Hastakshep.com-समाचार-चीन-अमेरिका तनाव-ताइवान हथियार विवाद-लॉकहीड मार्टिन-चीनी प्रतिबंध-ताइवान जलडमरूमध्य-भू-राजनीति-चीन-अमेरिका व्यापारिक संबंध

ताइवान को हथियार बेचने के कारण चीन ने 10 अमेरिकी कंपनियों को अविश्वसनीय संस्थाओं की सूची में डाल दिया है। जानिए कौन-कौन सी कंपनियां इस सूची में हैं और इन प्रतिबंधों का क्या प्रभाव होगा। चीन-अमेरिका तनाव और ताइवान की भूमिका पर देखिए यह रिपोर्ट...

नई दिल्ली, 2 जनवरी 2025. चीन और अमेरिका के बीच तनाव एक नए स्तर पर पहुंच गया है। बीजिंग ने ताइवान को हथियार बेचने के कारण 10 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों को अविश्वसनीय संस्थाओं की सूची में डालकर उनके खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाए हैं।

ताइवान को हथियार बेचने पर चीन का कड़ा कदम

बीजिंग ने अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार बेचने के जवाब में 10 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों को अपनी "अविश्वसनीय संस्थाओं" की सूची में डाल दिया है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय (एमओसी) ने आज को यह कदम उठाने की घोषणा की।

चीन ने स्पष्ट किया है कि यह कंपनियां चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ काम कर रही थीं।

प्रतिबंध की सूची में कौन-कौन सी कंपनियां हैं?

चीन द्वारा प्रतिबंधित कंपनियों में शामिल हैं :

  • लॉकहीड मार्टिन मिसाइल्स एंड फायर कंट्रोल
  • लॉकहीड मार्टिन एयरोनॉटिक्स
  • लॉकहीड मार्टिन मिसाइल सिस्टम इंटीग्रेशन लैब

इन कंपनियों को चीन से किसी भी प्रकार के आयात-निर्यात में शामिल होने, नए निवेश करने, और चीन में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

चीन के प्रतिबंधों का क्या प्रभाव होगा?

इन प्रतिबंधों का असर इन कंपनियों के व्यापारिक हितों पर पड़ेगा, खासकर जब चीन एक बड़ा बाजार है।

कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के वीजा और परमिट रद्द किए जाएंगे।

चीनी कंपनियों और संस्थानों के साथ इनका कोई भी व्यापारिक सहयोग समाप्त होगा।

चीन-अमेरिका तनाव और ताइवान की भूमिका

लंबे समय से चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियारों की आपूर्ति चीन के

लिए "रेड लाइन" मानी जाती है।

ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए चीन ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की है।

यह तनाव वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।

निवेश को लेकर चीन का दोहरा संदेश

चीन ने यह भी कहा कि वह विदेशी कंपनियों को अपने देश में निवेश के लिए स्वागत करता है, लेकिन यह तभी संभव है जब वे चीनी कानूनों का पालन करें।

चीन के इस कदम से यह स्पष्ट है कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा।

 

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