सूडान संकट: हिंसा, विस्थापन और बाढ़ के खतरे को लेकर संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
सूडान में हिंसा से विस्थापन और अब बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने बिगड़ते हालात और मानवीय संकट को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है

सूडान में बढ़ती हिंसा से विस्थापन में तेज़ी
- SAF और RSF के बीच टकराव के चलते हजारों नागरिक बेघर
- अल फ़शर और कोर्दोफ़ान: सबसे अधिक प्रभावित इलाके
- बाढ़ का बढ़ता जोखिम: यूएन की चेतावनी
- 2024 के बाढ़ के आंकड़ों से सीख नहीं ली गई
- सीमित संसाधन और सहायता धन की कमी
ज़मीनी हकीकत: विस्थापितों के लिए पीने का पानी और स्वास्थ्य सेवाएं भी दुर्लभ
सूडान में हिंसा से विस्थापन और अब बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने बिगड़ते हालात और मानवीय संकट को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर
सूडान: हिंसक टकराव और विस्थापन के बीच, बाढ़ के बढ़ते जोखिम के प्रति चेतावनी
1 जुलाई 2025 मानवीय सहायता
संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायताकर्मियों ने सूडान में बिगड़ते मानवीय हालात पर चिन्ता जताई है, जहाँ बढ़ती हिंसा के कारण आम नागरिक विस्थापित हो रहे हैं और बारिश के मौसम के दौरान बाढ़ का जोखिम गहरा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया कि यूएन मानवतावादी कार्यालय ने बद से बदतर हो रही परिस्थितियों पर चेतावनी जारी की है.
“हमें सूडान में जारी लड़ाई से मानवीय स्थिति पर होने वाले असर के प्रति गहरी चिन्ता है, जिससे विस्थापन में तेज़ी आ रही है और आवश्यकताओं में और ज़्यादा उछाल.”
सूडान की सशस्त्र सेना (SAF) और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच झड़पों के कारण आम नागरिक अब भी विस्थापन का शिकार हो रहे हैं, विशेष रूप से दारफ़ूर और कोर्दोफ़ान प्रान्तों में.
नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त के अल फ़शर में लड़ाई की वजह से इस वर्ष अप्रैल महीने के बाद से अब तक, चार लाख लोग विस्थापन का शिकार हो चुके हैं.
यूएन प्रवक्ता के अनुसार, मानवतावादी मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव टॉम फ़्लैचर ने हाल ही में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के प्रमुखों से चर्चा की थी.
यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने अल फ़शर में जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के लिए मानवीय आधार पर लड़ाई में ठहराव की अपील की है, जहाँ RSF की घेराबन्दी की वजह से पिछले वर्ष अप्रैल से राहत सामग्री नहीं पहुँचाई जा सकी है.
यूएन मानवतावादी कार्यालय ने बताया कि जून में नॉर्थ दारफ़ूर से आठ हज़ार विस्थापित विस्थापित, अद-दब्बा पहुँचे हैं, जिससे वहाँ संसाधनों पर भीषण दबाव है और स्वास्थ्य देखभाल, आश्रय, स्वच्छ जल व भोजन की सीमित सुलभता है.
उधर, नॉर्थ कोर्दोफ़ान में 16 हज़ार से अधिक लोग 26-29 जून के दौरान बारा में अपने घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुए हैं. वहीं, वैस्ट कोर्दोफ़ान में 27 जून को ही 16 हज़ार लोग बाबानूसा छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए.
बाढ़ की चेतावनी
आपात राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय ने चेतावनी दी है कि सूडान में बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही बाढ़ का जोखिम भी बढ़ रहा है, जोकि अक्टूबर तक रहेगा.
पूर्वानुमान में औसत से अधिक वर्षा होने की सम्भावना व्यक्त की गई है, जिससे नदियाँ उफ़ान पर आने और औचक बाढ़ का ख़तरा है, विशेष रूप से सीमित बुनियादी ढाँचे वाले इलाक़ों में.
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि बाढ़ के कारण सड़क मार्ग में व्यवधान आ सकता है, मानवीय सहायता की आपूर्ति में अवरोध उपज सकते हैं, और बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की भी आशंका है. उन्होंने सचेत किया कि पहले से हैज़ा की बीमारी से जूझ रहे इलाक़ों में बाढ़ की वजह से स्थिति बिगड़ सकती है.
पिछले वर्ष, बाढ़ के कारण पाँच लाख लोग प्रभावित हुए थे और इस वर्ष फिर से ऐसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं. स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि मानवीय सहायता एजेंसियाँ आवश्यकता अनुसार कार्रवाई के लिए तैयार हैं, मगर सहायता धनराशि की क़िल्लत की वजह से तैयारी पर असर हो रहा है.