कौशाम्बी (गाजियाबाद) 14 नवंबर 2018. “अगर अचानक ही किसी को पता चले कि उसके जीवन साथी को या परिवार के किसी अन्य सदस्य को डायबिटिक (मधुमेह से पीड़ित) होने का पता चला है, तभी से वो काफ़ी गुमसुम रहना शुरू कर देते हैं और अजीब व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। पीड़ित व्यक्ति को जब से डॉक्टर उन्हें उनकी डायबिटीज़ के बारे में जानकारी दे देते हैं तभी से वो परिवार के साथ बाहर खाना- खाना, घर में पुराने दोस्तों के साथ मौज मस्ती करना और इस तरह की दूसरी तमाम चीज़ें अचानक बंद कर देते हैं। बच्चे या अन्य रिश्तेदार भी उस व्यक्ति की उस पुराने मस्ती भरे व्यवहार को काफ़ी याद करते हैं। परिवार के सदस्य इस बारे में अक्सर सोचते हैं, कि क्या पुराने दिन कभी लौट के आ पाएंगे? ये सिर्फ़ एक घर की बात नहीं है, दुर्भाग्य से भारत में इस तरह के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, और ये तब है जब भारत डायबिटीज़ के मामले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।”
यह कहना है यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद के वरिष्ठ मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ अमित छाबड़ा का।
डॉ. छाबड़ा आज
उन्होंने कहा कि अगर आप खुद को ऐसी स्थिति में देखते हैं, तो सबसे पहले आपको परेशान होना बंद करना होगा। अगर आप सकारात्मक सोच नहीं रखेंगे तो आप चीज़ों को सुधार नहीं पाएंगे और न ही अपने डायबिटिक प्रियजनों के लिए कुछ कर पाएंगे।
डॉ छाबड़ा ने यह भी बताया कि अगर आप किसी सोशल इवेंट में शिरकत कर रहे हैं, जहाँ खाना भी शामिल हैं, तो हर किसी से इस बात का ज़िक्र करने से बचें कि आपके परिजन को डायबिटीज़ है, भले ही वो कभी-कभी किसी तरह का अनहेल्थी फ़ूड का सेवन करते हों।
डॉ छाबड़ा ने कहा कि परिवार के सदस्यों को यह जानना भी बहुत जरूरी है कि डायबिटीज के मरीजों को किस प्रकार का खान पान देना चाहिए। अगर मरीज इन्सुलिन लेता है तो परिवार के सदस्यों को इन्सुलिन लगाने की भी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि परिवार के सदस्यों को यह पता होना चाहिए कि ब्लड शुगर कम होने की स्थिति में क्या करना चाहिए, साथ ही ग्लूकोमीटर से शुगर चेक करनी भी आनी चाहिए, क्योंकि ब्लड शुगर कम होने (Blood sugar decrease ) की स्थिति में मरीज बेहोश हो सकता है और उस समय वह अपनी शुगर खुद नहीं चेक कर सकता।
डॉ छाबड़ा ने जोर देते हुए कहा कि परिवार के हर सदस्य को डायबिटीज के मरीज का उत्साहवर्धन करते रहना चाहिए तथा कभी ताने आदि नहीं कसने चाहिए क्योंकि डायबिटीज को कण्ट्रोल किया जा सकता है, यह जीवन का अंत नहीं है।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ छाबड़ा ने कहा कि ऐसे सभी लोगों को जो मोटापे की बीमारी से ग्रसित हों या जिनके परिवार में डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री हो उन्हें हर तीन से छह महीने में ब्लड शुगर चेक कराते रहना चाहिए।
ग्लूकोमीटर से की जाने वाली जांच में खून आर्टरी से लेकर चेक किया जाता है, जिसमें सामन्यतः 10-15 % शुगर की मात्रा ज्यादा रहती है, जबकि पैथोलॉजी लैब में जांच होने वाली शुगर में वेन से खून लिया जाता है जो रक्त में शुगर की सही मात्रा बताता है।
डॉ छाबड़ा ने कहा कि शुगर के मरीज या जो डेंजर जोन में हों यानी जिनकी फास्टिंग ब्लड शुगर 120 एवं पीपी 140 से ऊपर आती हो ऐसे लोगों को ब्रेकफास्ट हल्का लेना चाहिए और अपने खाने को दो घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा कर के लेना चाहिए। फ्रूट एवं सलाद की मात्रा बढ़ाएं, बहुत तेज भूख लगने की स्थिति न पैदा होने दें।
बच्चों में बढ़ रही डायबिटीज के बारे में उन्होंने कहा कि बच्चों के इनडोर खेलों बढ़ती रूचि, मोबाइल, लैपटॉप, इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग एवं अक्रियाशील जीवनशैली, मोटापा, जंक फ़ूड, पढ़ाई का प्रेशर की वजह से बच्चों में डायबिटीज बढ़ रही है।
मधुमेह के शुरुआती लक्षणों (Early symptoms of diabetes) के बारे में उन्होंने बताया कि थोड़ी-थोड़ी देर में मूत्र विसर्जन की आवश्यकता, थकान, तथा वजन में कमी बहुत ही मूल लक्षण हैं जिनसे हमें मधुमेह की शुरुआत का अंदाजा लग सकता है।
यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी में पिछले तीन वर्षों के डायबिटीज के मरीजों के आकड़ों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में छः प्रतिशत मरीजों की उम्र बीस वर्ष से कम थी, जबकि बीस से चालीस वर्ष के मरीजों का प्रतिशत छब्बीस था। चालीस से पचास साल की उम्र के इक्कीस प्रतिशत मरीज देखे गए, जबकि पचास से सत्तर वर्ष के मरीजों की संख्या सैंतालीस प्रतिशत से ज्यादा थी।
विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद (Yashoda Super Specialty Hospital, Kaushambi, Ghaziabad) की मेन लॉबी में एक मधुमेह जागरूकता एवं जांच कार्यक्रम 14 नवम्बर, 2018, बुधवार को आयोजित किया गया।
इस अवसर पर 100 से भी ज्यादा लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
हेल्थ टॉक में डॉ अमित छाबड़ा, वरिष्ठ मधुमेह रोग विशेषज्ञ ने मधुमेह बीमारी से बचाव व् उपचार Prevention and treatment of diabetes के बारे में जानकारी दी।
डॉ. धीरेन्द्र सिंघानिया, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ एवं डॉ सुमंतो चटर्जी, वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट ने लोगों को मधुमेह से होने वाली हृदय सम्बन्धी, नसों सम्बन्धी बीमारियों से बचाव के उपाय बताए।
Diabetes patients and heart disease
डॉ धीरेन्द्र सिंघानिया ने कहा कि यदि डायबिटीज के मरीज अपने को हृदय रोगों से दूर रखना चाहते हैं तो अपने रक्त में HBA1C का स्तर 7 से नीचे रखें तथा 6.5 HBA1C स्तर को उन्होंने आइडियल बताया।
डॉ सुमंतो चटर्जी ने बताया कि मधुमेह के मरीज अपने पावों को पैर के तलवों को नियमित रूप से देखते रहें, वो चेक करें कि कोई कट, घाव या कोई कालापन आदि तो प्रारम्भ नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि मधुमेह के मरीज अपने पावों को गुनगुने पानी से रोज धोएं एवं डेली मॉइस्चराइजर लगाएं। पैरों में अगर किसी भी प्रकार का सुन्नपन लगे तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह लें।
वरिष्ठ डायटीशियन श्रीमती भावना ने लोगों को मधुमेह में खान पान एवं उचित डाइट चार्ट के बारे में जानकारी दी।
शिविर में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर - ग्लूकोमीटर मशीन द्वारा, डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic neuropathy) जांच (हाथ एवं पैरों के नसों की ताकत की जांच), डायबिटिक फुट की जांच निःशुल्क की गईं, डॉ सुनील डागर, महाप्रबंधक ने बताया कि यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद के मधुमेह क्लीनिक को हाल ही में टाइम्स ऑफ़ इण्डिया सर्वे में उत्तर भारत में 8वाँ स्थान एवं दिल्ली एनसीआर में 7वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
बता दें विश्व मधुमेह दिवस 2017 की थीम महिलाएं और मधुमेह - स्वस्थ भविष्य का हमारा अधिकार (Women and diabetes - Our right to a healthy future) थी, जबकि विश्व मधुमेह दिवस 2016 की थीम "मधुमेह और आंखें" "Eyes on Diabetes" थी।
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