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इंदौर 20 अप्रैल 2020 : अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ, के राष्ट्रीय सचिव, विनीत तिवारी ने इंदौर संभाग के संभागायुक्त को पत्र लिखकर आशा वर्कर को दस्ताने, मास्क और पीपीई किट्स देने और कोविड 19 का साम्प्रदायीकरण रोकने की मांग की है।

श्री तिवारी के पत्र का मजमून निम्न है -

प्रति,

श्रीमान संभागायुक्त महोदय,

इंदौर संभाग,

इंदौर।

विषय: कोविड 19 का साम्प्रदायीकरण रोकने हेतु ।

श्रीमान,

जो घटना आज मेरे साथ मेरी सोसाइटी चिनार अपार्टमेंट, 172, श्रीनगर एक्सटेंशन, इंदौर में मेरे साथ हुई, मैं उसके दूरगामी परिणामों की कल्पना से भी सिहर उठता हूँ अतः यह मामला आपकी जानकारी में लाना आवश्यक समझता हूँ। कल दिनाँक 16 अप्रैल 2020 को मेरी सोसायटी में दो महिलाएँ एक हेल्थ सर्वे के हवाले से करीब 12:00 बजे दोपहर आईं थीं। दोनों महिलाओं से मैंने आईडेंटिफिकेशन पूछा तो उनमें से एक ने अपना आशा वर्कर होना बताया। उन्होंने हमारी मल्टी में रहने वाले लोगों की संख्या पूछी। कितने परिवार हैं, किसी को खाँसी, जुकाम, बुखार या साँस की तकलीफ तो नहीं है, यह पूछा।

उन्होंने दुपट्टे से अपना मुँह ढाप रखा था। एक के दोनों हाथ बिना दस्तानों के थे, एक के एक हाथ में ऐसा दस्ताना था जो लड़कियाँ गाड़ी चलाते हुए पहनती हैं। धूप से बचने के लिए। पता नहीं वो एक दस्ताना चार हाथों को कोरोना से या धूप से कैसे बचाता होगा।

मैंने उनसे कहा, इतनी गर्मी में आप लोग बिना N 95 मास्क और बिना PPE लोगों के घर- घर जा रहे हैं, तो बोलीं की अधिकारियों ने बोला है तो करना तो पड़ेगा ही, वर्ना नौकरी चली जाएगी। मुझे उनसे बहुत सहानुभूति हुई।

उन्होंने यह भी बताया कि आपकी बिल्डिंग के पीछे की तरफ़ एक कोविड 19 का पॉज़िटिव मरीज मिला है इसलिए हम लोग आसपास के 50 घरों का हेल्थ सर्वे कर रहे हैं। मुझे ताज्जुब हुआ कि ऐसा कैसा सर्वे जिसमें न टेम्परेचर लिया, न और

कोई लक्षण देखे और जो मिल गया उससे मिली आधी-अधूरी झूठी-सच्ची जानकारी को दर्ज कर लिया! मान लीजिए किसी के घर मे किसी को सर्दी-जुकाम है या किसी बुजुर्ग को साँस की बीमारी है, तो वे इस डर से सर्वे वालों को बताएँगे ही नहीं कि कहीं वे उन्हें क्वारंटाइन सेन्टर में न ले जाएं।

इंदौर में क्वारंटाइन सेन्टर की हालत ये है कि 16 अप्रैल 2020 के पत्रिका अख़बार में 5 मरीजों के क्वारंटाइन सेंटर से भागने की ख़बर छपी है। शहर के दीगर हिस्सों से भी क्वारंटाइन में रखे गए अनेक लोग वहां की अव्यवस्थाओं, यथा पानी की कमी, खटमल-मच्छरों की अधिकता, साफ-सफाई का अभाव और जरूरी सामानों की अनुपलब्धता जैसी शिकायतें हम तक पहुँच रही हैं।

ये उल्लेख करना जरूरी है कि हम अनेक साथी विभिन्न सामाजिक मोर्चों पर पिछले दो-तीन दशक से इंदौर में सक्रिय हैं। इस नाते जानते हैं कि इंदौर में सामाजिक-आर्थिक रूप से अभावग्रस्त, विपन्न और जरूरतमंद तबका शहर के किन हिस्सों में रहता है। लॉकडाउन के दौरान हमने शासन-प्रशासन की राशन, भोजन, दवा वितरण और इलाज संबंधी तैयारियों से अनेक सामाजिक संस्थाओं और जरूरतमंद गरीब लोगों को परिचित करवाया और एक पल की भूमिका निभाई।

बहरहाल वापस 16 अप्रैल को मेरी बिल्डिंग में घटित घटना की ओर आते हैं।

सर्वे करने आयी उन दो महिलाओं ने अंत में जाने के पहले यह सलाह दी कि हम लोग मुसलमानों से दूर रहें क्योंकि मुस्लिमों के भीतर यह बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। इस पर मैंने उनसे पूछा कि आपको यह सलाह-मशवरा देने की किस अधिकारी ने हिदायत दी है? तो वे अपने बचाव में यह कहने लगीं कि नहीं, हम तो जो देख रहे हैं वह आपको बता रहे हैं। किसी ने हमसे यह बताने के लिए नहीं कहा है।

Corona virus  मुझे लगता है कि इस बात की रोकथाम की जानी चाहिए क्योंकि जो लोग डोर टू डोर जा रहे हैं, अगर उनके खुद के दिमाग इस तरह साम्प्रदायिकता से भरे हुए हैं तो वे समाज को कोरोना वायरस से बचा पाएं या नहीं, हिन्दू-मुस्लिम नफरत के वायरस से जरूर संक्रानित कर रहे हैं। इस तरह की बात करके वह हिंदुओं के दिमाग को भी अवैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं।

क्या कोरोनावायरस हिंदू-मुस्लिम देखकर के होगा? यह बात शासन को और आशा वर्कर्स के सर्वे कार्य को देख रहे अधिकारियों तक पहुँचा दें। और इसकी रोकथाम, के लिए जरूरी कदम उठायें ताकि अल्पसंख्य समुदायों में प्रशासन अपना विश्वास हासिल कर सके।

ये पत्र इसी मक़सद से लिखा है कि इस तरफ़ प्रशासन ध्यान दे और अपने मुलाजिमों को सख़्त हिदायत दे कि इस तरह की साम्प्रदायिक और जातिवादी सोच को दूर रखें और केवल हिदायत ही नहीं, उन्हें बाकायदा दस्ताने, मास्क और पीपीई किट्स दें।

विनीत तिवारी

राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ, इंदौर

प्रतिलिपि

  1. कलेक्टर, इंदौर श्री मनीष सिंह
  2. एडीएम, इंदौर श्री कैलाश वानखेड़े
  3. इंचार्ज, राज्य स्वास्थ्य विभाग, श्री मुहम्मद सुलेमान

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