गाजियाबाद, 20 सितंबर 2019. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के प्रति उदासीनता (indifference to health care) के चलते हर वर्ष दुनिया भर में लाखों मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। जहां इसके परिणामस्वरूप अमीर देशों में हर 10 में से एक मरीज को नुक्सान उठाना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि भारत जैसे मध्यम और निम्न आय वाले देशों में सही देखभाल न मिलने के कारण हर वर्ष 26 लाख मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है, जिनमें से ज्यादातर मौतों को सही उपचार के जरिये टाला जा सकता है। जबकि इसके चलते 13.4 करोड़ लोगों को किसी न किसी रूप से चाहे वो धन संबंधी हो या स्वास्थ्य संबंधी, हानि उठानी पड़ती है।
भारत बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण एवं तेजी से बदलते हुए वातावरण के कारण बहुत प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी को प्रभावों का बहुत ही जल्द सामना कर सकता है, चाहे वह राजस्थान की भीषण गर्मी हो या केरल की बाढ़ उत्तराखंड जैसी बादल फटने की त्रासदी इन सब में भी अव्वल भारत विश्व के सबसे प्रदूषित देशों में शुमार है। अब हम सब जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों से हम अछूते नहीं रहे हैं। भारत ही नहीं दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक आपदाओं से मनुष्य को दिन प्रतिदिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं
इन सभी प्राकृतिक विसंगतियों की वजह से सबसे ज्यादा स्वास्थ्य संबंधी रोग या अस्थमा बढ़ा है उसके अलावा संक्रामक रोग वेक्टर जनित रोग पोषण संबंधित रोग एवं मानसिक रोग सबसे ज्यादा बढ़ गए हैं।
यदि हाल ही के आंकड़ों को हम देखें तो हमें पता चलता है कि भारत में 12.5 प्रतिशत मृत्यु केवल वायु प्रदूषण की वजह से हुई है। क्योंकि डॉक्टर समाज में एक अपनी अलग पहचान एवं प्रतिष्ठा रखते हैं ऐसे में सेंटर फॉर एनवायरमेंटल हेल्थ (center for environmental health) एवं पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन इंडिया (Public Health Foundation India) ने विश्वभर में 20 सितंबर 2019 से एक अभियान शुरू किया है जिसमें डॉक्टर एवं हेल्थ केयर स्टाफ अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय निकालकर पर्यावरण को बचाने के लिए शपथ लेते हैं और उसे सोशल मीडिया एवं अन्य प्रचार प्रसार माध्यम से समाज के हर वर्ग तक इस अपील के साथ पहुंचाते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक एवं पर्यावरण के लिए नुकसानदायक पॉलीथिन (Environmentally harmful polythene) का प्रयोग ना करें, वहीं पेड़ों को कटने से बचाने के लिए कागज का दुरुपयोग भी ना करें, साथ ही डॉक्टर शपथ लेते हैं कि वह समाज के हर वर्ग को पर्यावरण को बचाने के लिए जागृत करेंगे एवं समाज में इस हेतु अग्रणी रहकर एक नायक के रूप में काम करेंगे।
इसी क्रम में यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल गाजियाबाद मैं हॉस्पिटल की डायरेक्टर श्रीमती उपासना अरोड़ा के नेतृत्व में 20 सितंबर 2019 को हॉस्पिटल के सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया अस्पताल के डॉक्टरों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया एवं पर्यावरण को बचाने के लिए शपथ भी ली।
श्रीमती उपासना अरोड़ा ने इस अवसर पर कहा एक अभूतपूर्व कदम है और इसमें हम भारत के सभी डॉक्टरों एवं चिकित्सा कर्मियों को जोड़ेंगे और समाज में पर्यावरण को बचाने के लिए आगे रहकर जागृत करेंगे साथ ही उन्होंने बताया यशोदा हॉस्पिटल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग मरकरी रहित हॉस्पिटल एवं कचरे एवं बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण जैसी चीजों एवं योजनाओं के माध्यम से हॉस्पिटल को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से बचाया जा रहा है। इसी क्रम में हमें भारत की एक बड़ी एजेंसी ब्यूरो वैरिटस द्वारा ग्रीन एंड क्लीन हॉस्पिटल का खिताब भी मिल चुका है जो भारत में केवल यशोदा हॉस्पिटल कौशांबी को मिला है।