Hastakshep.com-राजनीति-Deendayal Upadhyaya-deendayal-upadhyaya-दीनदयाल उपाध्याय-diindyaal-upaadhyaay

नई दिल्ली। “ईदुल अज़हा के दिन राजपत्रित अवकाश को रद्द कर राजस्थान के समस्त कॉलेजों में रक्तदान शिविर आयोजित करना पूर्णतः असंवैधानिक और नागरिक अधिकारों का हनन है।“

राजस्थान सरकार द्वारा पं. दीन दयाल उपाध्याय की जयन्ती मनाने की आड़ में ईद की छुट्टी रद्द किये जाने को सरकार का संविधान विरोधी क़दम बताते हुए फोरम फोर डेमोक्रेसी एण्ड कम्यूनल एमिटी (एफडीसीए) के राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष सवाई सिंह ने कहा कि देश में और प्रदेश में जब से भाजपा सरकार आई है वह संघ के साम्प्रदायिक एजेंडे को लागू करने में लगी है। विभिन्न प्रकार से ऐसे मुद्दे पैदा कर रही है जिन से अल्प संख्यकों में असंतोष की भावना पैदा हो और उन्हें विरोध पर मजबूर होना पड़े।

हाल ही में प्रदेश सरकार के कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ने एक आदेश जारी कर राज्य के समस्त राजकीय एवं निजी महाविद्यालयों के प्राचार्यों को पाबंद किया है कि वे 25 सितम्बर को पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयन्ती के अवसर पर अपने महाविद्यालयों में रक्तदान शिविर आयोजित करें।

ज्ञात रहे कि 25 (या चन्द्र दर्शन के अनुसार 24) सितम्बर को ही ईदुल अज़हा का त्योहार है जो राष्ट्रीय राजपत्रित आवकाश है। उक्त सरकारी आदेश में बिन्दु नं. 15 के अनुसार, 24 सितम्बर को भी महाविद्यालयों के सभी कार्मिकों को अवकाश न देने और मुख्यालय छोड़ने पर प्रतिबंध लगाने के भी निर्देश दिये गए हैं।

जमाअते इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय महासचिव मुहम्मद सलीम इन्जीनियर ने कहा कि सरकार का यह क़दम कर्मचारियों एवं प्राध्यापकों के नागरिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। भारत एक लोकतांत्रिक एवं धर्म निरपेक्ष देश है और यहाँ हर नागरिक को अपने अपने विश्वास के अनुसार त्योहार मनाने की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि किसी विशेष राजनीतिक दल या

विचारधारा के नेता का जन्म दिन मनाने के लिये सरकारी स्तर पर लोगों को बाध्य नहीं किया जा सकता। पंडित जी जिस दल के नेता थे वह दल उनकी जयन्ती अपने तौर पर मनाए तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं है, परन्तु इसे सरकारी तौर पर मनाया जाना और इसके लिये राजपत्रित अवकाश को रद्द किया जाना किसी भी रूप में उचित नहीं है।

राजस्थान के क़रीब 10 सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने राज्य सरकार से मांग की कि वह तुरन्त प्रभाव से उक्त आदेश को वापस ले। यदि उक्त आदेश को वापस नहीं लिया गया तो न्यायालय की शरण लेने पर बाध्य होंगे, साथ ही अन्य लोकतांत्रिक तरीक़ों से भी सरकार के उक्त क़दम का विरोध करेंगे। राधाकान्त सक्सेना प्रदेश उपाध्यक्ष एफ़ डी सी ए राजस्थान, फ़ादर विजय पॉल सिंह अध्यक्ष मसीही शक्ति संगठन, टी. सी. राहुल प्रदेशाध्यक्ष भारतीय बौद्ध महासभा, पेकर फारूक़ एडवोकेट प्रदेशाध्यक्ष ए पी सी आर, अब्दूल लतीफ़ आरको अध्यक्ष दलित-मुस्लिम एकता मंच, मुहम्मद नाजि़मुद्दीन प्रदेश सचिव जमाअते इस्लामी हिन्द राजस्थान, मुसद्दिक़ मुबीन स्टूडेन्ट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशनन ऑफ इण्डिया आदि ने भी राज्य सरकार के आदेशकी आलोचना की है।