बेटी दिवस क्यों मनाया जाता है? हर साल विश्व बेटी दिवस या अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस, #WorldDaughtersDay सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता रहा है। बेटियों के सम्मान और समानता के प्रतीक वाला यह दिन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी सहित कई देशों में भी 27 सितंबर (Daughters Day Date 2020) को मतलब आज ही मनाया जा रहा है। वहीं World Daughters Day 28 सितंबर को मनाया जा रहा है। वैसे तो अलग अलग देशों में अलग अलग तारीखों पर ये दिवस मनाया जाता है।
वैसे तो मेरा मानना यही है कि किसी भी एहसास को जीने, जताने के लिए नियत दिन या तारीख ज़रूरी नहीं होती, बस जब दिल कहे महसूस करा देना चाहिए, हाँ! ये भी सच है कि आज के परिवेश और रोजमर्रा की जिंदगी में ये सब मुमकिन नहीं फिर भी ऐसा कोई दिन मनाने का कोई औचित्य नहीं. मेरी नजर में जब उस एहसास को हम बाकी दिन जी ही न सकें।
सुना है आज भारत देश में भी बेटी दिवस मनाया जा रहा है। समझ में नहीं आ रहा है कैसे विश्व की बेटियों को शुभकामनाएं दूं? मैं खुद बेटी हूँ और मेरी बहुत सी बेटियाँ, बहनें, दोस्त-साथी हैं। समाज ने स्त्री को इंसान की सूरत में एक्सेप्ट ही कब किया (When did society accept a woman in the presence of a human being)?
निश्चित तौर पर आश्वासित नहीं हूँ सुरक्षा को लेकर और न ही तथाकथित सरकारों, हुक्मरानों को ही फुर्सत है, सत्ता पर काबिज महिलाएं भी कठपुतलियों के
कोई लड़की हिम्मत कर पितृसत्ता सोच और सत्ता के दंभ में चूर भेडि़यों को चुनौती देती है तो कभी उसे ज़िंदा जला दिया जाता है या फिर ट्रक के नीचे कुचलवा दिया जाता है। पर कितने दिन अनसुना कर सकोगे चीखों को? इक दिन यहीं चीख छीन लेगी तुमसे तुम्हारा पुरूष होने का ग़ुरूर।
जिस देश में किसी महिला की काबिलियत का आकलन (Assessment of woman's ability) उसकी Mythology या धार्मिक ज्ञान के आधार पर किया जाता है। जहां हर मिनट में बलात्कार की घटनाएं होती हैं, वहां किस मुंह से कहें कि मुबारक हो बेटी आज तुम्हारा दिन है?
बेटी से किताबें छीन कर, लाद दी जाती है उस पर खानदान की इज्ज़त का बोझ। मासूम बचपन छीन थमा दी जाती हैं पति को खुश रखने की जिम्मेदारी। उसके अपने ख्वाब नोंचकर थमा देते हैं उसे रसोई की चाबी, वहां जहाँ उसका नाम तक नहीं बिता देती है वो जीवन सारा।
जहाँ ज़िंदा लड़कियां तो दूर और जिस्म के इक बेजान कपड़े की स्ट्रिप से लोग उत्तेजित हो उठते हैं। ऐसे में कैसे कहूं मुबारक हो मेरी बेटी आज तुम्हारा दिन है। अपने परिवार से लड़-झगड़, हज़ारो मुश्किलों को लांघ वो निकलती हैं पढ़ने, अपनी ओर परिवार के लोगों की पेट की आग बुझाने घरों में काम करने पर वहीं नुक्कड़ पर मिल जाते हैं शोहदे, तो कहीं चार-दीवारी में मौका तलाश चढ़ बैठते हैं उसके जिस्म पर और मसल डालते हैं उसके बचपन को अपनी वहशीपन में।
सभ्यता के लबादे के अंदर कितने नंगे हैं ये लोग की रात के अंधेरे में ये सफेदपोश अपनी सारी गंदगी छोड़ आते हैं उनकी देहों पर। दिल्ली, कोलकाता के उन रेड लाइट एरिया में ज़िंदगी बसर कर रही बेटियों पर क्या कहना है इस सभ्य समाज का?
साथ ही उनको भी विश्व बेटी दिवस या अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस, #WorldDaughtersDay की शुभकामनाएं जो अपनी बेटी को बेटी ओर बाकियों को बदचलन, माल, आइटम यहां तक कि वेश्या तक की उपाधि से नवाजने में थोड़ी सी भी झिझक नहीं करते।
अरे हाँ उनके भाईयों को शुभकामनाएं जो दूसरो की बहिन बेटी जब उनके प्रेम को ठुकरा दे तो एसिड फेंकने से गुरेज़ नहीं करते या समानता के अधिकार की बात कर प्रेमिका को भड़काते हैं उसके ही परिवार के खिलाफ़। और वहीं लोग अपनी बहिन के खून के प्यासे हो जाते हैं जब बहिन को प्रेम हो जाए किसी ग़ैर बिरादरी के लड़के से....
गर्व से कहिए हम हिंदू, मुसलमान लेकिन नहीं बन पाएं इंसान,,,
नगीना खान