क्या आप जानते हैं? ईरान में कितने यहूदी रहते हैं और वे किस हाल में हैं
ईरान में 2,700 साल पुराना यहूदी समुदाय अब भी मौजूद है। जानिए वे कितने हैं, कैसे रहते हैं और ईरान-इज़राइल टकराव में उनकी क्या भूमिका है।

ईरान में यहूदी समुदाय पर विशेष रिपोर्ट
- ईरान में यहूदी समुदाय की संख्या कितनी है?
- ईरान की संसद में यहूदियों की उपस्थिति
- तेहरान और इस्फ़हान में यहूदी धार्मिक स्थल
- 2,700 साल पुराना इतिहास: एस्तेर और मोर्दकै की कहानी
- शरण और उत्पीड़न के दौर
- इस्लामी क्रांति और प्रवासन की लहर
- आधुनिक ईरान में यहूदियों की सामाजिक भूमिका
यहूदी समुदाय पर ईरान-इज़राइल संघर्ष का असर
नई दिल्ली, 18 जून 2025 (हस्तक्षेप डेस्क) ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव की ख़बरों (escalating conflict between Iran and Israel) की गूंज दुनिया भर में सुनाई दे रही है, लेकिन इस भू-राजनीतिक संघर्ष की आंधी में एक ऐतिहासिक समुदाय की आवाज़ कहीं दब गई है, वह है — ईरान के यहूदी।
ईरान में यहूदी समुदाय की संख्या और स्थिति
आज ईरान में अनुमानित 17,000 से 25,000 यहूदी रहते हैं। यह संख्या भले ही छोटी लगे, लेकिन यह आंकड़ा ईरान को इज़राइल के बाद पूरे मध्य पूर्व में यहूदियों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बनाता है। ईरान के यहूदी ज़्यादातर बड़े शहरों में केंद्रित हैं — जैसे तेहरान, इस्फ़हान, शिराज, हमदन और तबरीज़।
ईरानी संसद में यहूदी समुदाय के लिए आरक्षण
ईरानी संसद मजलिस में यहूदी समुदाय के लिए एक आरक्षित सीट है, जो यह दर्शाता है कि इस्लामी गणराज्य में यहूदी पहचान को संवैधानिक मान्यता प्राप्त है।
ईरान में यहूदी धार्मिक और सामाजिक ढाँचा
ईरान में यहूदी धार्मिक जीवन भी सक्रिय है। तेहरान में लगभग 50 से अधिक सिनेगॉग (synagogues आराधनालय) हैं। इस्फ़हान में एक प्रमुख आराधनालय अल अक्सा मस्जिद (Al Aqsa) के बिलकुल बगल में स्थित है — यह सहअस्तित्व का प्रतीक माना जाता है।
तेहरान एक अस्पताल भी चलाता है यहूदी समुदाय
तेहरान का यहूदी समुदाय (Jewish Community of Tehran) एक अस्पताल भी चलाता है, जहाँ सभी धर्मों के लोगों का इलाज किया जाता है। यह अस्पताल सामुदायिक सेवा और धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल है।
इतिहास की गहराई में यहूदी-ईरानी संबंध
ईरान और यहूदियों का रिश्ता (Relations between Iran and Jews) कोई नया नहीं है। यह रिश्ता करीब 2,700 साल पुराना है। यह माना जाता है कि यहूदी नायिका एस्तेर और उनके चाचा मोर्दकै की कब्रें (Jewish heroine Esther and her uncle, Mordechai) हमदन में स्थित हैं।
यहूदी धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एस्तेर की शादी फारसी राजा जेरेक्सेस (Xerxes) से हुई थी, और वह फारसी दरबार में एक शक्तिशाली महिला थीं, जिन्होंने यहूदियों की रक्षा की।
शरण और उत्पीड़न — दोनों की गवाह रही ज़मीन
ईरान ने इतिहास में यहूदियों को कई बार शरण भी दी। स्पेनिश इंक्विजिशन (धार्मिक उत्पीड़न) के दौरान भागे यहूदी और द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ी आतंक से पलायन करने वाले पोलिश यहूदी ईरान में आकर बसे।
हालाँकि, ईरानी यहूदियों को सफ़वीद और कजर युग के दौरान जबरन धर्म परिवर्तन का सामना भी करना पड़ा। वहीं 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद, हजारों यहूदी देश छोड़कर अमेरिका और इज़राइल चले गए।
संघर्ष के बीच उम्मीद की किरण
ईरान में रहने वाले यहूदी आज भी वहां अपने रीति-रिवाज, परंपराएं और पहचान को बचाए हुए हैं। वे ईरानी समाज का हिस्सा हैं — डॉक्टर, व्यापारी, शिक्षक और प्रोफेशनल के रूप में। हालांकि, इज़राइल के साथ दुश्मनी की वजह से वे अक्सर संदेह की निगाहों का सामना करते हैं, फिर भी वे खुद को ईरानी यहूदी ही मानते हैं — न कि इज़राइली।
ईरानी यहूदी समुदाय आज दो संघर्षों से गुजर रहा है — एक राजनीतिक टकराव की छाया और दूसरा अपनी पहचान को बनाए रखने की जद्दोजहद। लेकिन 2,700 वर्षों की विरासत के साथ, वे अभी भी ईरान की आत्मा में रचे-बसे हैं।