नई दिल्ली, 10 अक्टूबर: विश्व दृष्टि दिवस 2018 के मौके पर विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि पूरी दुनिया में भारत ऐसा देश हैं, जहां सर्वाधिक दृष्टिहीन लोग रहते हैं, उनमें से अधिकांश लोगों को यह बात नहीं पता कि 80% मामलों में इस स्थिति की रोकथाम की जा सकती है।
जानकारी से बचाव संभव
दिल्ली स्थित दिल्ली आई सेंटर और सर गंगाराम अस्पताल में कॉर्निया एवं रेफरेक्टरी सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉ. इकेदा लाल ने जागरूकता फैलाने के महत्व पर जोर दिया, जैसे दृष्टिहीनता के 80-90% मामलों में रोकथाम संभव है यदि लोग इस बात को जान लें कि इसका इलाज कैसे करना है।
डॉ. इकेदा लाल ने कहा,
‘’भारत में दृष्टिहीनता होने के आम कारणों में, कैटरेक्ट, ग्लूकोमा, मैक्यूलर डिजनरेशन, इनकरेक्ट रिफरेक्टिव एरर, डायबिटिक रेटिनोपैथी और कॉरनियल ब्लाइंडनेस शामिल है। दुर्भाग्य से कई बार लोगों को यह पता नहीं होता है कि इन समस्याओं का इलाज संभव है और दृष्टिहीनता को ठीक किया जा सकता है। विश्व दृष्टि दिवस जैसे दिन लोगों को जागरूक करने और इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दे को सामने लाने का बेहतरीन अवसर होते हैं।‘’
डॉ. राजेश सिन्हा, प्रोफेसर, ऑप्थेमोलॉजी विभाग, एम्स ने कहा,
‘विश्व में दृष्टिहीनता के लगभग 80 प्रतिशत मामलों को रोका जा सकता है, यानी या तो यह रोकथाम योग्य होता है या
डॉ. इकेदा कहती हैं,
‘’1976 में भारत विश्व का पहला ऐसा देश था, जिसने दृष्टिहीनता की रोकथाम के लिये नेशनल प्रोग्राम की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल नीतियों में दृष्टिहीनता को जड़ से खत्म करना एक प्रमुख हिस्सा बन गया है। हालांकि, उम्र बढ़ाने और दृष्टिहीनता के बोझ को कम करने के लिये हमें संभवत: जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। साथ ही दृष्टिहीनता की रोकथाम के उपाय को और भी स्पष्ट और सीधे तौर पर बताने की जरूरत है।‘’
डॉ. इकेदा ने दृष्टिहीनता के सबसे आम कारणों और उससे जुड़ी भूलने वाली बातों के बारे में विस्तार से चर्चा की। वह कहती हैं,
‘’अभी भी देश में ज्यादातर लोगों में दृष्टिहीनता के सबसे प्रमुख कारण, कैटेरेक्ट्स के बारे जानकारी नहीं है। उन्हें नहीं पता कि इसका किसी भी चरण में इलाज किया जा सकता है। अभी भी ज्यादातर लोग सर्जरी करवाने से पहले अपने कैटेरेक्ट के पकने का इंतजार करते हैं, इसके बाद स्थिति बदतर हो जाती है और कुछ मामलों में आंख की रोशनी चली जाती है।‘’
रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि कैटेरेक्ट, जो उम्र बढ़ने पर आंख की लेंसों में क्लाउडिंग की वजह से होते है, आंखों में धुंधलापन को बढ़ावा देता है और देश में 50-80% असमय दृष्टिहीनता के लिये यह जिम्मेदार होता है।2
इसी तरह, ऑप्टिक नर्व के क्षतिग्रस्त होने से ग्लूकोमा होता है, क्योंकि आमतौर पर उच्च इंट्रा-ऑक्यूलर दबाव के कारण ऐसा हो सकता है। इसका इलाज दवाओं, लेज़र ट्रीटमेंट या सर्जरी द्वारा किया जा सकता है, लेकिन समय पर इसकी जांच जरूरी है। देश में 12 मिलियन लोगों के ग्लूकोमा से पीड़ित होने के साथ और इसकी वजह से 1.2 मिलियन लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है।3 ऐसा लगता है कि इसकी रोकथाम और इलाज के बारे में जागरूकता काफी कम है। इतना ही नहीं आंकड़ों से पता चलता है कि ग्लूकोमा के 90 प्रतिशत से भी ज्यादा मामलों में इस कम्युनिटी में जांच नहीं हो पाती है।3
डायबिटिक रेटिनोपैथी
खासतौर से देश में डायबिटीज की बहुलता को देखते हुए, भारत में दृष्टिहीनता का एक और प्रमुख कारण डायबिटिक रेटिनोपैथी है।
डॉ. इकेदा कहती हैं,
‘लोगों को यह पता होना चाहिये कि समय के साथ सभी टाइप 2 और लगभग सभी टाइप 1 डायबिटिक, डायबिटिक रेटिनोपैथी में तब्दील हो जाते हैं, लेकिन नियमित जांच और सही उपचार से इसे रोका जा सकता है।’
कोरोनियल ब्लाइंडनेस
कोरोनियल ब्लाइंडनेस की वजह से देश में लगभग 6.8 मिलियन लोग प्रभावित हो रहे हैं, जिसका इलाज कोरोनियल ट्रांसप्लांट के जरिये संभव है। एक बार फिर, हमें नेत्रदान को लेकर और अधिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है।
डॉ. इकेदा आगे कहती हैं,
’’यह जानते हुए कि ज्यादातर दृष्टिहीनता या तो रोकथाम योग्य होती है या फिर उपचार योग्य। ऐसे में यह उचित समय है कि नीतिनिर्माता और हितधारक ना केवल जागरूकता फैलाने का प्रयास करें, बल्कि इसके लिये स्थाई समाधान भी ढूंढें।‘’
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Reference:
1. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/11804362
2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2612994/
3. https://www.nhp.gov.in/disease/eye-ear/glaucoma
4. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3831688/
Topics - World Sight Day 11th October, glaucoma, optic nerve, high intra-ocular pressure, blindness, Dr. Rajesh Sinha, Professor, Dept. of Opthalmology, AIIMS, Dr Ikeda Lal, Cornea and Refractory Surgery Specialist, at Delhi Eye Centre and Sir Ganga Ram Hospital New Delhi,