एक वैश्विक चुनौती है निर्धनता और हिंसक टकराव

  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संदेश - विकास ही शांति की कुंजी
  • हिंसा की रोकथाम में निवेश : लागत के मुकाबले लाभ
  • 2030 टिकाऊ विकास लक्ष्य और संसाधनों की भारी कमी

स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका और पुनर्निर्माण की ज़रूरत

  • विकास के लिए वित्त पोषण : वैश्विक सुधार की माँग
  • मानवीय सहायता बनाम सैन्य खर्च : नीति में असंतुलन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने निर्धनता, असमानता और विकास की कमी को हिंसक टकराव का कारण बताते हुए, सतत विकास और वैश्विक वित्तीय सुधार पर ज़ोर दिया। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए कैसे 2030 एजेंडा ही शांति की राह है।

सुरक्षा परिषद: निर्धनता से हिंसक टकराव को मिल रही हवा, विकास को बढ़ावा देने पर बल

विश्व भर में अत्यधिक निर्धनता में जीवन गुज़ारने के लिए मजबूर 70 करोड़ से अधिक आबादी में, 40 प्रतिशत हिंसक टकराव प्रभावित इलाक़ों में रहने के लिए मजबूर हैं और उनके लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने निर्धनता, असमानता और अल्पविकास के कारण भड़कने वाले हिंसक टकराव के विषय पर सुरक्षा परिषद की एक बैठक को सम्बोधित किया है.

इस बैठक में बताया गया कि बढ़ते तनावों व तनातनी के बीच, मानवीय सहायता की मांग में उछाल आ रहा है, मगर संसाधनों की क़िल्लत है.

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, हिंसा रोकथाम उपायों पर ख़र्च किए जाने वाले हर एक डॉलर से हिंसक टकराव सम्बन्धी व्यय में 103 डॉलर की बचत की जा सकती है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को बताया कि हिंसक संघर्ष फैल रहे हैं और उनकी अवधि भी बढ़ती जा रही है. वहीं, वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो रही है और तनाव उभार पर है. मानवीय सहायता उद्देश्यों के लिए बजट में कटौती की जा रही है जबकि सैन्य ख़र्च में बढ़ोत्तरी हुई है.

महासचिव गुटेरेस ने आगाह किया कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहे, तो इस दशक के अन्त तक, दुनिया की दो-तिहाई निर्धन आबादी हिंसक टकराव से प्रभावित या नाज़ुक परिस्थितियों का सामना करने वाले देशों में रहने के लिए मजबूर होगी.

“सन्देश स्पष्ट है. कोई देश जितना ही टिकाऊ और समावेशी विकास से दूर जाता है, उतना ही अस्थिरता और यहाँ तक की हिंसक टकराव के नज़दीक पहुँच जाता है.”

शान्ति के लिए विकास

यूएन प्रमुख ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने शान्ति, विकास और मानवाधिकारों के तीन स्तम्भों को आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयास किए हैं.

संगठन की स्थापना के बाद से ही ये प्रयास शुरू हो गए थे और ये अब भी जारी हैं. ये इस सिद्धान्त पर आधारित हैं कि अस्थिरता और हिंसक टकराव के लिए रोकथाम ही सर्वोत्तम उपाय है. और विकास में निवेश से बेहतर कोई रोकथाम उपाय नहीं है.

लेकिन, टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को हासिल करने के प्रयासों में दुनिया पिछड़ती जा रही है. वर्ष 2015 में 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पारित किया गया था, मगर दो-तिहाई से अधिक में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इन वादों को 2030 तक साकार करने के लिए विकासशील देशों को जिस तरह से संसाधनों की आवश्यकता है, उनमें वार्षिक चार हज़ार अरब डॉलर की कमी है.

वित्तीय दबावों, कर्ज़ के बढ़ते बोझ और आसमान छूती क़ीमतों की वजह से विकासशील देशों में आम नागरिक बेहद कठिन हालात में जीवन जी रहे हैं.

इस क्रम में, महासचिव ने अगले सप्ताह स्पेन में आयोजित हो रहे ‘विकास के लिए वित्त पोषण पर चौथे सम्मेलन’ का उल्लेख किया. उनके अनुसार, हालात में सुधार लाने के लिए यह एक अहम क्षण है और सार्वजनिक व निजी वित्त पोषण, कर्ज़ राहत और पुराने वैश्विक वित्तीय तंत्र में बदलाव समेत अन्य सुधार लागू किए जाने होंगे.

दुष्चक्र को तोड़िए

यूएन विकास कार्यक्रम (UNDP) में सहायक महासचिव कन्नी विग्नाराजा ने सदस्य देशों को आगाह किया कि हिंसक टकराव जिस स्तर पर धधक रहे हैं, वैसा पिछले आठ दशकों में नहीं देखा गया.

इस वजह से वैश्विक मानव विकास अवरुद्ध हो गया है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने अहम प्राथमिकताओं को प्रस्तुत किया, ताकि इस चक्र को तोड़ा जा सके.

यूएन विकास कार्यक्रम की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विकास के लिए निवेश प्रयासों को समर्थन दिया जाना होगा, और घर-परिवारों की अर्थव्यवस्था को बचाना होगा.

उन देशों व क्षेत्रों में, जहाँ शान्ति व सुरक्षा पर गहरा असर हुआ है, वहाँ स्थानीय स्तर पर विकास, स्थानीय लोगों के अस्तित्व व सुरक्षा के लिए बेहद अहम है. और फिर से बहाली की आशा भी.

उन्होंने कहा कि इन स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के ज़रिए, आजीविकाओं को बहाल किया जा सकता है, जल व बिजली की फिर से आपूर्ति हो सकती है, किसान व उद्यमियों को सहारा मिल सकता है और दरक गई क्षमताओं को पुन: खड़ा किया जाना सम्भव है.