बहुत अफसोस के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि दिनेशपुर इलाके के एकमात्र पुलिस अफसर राधकांतपुर गांव के अनिल वैद्य जी का आज सुबह निधन हो गया। कल दिनेशपुर में उनकी अंत्येष्टि होगी।
अनिलदा लम्बे अरसे से बीमार थे। कोलकाता से लौटने के बाद रुद्रपुर आवास विकास कालोनी के उनके घर में दो बार उन्हें प्रेरणा अंशु देने गया था। वे मिलकर बेहद खुश थे। इस बार 15 मार्च को प्रेरणा अंशु के वार्षिकोत्सव के लिए उन्हें न्योता देने फिर उनके घर गया तो घर भीतर से बन्द था। मेरे साथ हरेकृष्ण ढाली थे। दोमंजिले से किसी महिला ने झांककर देखस लेकिन दरवाजा नहीं खोला। शायद पहचान नहीं सकी।
हफ्तेभर पहले दिनेशपुर बाजार में राधकांतपुर के एक व्यक्ति ने कहा कि अनिल दरोगा कई महीने से बीमार हैं। बरेली अस्पताल में भर्ती हैं। घर में कोई नहीं है। हम लोग प्रेरणा अंशु का अंक निकालने में व्यस्त थे। तो इससे निपटकर उनसे मिलने का जुगत लगाने के बारे में सोच रहे थे हम। लॉक डाउन में उत्तराखण्ड की सीमा सील होने के कारण बरेली अब कोलकाता से भी दूर है।
आज हम लोग प्रेरणा अंशु का पीडीएफ शेयर कर रहे थे कि दिनेशपुर नगर पंचायत की सभासद सुनीता मिस्त्री ने फोन पर खबर दी कि वे नहीं रहे।
उनका प्रोमोशन होते रहने के बावजूद दिनेशपुर में लोग उन्हें दरोगा ही कहते रहे हैं।
इधर दो बार उनसे मिलने गए थे तो जिले के हालात और युवा पीढ़ी को लेकर उन्होंने चिंता जताई थी। लम्बी बातचीत हुई थी। वे शायद इलाके के एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने लगातार मेरा लिखा हिंदी, बंगला और अंग्रेजी में पढ़ते थे। वे हमारे साथ के लोगों से सामाजिक बदलाव की उम्मीद रखते थे और खुद इस मुहिम में शामिल होने की बात करते थे। उनका असामयिक
इसी तरह उनके बड़े भाई सोमनाथ दा का भी असामयिक निधन हो गया था
हम तब कोलकाता से आये थे और रुद्रपुर में छात्रों और युवाओं के साथ शंकर चक्रवर्ती की पहल पर एक बैठक में शामिल थे। उस बैठक की अध्यक्षता सोमनाथ दा ने की थी। वे रोहिताश्व दा के बाद इलाके में सबसे सीनियर थे। वे भी तराई के छात्र युवाओं से सामाजिक सांस्कृतिक बदलाव के लिए आगे आने को कह रहे थे। कोलकाता लौटने पर पता चला कि सोमनाथदा नहीं रहे।
सोमनाथ दा से भद्र मानुष मैंने कोई दूसरा नहीं देखा। उनसे तुलना सिर्फ सुधा रंजन दा की की जा सकती थी।
अनिलदा भी बेहद भद्र थे अपने बड़े भाई सोमनाथ दा और अपने पिता अधर वैद्य की तरह।
अधर वैद्य जी तराई बसाने वाले लोगों में थे और पिताजी पुलिनबाबू के मित्र और साथी थे। उनके बारे में फिर विस्तार से लिखेंगे।
अनिलदा जिले के मशहूर एथलीट थे स्कूल के जमाने से।
उन्हें हमारी श्रद्धांजलि।
अनिल वैद्यजी के निधन से सामाजिक बदलाव के हमारे अभियान को झटका। उन्हें नमन।
पलाश विश्वास