राज ठाकरे का मोदी पर नोटबंदी को लेकर करारा प्रहार
मुंबई! महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नोटबंदी को लेकर करारा प्रहार किया है।
ठाकरे ने चेतावनी दी कि अगर नोटबंदी का फायदा देखने को न मिला तो देश में अराजकता फैलेगी।
राज ठाकरे ने सरकार के इस दावे पर सवाल खड़ा किया कि 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के लिए 10 महीने पहले ही तैयारी कर ली गई थी।
ठाकरे ने कहा,
"अगर ऐसा था तो नए नोटों पर आरबीआई के नए गर्वनर (उर्जित पटेल) के हस्ताक्षर कैसे हैं, जिन्होंने महज तीन महीने पहले ही कार्यभार संभाला है?"
उन्होंने प्रधानमंत्री पर सीधा निशाना साधते हुए कहा,
"भाजपा ने अभी तक 2014 में हुए चुनाव के खर्च का ब्योरा नहीं दिया है..अगर काले धन से इतनी ही घृणा है, तो मोदी चुनाव जीते कैसे?"
बैंकों में धन जमा करने या धन निकासी से संबंधित रोज नए निर्णयों की घोषणा की निंदा करते हुए ठाकरे ने दावा किया कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि बिना किसी पूर्व तैयारी और इसके प्रभाव का पर्याप्त अध्ययन किए बगैर आनन-फानन में इतना बड़ा नीतिगत फैसला किया गया।
ठाकरे ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा,
"मैंने भाजपा के लोगों से बात की है, आरएसएस के लोगों से बात की है, कोई भी खुश नहीं है, लेकिन वे सभी चुप्पी साधे हुए हैं..अभी तक मोहन भागवत ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है..मैं हैरान हूं कि यह क्या हो रहा है।"
ठाकरे ने सवाल किया कि काला धन जमा करने वालों पर ढाई साल में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जबकि आम जनता को सजा दी जा रही है और कतार में खड़े होने को, मरने को मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण अब
प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा,
"सुबह में वह गोवा में एक भावनात्मक भाषण देते हैं और महाराष्ट्र में शाम को शरद पवार की प्रशंसा करते हैं।"
ठाकरे ने कहा कि देश के केवल चार प्रतिशत लोग आयकर अदा करते हैं और शेष नगद में लेन देन करते हैं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी पंजाब में चुनाव के समय 82 लाख रुपये नगद होने की घोषणा की थी। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा,
"मैं नहीं कह रहा हूं कि यह कालाधन है, लेकिन बदली हुई परिस्थिति में वह कैसे जमा करेंगे?"
उन्होंने नोटबंदी के परिणामों को लेकर अपने कार्यकर्ताओं से चौकन्ना रहने का अनुरोध किया, क्योंकि चुनाव तो आते जाते रहेंगे, लेकिन देश के लोग उनके लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं।
(देशबन्धु से)