नई दिल्ली, 19 अक्तूबर 2019 : शहर हो या गांव, हड्डी और जोड़ों की बीमारियों की समस्या (Problem of bone and joint diseases) हर जगह आम हो गई है। बढ़ती उम्र के साथ यह समस्या खुद-ब-खुद विकसित होने लगती है। 50 से अधिक उम्र के लगभग 49.2% लोग हड्डी की बीमारियों, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोपेनिया, पुराना ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoporosis, osteopenia, osteoarthritis) आदि से पीड़ित हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस : उपचार से ज्यादा बचाव महत्वपूर्ण
दुनिया भर में, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हर साल 89 लाख से अधिक फ्रैक्चर होते हैं। इस तरह हर तीन सेकेंड में एक ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर होता है। एक अनुमान के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस दुनिया भर में 20 करोड़ महिलाओं को प्रभावित करता है, जिनमें लगभग 10 में से एक महिला की उम्र 60 साल, पांच में से एक महिला की उम्र 70 साल, पांच में से दो महिला की उम्र 80 साल और दो तिहाई महिलाएं 90 साल की होती हैं।
50 की उम्र के बाद पुरुषों की तुलना में ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होने का खतरा अधिक होता है
नई दिल्ली स्थित सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और एचओडी, डॉक्टर अनुज मल्होत्रा ने बताया कि,
"ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि इस रोग से पीड़ित मरीज आसानी से गिर जाते हैं। ऐसी घटनाओं में, कूल्हे व जोड़ों की हड्डियों के टूटने की आशंका अधिक होती है। लोग अक्सर इन समस्याओं को बढ़ती उम्र का हिस्सा
45 पार हर दो में से एक स्त्री है ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित
वह बताते हैं कि पांच लाख ऑस्टियोपोरोटिक मरीजों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि इनमें से दो लाख लोग कूल्हे की हड्डी फ्रैक्चर होने से पीड़ित हैं और तीन लाख मरीज कलाई की हड्डी फ्रैक्चर होने से पीड़ित हैं। इन आंकड़ों से यह पता चलता है कि भारतीय लोगों की हड्डियों पर ऑस्टियोपोरोसिस का कितना असर है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण. Symptoms of osteoporosis.
“ऑस्टियोपोरोटिक मरीजों की समस्या (Osteoporotic Patients Problem) को खत्म करने के लिए सही समय पर निदान और उपचार जरूरी है। ऐसे लोग जिनके कूल्हे के जोड़ किसी कारण से डैमेज हो गए हैं और इलाज के बावजूद उनका दर्द कम नहीं हो रहा है या उन्हें रोजमर्रा के कार्य करने में परेशानी होती है तो ऐसे में हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी (Hip replacement surgery) इन व्यक्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस रोग के सामान्य लक्षणों में पीठ दर्द, मामूली सी चोट पर हड्डी का टूट जाना, पूरा दिन शरीर में थकान बनी रहना, बोना कद और कूबड़ निकलना आदि शामिल हैं। हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं। बढ़ती उम्र के साथ खान-पान पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी हो जाता है नहीं तो हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।”
ऑस्टियोपोरोसिस के अन्य कारणों में खान-पान, बदलती लाइफस्टाइल, व्यायाम की कमी, शराब का अत्यधिक सेवन, शरीर में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन की कमी आदि शामिल हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस कई बार अनुवांशिक भी होता है। इसका यह अर्थ है कि जिनके माता-पिता को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है उनकी संतानों को भी इसका खतरा रहता है।