मधेपुरा। कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही राजद तथा दोस्त से दुश्मन बनी भाजपा बिहार की मधेपुरा लोकसभा संसदीय क्षेत्र से निवर्तमान सांसद और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रही है। उनके लिए इस बार जीत की राह आसान नहीं दिखती और इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं।
मधेपुरा संसदीय क्षेत्र सहित बिहार के कुल सात निर्वाचन क्षेत्रों में आगामी 30 अप्रैल को मतदान होना है। ये सात क्षेत्र हैं मधुबनी, झंझारपुर, दरभंगा ,समस्तीपुर , बेगूसराय और खगड़िया। यहां से कुल 12 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यहां से निवर्तमान सांसद शरद यादव का मुख्य मुकाबला राजद उम्मीदवार और पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव तथा भाजपा उम्मीदवार तथा हाल में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने वाली पूर्व आपदा एवं उदयोग मंत्री रेणु कुशवाहा के पति विजय कुमार सिंह के बीच है।
शरद यादव जनता दल उम्मीदवार के तौर पर मधेपुरा लोकसभा सीट से वर्ष 1991 में आनंद मोहन को, वर्ष 1996 में तथा वर्ष 1999 में जदयू के उम्मीदवार के तौर पर लालू प्रसाद को तथा वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में राजद उम्मीदवार रविंद्र चरण यादव को पराजित कर चुके हैं। शरद मधेपुरा संसदीय क्षेत्र से वर्ष 1998 तथा वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू के हाथों हार गए थे। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद शरद राज्यसभा के सदस्य बन गए थे। लालू के इस सीट को छोड़ देने पर यहां उसी वर्ष हुए उपचुनाव में राजद उम्मीदवार के तौर पर पप्पू यादव जदयू उम्मीदवार आर पी यादव को पराजित कर मधेपुरा से सांसद चुने गए थे।
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समाजवादियों के गढ़ के रुप में चर्चित मधेपुरा लोकसभा सीट से अपने-अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली छह विधानसभा सीटों आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनवर्षा, सहरसा और महिषी पर नजर डालें तो वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के साथ चुनाव लडी जदयू और भाजपा के खाते में चार सीटें तथा राजद की झोली में दो सीटें गई थीं।
वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में आलमनगर, बिहारीगंज और सोनवर्षा विधानसभा सीट से क्रमश: जदयू के मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा और रत्नेश सदा तथा सहरसा से भाजपा प्रत्याशी आलोक रंजन तथा मधेपुरा और महिषी से राजद उम्मीदवार चंद्रशेखर और अब्दुल गफूर विजई रहे थे।
शरद यादव की राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ और बेदाग छवि होने के बावजूद उनके अपने संसदीय क्षेत्र में कम समय देने तथा स्थानीय लोगों के लिए सहज उपलब्ध नहीं होने के कारण मतदाताओं के एक वर्ग में उनके प्रति नाराजगी है। इसके साथ ही पिछले वर्ष जून महीने में जदयू का भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद इस बार भाजपा ने जदयू के गढ़ में सेंधमारी कर उसकी मंत्री रेणु कुशवाहा के पति को अपनी पार्टी में शामिल कराकर मधेपुरा से चुनावी में उतार दिया जो उनके लिए बाधक बनता दिख रहा है।
यादव बहुल मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में वर्तमान में कुल मतदाताओं की संख्या 1673298 है जिसमें 871250 पुरुष एवं 801976 महिलाएं हैं जो शरद यादव, पप्पू यादव और विजय सहित यहां चुनावी मैदान में डटे कुल 12 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला आगामी 30 अप्रैल को होने वाले मतदान में कर देंगे।
साभार-डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट