दिल्ली 21 सितम्बर 2020. आज 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जा रहा है। उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (बुढ़ापे में भूलने की आदतों) (अल्जाइमर्स-डिमेंशिया) की है। ऐसे बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। इसीलिए इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल 21 सितम्बर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है।
यह बीमारी एक उम्र के बाद लोगों में होने लगती है, जिसमें लोग चीजों को याद नहीं रख पाते हैं। स्वस्थ जीवन शैली (Healthy life style) और नशे से दूरी (Drunken distance) जैसे एहतियात बरतकर अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचा जा सकता है।
इसका उद्देश्य जागरूकता लाना है ताकि घर-परिवार की शोभा बढ़ाने वाले बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लायी जा सके।
अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (U.S. Department of Health & Human Services) से संबद्ध रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention) पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार मनोभ्रंश या जड़बुद्धिता (Dementia) कोई विशिष्ट बीमारी नहीं है, बल्कि सोचने, या निर्णय लेने की क्षमता का बिगड़ना व रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में व्यवधान के लिए एक सामान्य शब्द है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरंदाज
अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है। वृद्धावस्था में मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचने के कारण ये बीमारी होती है। मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी (Protein structure disturbances in the brain) होने के कारण इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। ये एक मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। इस बीमारी में व्यक्ति छोटी से छोटी बात को भी याद नहीं रख पाता है। जब यह बीमारी अत्यधिक बढ़ जाती है तो व्यक्ति को लोगों के चेहरे तक याद नहीं रहते हैं। अभी तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस भूलने की बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को मन पर प्रभावी न होने दें और सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न बनाएं। पसंद का संगीत सुनने, गाना गाने, खाना बनाने, बागवानी करने, खेलकूद आदि जिसमें सबसे अधिक रुचि हो, उसमें मन लगायें तो यह बीमारी नहीं घेर सकती।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली की तरफ से अभी हाल ही में जारी एक एडवाइजरी में कहा गया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में करीब 16 करोड़ बुजुर्ग (60 साल के ऊपर) हैं । इनमें से 60 से 69 साल के करीब 8.8 करोड़, 70 से 79 साल के करीब 6.4 करोड़, दूसरों पर आश्रित 80 साल के करीब 2.8 करोड़ और 18 लाख बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनका अपना कोई घर नहीं है या कोई देखभाल करने वाला नहीं है।
अल्जाइमर रोग के बारे में कुछ जरूरी तथ्य | Some important facts about Alzheimer's disease
वस्तुतः अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है। अनुमान है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 5.8 मिलियन लोगों को अल्जाइमर रोग और संबंधित मनोभ्रंश हैं, जिनमें 5.6 मिलियन वृद्ध 65 और उससे अधिक उम्र के हैं और लगभग 200,000 से कम 65 वर्ष से कम के अल्जाइमर पीड़ित है।
2060 तक अल्जाइमर रोग के मामलों की संख्या अनुमानित 14 मिलियन लोगों तक पहुंचने की आशंका है, जिसमें अमेरिका की अल्पसंख्यक आबादी सबसे अधिक प्रभावित होगी। हिस्पैनिक्स (Hispanics) में अल्जाइमर के मामले आज के अनुमानों से सात गुना बढ़ जाएंगे।
2060 तक अफ्रीकी अमेरिकियों में अल्जाइमर रोग के मामलों की संख्या आज के अनुमानों से चार गुना बढ़ जाएगी।
World Alzheimer's Day 2020
'Let's talk about dementia' to support the people suffering from it for ensuring a better life for them. pic.twitter.com/Yd7dEEK4Hm— ALL INDIA RADIO (@AkashvaniAIR) September 21, 2020
CEO @Patmcloughlin10 & @gardainfo Assistant Commissioner Paula Hilman to promote their Community Engagement initiative to mark World Alzheimer's Day today. If you know someone who is living with dementia, be a good neighbour to them today. #WorldAlzMonth #LetsTalkAboutDementia pic.twitter.com/h0cGQ5Oym0
— The Alzheimer Society of Ireland (@alzheimersocirl) September 21, 2020