेक महामारी के अनुपात में रोगों से जूझ रही थी - तम्बाकू महामारी इनमें से एक है। कोविड महामारी के दौरान भी तम्बाकू उद्योग ने अपना व्यापार बढ़ाया, आर्थिक मंदी और तालाबंदी के दौरान भी घातक उत्पाद बेचें, और अब वह कोविड वैक्सीन के ज़रिए सरकारों से कमाना चाह रही है।

जब सरकारों ने कोविड के कारण तालाबंदी लगायी तो सबसे पहले खुलने वाली दुकानों में शराब और तम्बाकू दुकानें थीं - दोनों उत्पादनों से कोविड के गम्भीर परिणाम होने का ख़तरा अत्यधिक बढ़ता है।

इसीलिए 150 से अधिक संगठनों ने अपील की है कि दुनिया की सभी सरकारें, वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि (जिसे औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑनटुबैको कंट्रोल कहते हैं) के अनुच्छेदों का अनुपालन और सम्मान करते हुए, कनाडा-स्थित मेडीकागो कम्पनी, जिसमें विश्व की सबसे बड़ी तम्बाकू कम्पनी फ़िलिप मोरिस इंटरनैशनल (पीएमआई) का आंशिक रूप से स्वामित्व है, उसको अस्वीकार करें और उसके ख़िलाफ़ भूमिका लें।

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Bogor Mayor Bima Arya - cannot-display-tobacco-products-even-in-the-sale-shop-bogors-public-wins-court-case (File Photo)

नवम्बर 2021 में सम्पन्न हुई वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की नौवीं वार्ता बैठक में, 180 से अधिक देशों ने अपनी यह चिंता व्यक्त की थी कि तम्बाकू उद्योग यदि दवा-निर्माता उद्योग पर क़ब्ज़ा करेगा तो तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को लागू करने में व्यवधान आएगा। यदि मेडीकागो-जैसा यह ग़लत उदाहरण स्थापित हो गया तो तम्बाकू उद्योग के दवा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकारें नयी योजनाएँ भी ला सकती हैं।

इसीलिए 150 से अधिक संगठनों ने सभी सरकारों से अपील की है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरह वह भी मेडीकागो/ फ़िलिप मोरिस इंटरनैशनल की वैक्सीन को अस्वीकार करें, और इस तरह की किसी भी प्रकार की साझेदारी को अस्वीकार करें और उद्योग की हर चाल, जो वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को कमजोर कर सकती है, उसके ख़िलाफ़ भूमिका लें।

तम्बाकू उद्योग के साथ साझेदारी के बजाय सरकारों को चाहिए कि तम्बाकू उद्योग को हर साल होने वाली 90 लाख मृत्यु और आबादी में जानलेवा रोगों के पहाड़नुमा बोझे के लिए जवाबदेह और ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए।

बॉबी रमाकांत

(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा 2008 में तम्बाकू नियंत्रण के लिए पुरस्कृत बॉबी रमाकांत, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) के सम्पादकीय मंडल से जुड़े हैं।)