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Workers Front condemns arrest of power workers opposing power privatization in self-sufficient India

लखनऊ, 28 सितंबर 2020, बिजली संशोधन बिल-2020 और बिजली के निजीकरण की जारी प्रक्रिया के विरुद्ध आंदोलन कर रहे बिजली कामगारों और संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों की लखनऊ में हुई गिरफ्तारी की वर्कर्स फ्रंट ने भर्त्सना की है।

वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष इं. दुर्गा प्रसाद ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया से न सिर्फ कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जायेगी बल्कि कारपोरेट कंपनियों का एकाधिकार होने से बिजली की दरें 10 रू प्रति यूनिट से ऊपर चली जायेंगी जोकि किसान हित व आम जनता के हितों के विरुद्ध है। बावजूद इसके सरकार निजीकरण के अपने निर्णय को वापस लेने बजाय राष्ट्रहित में आंदोलन कर रहे बिजली कर्मियों का दमन कर रही है। विगत दशकों में हुए बिजली के निजीकरण के प्रयोग विफल साबित हुए हैं। सरकार की कारपोरेटपरस्त नीतियों व उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ही सभी राज्यों में बिजली बोर्ड भारी घाटे में चले गए हैं। उन्होंने कहा कि बिजली के निजीकरण और प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल-2020 के दुष्प्रभावों को किसानों और आम जनता के बीच ले जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि निजीकरण के खिलाफ जारी आंदोलन के दमन से बाज आये सरकार और निजीकरण की प्रक्रिया को अविलंब रोका जाये। इसके खिलाफ वर्कर्स फ्रंट जन अभियान चलायेगा।

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