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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन (Governor's rule in Jammu and Kashmir) ही एकमात्र उपाय - प्रो. भीमसिंह

गृहमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस में आज जो हुआ उसमें कोई संदेह नहीं जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन ही एकमात्र उपाय - प्रो. भीमसिंह

नई दिल्ली,  25 अगस्त 2016। नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक प्रो. भीमसिंह ने दिल्ली, जम्मू और श्रीनगर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी पर जोर दिया कि वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल श्री एन.एन वोहरा को निर्देश दें कि वे पूरे देश के लोगों के हित में विधानसभा भंग करके जलती हुई रियासत जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा दें, ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को जो पिछले 48 दिनों से अराजकता की स्थिति में जी रहे हैं, उनको दुख-दर्द और परेशानियों से निजात मिल सके।

इस हालात में शांति सिर्फ राज्यपाल शासन से ही बहाल हो सकती है

पैंथर्स सुप्रीमो प्रो. भीमसिंह ने कहा कि आज गृहमंत्री राजनाथसिंह और जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती की प्रेस कांफ्रेंस में जो हुआ, जिसका गवाह लाखों अवाम बने, उससे साफ जाहिर होता है कि जम्मू-कश्मीर में इस हालात में शांति सिर्फ राज्यपाल शासन से ही बहाल हो सकती है, जिसे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल धारा-92 के अन्तर्गत लगा सकते हैं (जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान लागू नहीं होता)।

उन्होंने तीनों क्षेत्रों, लद्दाख, कश्मीर और जम्मू के अवाम से अपील की कि वे आपस में और सरकारी आदेश के वगैर राज्य और केन्द्र सरकारों से बातचीत शुरू करें, जिससे राज्य में शांति बहाल हो सके।

प्रो. भीमसिंह ने महाराजा (डा.) कर्णसिंह से पुरजोर अपील की कि वे सिविल सोसाइटी के नेताओं, खासकर डा. फारूख अब्दुल्ला (शेख अब्दुल्ला के पुत्र), सईद अली शाह

गिलानी (हुर्रियत कांफ्रेंस), मौलवी उमर फारूख, शब्बीर शाह, प्रो. अब्दुल्ल गनी भट, मौलवी अब्बास अंसारी और आदि अनेक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की बैठक का आयोजित करें, जिसमें राज्य में शांति बहाली की रणनीति बनायी जा सके और राज्य में शांति का दौर फिर से बहाल हो सके।

प्रो. भीमसिंह ने अपने सभी दोस्तों जो विभिन्न हुर्रियत से जुड़े हुए हैं, और कश्मीर, लद्दाख और जम्मू के नौजवानों से पुरजोर अपील की कि वे राज्य के लोगों के जख्म भर दें और शांति बहाली में सक्रिय भूमिका अदा करें।

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