टाइप-2 मधुमेह जीवन भर चलने वाली एक क्रोनिक बीमारी है। यदि आप टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हैं तो आपका शरीर को सामान्य रूप से उत्पादित इंसुलिन का उपयोग करने में परेशानी होती है।
क्या है इंसुलिन
इंसुलिन, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए पैंक्रियाज़ द्वारा बनाया जाने वाला एक हार्मोन है। जब आपके शरीर के इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पाता तब भोजन से चीनी, रक्त में रह जाती है और रक्त शर्करा का स्तर उच्च हो जाता है।
यदि आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो आपको इसके संबंध में सर्वोत्तम तरीके से उचित जानकारी हासिल करनी चाहिए। अपने डॉक्टर से डायबिटीज में क्या करें और क्या न करें की पूरी जानकारी हासिल करनी चाहिए।
यूएस नेशलन लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक मधुमेह की लंबी अवधि की समस्याओं को रोकने के लिए निम्न सुझाव दिए गए हैं -
मधुमेह पीड़ितों में उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल की आशंका बनी रहती है। इस स्थिति से बचने के लिए आपके डॉक्टर आपको कुछ दवाएं सुझा सकते हैं। इन दवाओं में शामिल हो सकते हैं -
गुर्दे की समस्याओं और हाई ब्लड प्रेशर के लिए एसीई अवरोधक (ACE inhibitor) या एक अन्य दवा जिसे एआरबी कहा जाता है, दी जा सकती है।
एक दवा जिसे स्टेटिन कहा जाता है, आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखने के लिए दी जा सकती है।
आपके दिल को स्वस्थ रखने के लिए एस्पिरिन लेने की सलाह दी जा सकती है।
धूम्रपान न करें। धूम्रपान मधुमेह की स्थिति और बिगाड़ता है। यदि आप धूम्रपान करते हैं तो योग्य चिकित्सक से सलाह लेकर धूम्रपान छोड़ने का तरीका पूछें।
डायबिटीज के कारण पैरों में समस्या हो सकती है। आपके पैरों में घाव या संक्रमण हो सकता है। अपने पैरों को
यह सुनिश्चित करें कि आप सही तरीके के मोजे और जूते पहन रहे हैं। अपने पहने हुए मोजे और जूते रोज देखें कि कहीं उन पर कोई धब्बा तो नहीं बना। अगर धब्बा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ये घाव ये अल्सर में बदल सकता है।
नियमित रूप से अपने डॉक्टर को दिखाएं। कम से कम तीन महीने में एक बार डॉक्टर को जरूर दिखाएं या जब आपका डॉक्टर सलाह दे।
नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर की जांच कराएं।
नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चेक कराए।
नियमित रूप से अपने पैरों की हड्डियों और त्वचा की जांच कराएं।
अपने आंखों की जांच करवाएं।
प्रत्येक वर्ष गुर्दे की जांच के रक्त व मूत्र परीक्षण करवाएं।
कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर की प्रत्येक वर्ष जांच करवाएं।
यदि डायबिटीज नियंत्रित है तो हर छह माह में और अनियंत्रित है तो हर तीन माह में A1C लेवल की जांच करवाएं।
और अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात। खुद डॉक्टर कतई न बनें। इंटरनेट पर सामग्री को सिर्फ जानकारी के लिए इस्तेमाल करें, उसे डॉक्टरी सलाह कतई न मानें।
(नोट – यह समाचार चिकित्सकीय परामर्श नहीं है, यह आम जनता में जागरुकता के उद्देश्य से किए गए अध्ययन का सार है। आप इसके आधार पर कोई निर्णय नहीं ले सकते, चिकित्सक से परामर्श करें। हमारे नोटिफेकेशन पाने के लिए सब्सक्राइब करें।)
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