लखनऊ, 22 जुलाई 2020. आंगनबाड़ियों की कोविड-19 में ड्यूटी लगाने पर रोक लगाने के लिए वर्कर्स फ्रंट ने निदेशक, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग, उत्तर प्रदेश (Director, Integrated Child Development Services(ICDS), Uttar Pradesh) को पत्र लिखा है। आवश्यक कार्रवाई के लिए इस पत्र की प्रतिलिपि माननीय मुख्यमंत्री मुख्य सचिव प्रमुख सचिव को भी भेजी गई है। पत्र में मांग की गई है कि डयूटी में सरकार एन- 95 मास्क और पीपीई किट दे। पत्र का मजमून निम्न है।
दिनांक- 22.07.2020
सेवा में,
निदेशक
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग
उत्तर प्रदेश
लखनऊ।
विषयः- आगंनबाडी कार्यकत्री व सहायिकाओं की जीवन की सुरक्षा के लिए कोविड़-19 के कार्य में उनकी ड्यूटी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने और यदि कोविड-19 की राजकीय आपदा के लिए यह अति आवश्यक हो तो कम से कम इन्हें एन-95 मास्क, पीपीई किट एवं सेनटाइजेशन जैसे अति आवश्यक सुरक्षा उपकरण व सुविधा उपलब्ध कराने के संदर्भ में कार्यवाही हेतु:-
महोदया,
प्रस्तुत पत्र द्वारा आपके संज्ञान में आगंनबाडी कार्यकत्री व सहायिकाओं को कोविड-19 के कार्य में नियोजित करने के संदर्भ में मान्यता प्राप्त श्रमिक महासंघ यू. पी. वर्कर्स फ्रंट के द्वारा आपके संज्ञान में निम्न बिंदु को लाना चाहते हैं-
यह कि जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाओं को कोविड-19 की ड्यूटी के संदर्भ में आदेशित किया जा रहा है। मुख्य सेविकाओं द्वारा कोई भी लिखित दिशा निर्देश नहीं दिए गए। संदेश के साथ जो सूची संलग्न की गई है उस पर किसी का भी हस्ताक्षर अंकित नहीं है।
यह कि ऐसा कार्य जो आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाओं के जीवन को भी संकट में डाल सकता है उसमें उसके जीवन के संरक्षण के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। यहां तक कि इस संदेश में यह भी नहीं बताया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाओं
को एन-95 मास्क, सेनिटाइजर व पीपीई किट जैसे अति आवश्यक सुरक्षा उपकरण कोविड़-19 के विशेष संचारी रोग के सर्वेक्षण कार्य के दौरान प्रदान किए जायेंगे।
यह कि संदेश में यह भी नहीं लिखा है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाओं को कहां जाना है, कहां ड्यूटी करनी है, कैसे ड्यूटी करनी है और उसके संबंध में कौन दिशा निर्देशित करेगा। इस संबंध में किसी भी प्रकार का उल्लेख संदेश में नहीं है।
यह कि इस समय कोविड-19 का प्रसार सामुदायिक स्तर पर हो रहा है और कल ही दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि दिल्ली में करीब एक चौथाई आबादी कोविड-19 के बीमारी से पीड़ित हुई है। लखनऊ शहर में भी आप अवगत होंगी कि यहां भी कोविड-19 का बड़े पैमाने पर संक्रमण हो गया है। इस संक्रमण के कारण कैबिनेट मंत्री और सरकार के आला अधिकारी तक बीमार हैं। अभी दो दिन पहले ही उन्नाव में कोविड-19 के कारण एक आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री कामिनी निगम का निधन हो चुका है और उन्हें इलाज तक की व्यवस्था नहीं उपलब्ध हो पाई। ऐसी स्थिति में बिना सुरक्षा उपकरण के ड्यूटी करने से आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाओं के जीवन को संकट कारित हो सकता है। जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने के मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है।
यह कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाएं कोविड़ सर्वेक्षण कार्य के कारण विशेष संचारी रोग कोविड़-19 से संक्रमित हो सकती है। यदि इस कारण आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिकाओं या उसके परिवार के किसी सदस्य को जान माल का नुकसान होता है तो इसकी सारी जिम्मेदारी व्यक्तिगत व प्रशासनिक रूप से सम्बंधित अधिकारी की होगी।
यह कि कोविड़-19 के कार्य के संदर्भ में अपर मुख्य सचिव राजस्व रेनुका कुमार ने शासनादेश संख्या -249/एक-11-2020-04(जी)/2015-टी0सी0 दिनांक 11 अप्रैल 2020 में कार्य में नियोजित करने के सम्बंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। लेकिन इस वाट्सअप संदेश में इसका उल्लेख नहीं किया गया है।
यह कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा शासनादेश संख्या - भा0स0-647-60-2-19-2/1(23) 13 टीसी दिनांकित 19.11.2019 द्वारा और भारत सरकार के विभागीय आदेश संख्या डब्लूबीपी-29/4/2019 सीपीएमयू दिनांकित 5.11.2019 द्वारा स्पष्ट आदेशित किया गया है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं से विभाग के कार्यों के अतिरिक्त कार्य न लिए जाए। मुख्य सचिव के आदेश में कहा गया कि प्रदेश में शिशुओं, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री को कुपोषण से मुक्ति दिलाने हेतु प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र पर प्रत्येक बच्चे, किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं को पोषाहार उपलब्ध कराने साथ-साथ पोषण अभियान संचालन किया जाता है। आदेश कहता है कि अति कुपोषित बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को गरम पका पकाया भोजन, फल आदि उपलब्ध कराया जाता है। ऐसी स्थिति में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं से अन्य कार्य लिए जाने से विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आदेश में कहा गया कि अतः उपर्युक्त संदर्भित शासनादेश दिनांक 09.10.2013 एवं पत्र दिनांक 10.11.2016 व 31.05.2017 के क्रम में मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं से सामान्यतया बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के कार्यो के अतिरिक्त अन्य विभागों का कार्य न लिया जाए। आदेश में मुख्य सचिव कहते है कि उपरोक्त आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। आपको अवगत करा दें कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने कोविड़-19 के संदर्भ में स्वतः संज्ञान ली गयी याचिका में दिनांक 18 मार्च 2020 को गहरी चिंता व्यक्त करते हुए दिए आदेश में आंगनबाड़ी के माध्यम से अति संवेदनशील समूह जिसमें गर्भवती, धात्री महिलाएं व 6 साल से कम उम्र के बच्चों के भोजन व पोषण आहार की आपूर्ति करने के बारे में सभी राज्यों के मुख्य सचिव से जबाब तलब किया था। माननीय मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय, भारत ने अपने आदेश में अति संवेदनशील समूहों गर्भवती, धात्री महिलाएं व 6 साल से कम उम्र के बच्चों के भोजन व पोषण आहार की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए कहा। यह खबर देश के प्रतिष्ठित अखबार इकोनामिक टाइम्स समेत तमाम अखबारों में प्रकाशित भी हुई थी। ऐसी स्थिति में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं से कोविड़ का कार्य कराना भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश के विरूद्ध और माननीय मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय, भारत की चिंता व आदेश की अवमानना है।
यह कि भारत सरकार द्वारा कोविड़-19 के संदर्भ में जारी दिशा-निर्देशों में अति संवेदनशील समूहों गर्भवती, धात्री महिलाएं व 6 साल से कम उम्र के बच्चों को रखा गया है और इनके संरक्षण व जीवन सुरक्षा के सम्बंध में राज्य सरकारों को कहा गया है। खुद मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार के दिनांकित 16 अप्रैल 2020 को कोविड-19 के सम्बंध में दिए दिशा निर्देशों में आंगनबाडियों का संचालन विषयक बिंदु में आंगनबाड़ियों के लाभार्थी अर्थात बच्चों, महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को घर पर ही 15 दिनों में एक बार खाद्य पदार्थों और पोषण का वितरण करने का निर्देश दिया गया है।
यह कि आप अवगत होंगी कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं आपके व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के आदेश के अनुक्रम में लगातार पोषक आहार व खाद्यान सामग्री का वितरण कर रही है। यहां तक कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं ने आपके पत्र संख्या सी-200/ब0वि0सेवा0पु0/2021-22 दिनांक 24 जून 2020 के अनुक्रम में 7 जुलाई 2020 तक सभी लाभार्थी का मोबाइल नम्बर व आधार कार्ड नम्बर के साथ गृह भ्रमण करके डाटा भी फीड किया। बाबजूद इसके विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने आपको प्रेषित आदेश 01 जुलाई 2020 को आपको आदेशित किया कि विशेष संचारी रोग एवं दस्तक अभियान -2020 के द्वितीय चरण दिनांक 01.07.2020 से 31.07.2020 के सफल संचालन हेतु निर्देश देने का कष्ट करे। इस आदेश के अनुक्रम में आपने भी आदेश जारी किया। आप खुद सोचें कि एक बार आप डाटा फीड करने का आदेश देना और उसके तत्काल बाद सर्वेक्षण कार्य में लगाना कहां तक तर्कसंगत व न्यायोचित है। एक ही समय एक व्यक्ति कैसे दो प्रकार की ड्यूटी कर सकता है जबकि कई आंगनबाडियों व सहायिकाओं को तो अपने क्षेत्र से अलग क्षेत्रों में कोविड-19 का कार्य करने के लिए कहा जा रहा है।
यह कि अति संवेदनशील समूहों गर्भवती, धात्री महिलाएं व 6 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं कार्य किया जाता है। जिनकी ड्यूटी कटोनमेंट जोन में भी लगाई जाती है। ऐसी स्थिति में यदि एक भी आंगनबाड़ी कार्यकत्री या सहायिका कोविड़ से संक्रमित हो गयी तो समस्त अति संवेदनशील समूहों के लोग इससे प्रभावित हो जायेगे और कोविड़ महामारी से निपटने की सारी कोशिशों को गहरा आघात पहुंचेगा। इससे बड़े पैमाने पर सामुदायिक प्रसार होगा व मृत्यु कारित होगी।
ऐसी स्थिति में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं व अति संवेदनशील समूहों गर्भवती, धात्री महिलाएं व 6 साल से कम उम्र के बच्चों के जीवन की सुरक्षा के लिए आपसे निवेदन है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं की कोविड़-19 में ड्यूटी लगाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का कष्ट करे। यदि कोविड-19 की राजकीय आपदा के लिए यह अति आवश्यक ही हो तो कम से कम इन्हें एन-95 मास्क, पीपीई किट एवं सेनटाइजेशन जैसे अति आवश्यक सुरक्षा उपकरण व सुविधा देना सुनिश्चित करे। आपकी महत्ती कृपा होगी।
सादर!
दिनकर कपूर
अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट, उत्तर प्रदेश।
मान्यता प्राप्त श्रमिक महासंघ
मोबाइल नम्बर:- 9450153307
प्रतिलिपि सूचनार्थ व आवश्यक कार्यवाही हेतु
माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ।
प्रमुख सचिव, बाल सेवा एवं पुष्टाहार विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।